नई दिल्ली। वर्ष 2020 में केवल 25,735 तीव्र गति के इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री होने के साथ FAME 2 योजना के तहत मार्च 2022 तक ऐसे 10 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का लक्ष्य हासिल करना दूर की कौड़ी नजर आता है। सोसाइटी ऑफ मैनुफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) ने बुधवार को यह कहा।
 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	एसएमईवी के अनुसार उच्च गति के दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 2020 में 2019 में बेचे गए 27,224 इकाइयों के मुकाबले 5 प्रतिशत कम रही है। इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के विनिर्माण और उपयोग को बढ़ावा देने की योजना (FAME 2) के तहत इन वाहनों को प्रोत्साहन दिया जाता है।
	 
	एसएमईवी ने एक बयान में कहा कि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन उद्योग ने कोविड-19 महामारी के बावूजद 2020 में 25,735 उच्च गति के दोपहिया वाहनों की बिक्री की जो एक साल पहले 27,224 इकाई थी। इसके बावजूद फेम-2 योजना के तहत 10 लाख इकाइयों की बिक्री का महत्वकांक्षी लक्ष्य हासिल करना दूर की कौड़ी जान पड़ता है।
	 
	संगठन ने कहा कि FAME 2 योजना की शुरुआत अप्रैल 2019 में हुई और इसके तहत मार्च 2022 तक कम-से-कम 10 लाख उच्च गति के इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री का लक्ष्य है। FAME 2 योजना इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री को गति देने में विफल रही है। जनवरी 2019 से वास्तविक संचयी बिक्री 52,959 रही है। हालांकि इस योजना के तहत बिक्री केवल 31,813 इकाई ही रही।
								
								
								
										
			        							
								
																	
	 
	इस बारे में एसएमईवी के महानिदेशक सोहिन्दर गिल ने कहा कि FAME 2 योजना के तहत कुछ अच्छी बातें हैं और सराहनीय लक्ष्य रखा गया है लेकिन इसमें कई शर्तें भी हैं जो समय से पहले अनावश्यक रूप से डाल दी गई हैं। इसके करण अब तक निर्धारित लक्ष्य का केवल 4 प्रतिशत ही हासिल किया जा सका है।
	 
	उन्होंने कहा कि योजना ग्राहकों को प्रदूषण फैलाने वाले पेट्रोल बाइक की जगह इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की ओर आकर्षित नहीं कर सकी। इसका कारण FAME 2 योजना के तहत पूर्व शर्तें और पात्रता मानदंड हैं। इससे सब्सिडी के बावजूद लोगों के लिए बाइक महंगी हुई है।
	 
	हालांकि गिल ने कहा कि इन झटकों के बावजूद इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन उद्योग सकारात्मक धारणा देख रहा है। ग्राहक इसमें रुचि दिखा रहे हैं। अगर फेम-2 योजना में अनावश्यक शर्तों को हटाया जाता है, इससे न केवल निर्धारित लक्ष्य हासिल करने मे मदद मिलेगी बल्कि मेड इन इंडिया उत्पादों में निवेश को भी गति मिल सकती है। उन्होंने सरकार से सुधारात्मक कदम उठाने का आग्रह किया जिससे उद्योग को 10 लाख इलेक्ट्रिक दो-पहिया वाहनों के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिले।