मीन-चारित्रिक विशेषताएँ
चरित्र के प्रारंभिक लक्षण- निराधार, अत्यधिक अंतर होना, दिशाहीन, अस्पष्ट, धुंधला व्यक्तित्व, अपराध बोध होना, 'न' कहने में कठिनाई होना, हतोत्साहित, स्वयं पर दया करना, पलायन करने की इच्छा करना, भोला-भाला, अत्यधिक संवेदनशील, अवचनबद्ध, अनाक्रामक, चापलूस, कट्टर विश्वास होना,व्यसनी। चरित्र के उत्तरकालीन लक्षण- करुणामय, अनाग्रही, अनुभूतिक्षम, बुद्धिमानीपूर्वक प्रेम करना, तत्वमीमांसीय तरीके से चीजों को समझना, यह समझना कि स्वयं की वास्तविकताओं का हम स्वयं सृजन करते हैं, स्वयं द्वारा दीक्षित शक्तियों तथा दूसरों द्वारा दीक्षित शक्तियों के मध्य विभेद करना, बाहर से ग्रहण की हुई अवांछित शक्तियों का त्याग करने में समर्थ होना, आध्यात्मिक स्वविकास के लिए क्या लाभदायक है तथा क्या लाभदायक नहीं है इनके मध्य विभेद करना अंतःकरण के लक्षण- अंतर्निहित विश्वास पद्धतियों की सीमाओं से भिज्ञ होना तथा उन्हें खत्म करने की इच्छा रखना, उन्नति तथा विस्तार में अवरोधक घिसे-पिटे विश्वासों को खत्म करना, लोगों की प्राचीन विचार पद्धतियों से ऊपर उठने में तथा उन्हें खत्म करने में सहायता करना, एक वृहत् वास्तविकता के सृजन के लिए अनुपयोगी रीति-रिवाजों का परित्याग करना, विकरित सांस्कृतिक प्रवृत्तियों एवं दर्शनशास्त्रों को समाप्त करना, चरम विश्वास को अंतर्ज्ञान संबंधी बुद्धिमत्ता द्वारा प्रतिस्थापित करना, गहन तथा विस्तृत अनुभूतियों के अवरोधों से मुक्ति पाना।