कर्क-स्वास्थ्य
कर्क राशि का प्रभाव छाती, स्तन, पेट, जठराग्नि व गुदा पर होने से इनसे संबंधित रोग उत्पन्न होने का भय बना रहता है। इनकी कफ प्रकृति भी प्रायः रही है। यह प्रायः दुर्बल शरीर के स्वामी होते हैं। दिखने में स्थूल शरीर परन्तु आंतरिक दृष्टि से दुर्बल होते हैं। अधिकांशतः उदर विकार, पाचन क्रिया में गड़बड़, मानसिक दुर्बलता एवं जलोदर रोग से परेशान रहते हैं। इन पर कुंठा और मानसिक उद्वेग हावी हो जाता है। चंद्रमा के निर्बल होने पर इन्हें निद्रा रोग होता है। कर्क राशि वालों को 42 से 49 वर्ष की आयु के बीच मूत्र संबंधी रोग हो सकते हैं। भोजन के प्रति इनकी स्वाभाविक रुचि रहती है, पर अत्यधिक खाना-पीना उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। कर्क राशि वालों को मादक पदार्थ या नमकीन चीजों का सेवन शरीर को हानि पहुंचाता है। इस राशि में सूर्य पड़ा हो तो पाचन क्रिया बिगड़ती है। रात्रि को भोजन भी रोग पैदा कर सकता है। कम खाना ही स्वास्थ्य के लिए उपयोगी रहता है। इस राशि की नारियों को प्रसव के समय कष्ट होता है। इनका मन शीघ्र ही संशयग्रस्त हो जाता है। जब भी किसी प्रकार का कष्ट बने, तो खिरणी की जड़ या मोती की अंगूठी पास में रखना चाहिए।