अयोध्या में सोमवार को रामलला के नए विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर पवित्र शहर के निवासियों में भावनात्मक उत्साह देखा गया। उन्होंने कहा कि उन्हें वास्तव में ऐसा लगता है कि वे दिव्य, 'नव्य' और 'भव्य' अयोध्या में रह रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मंदिर में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा से संपूर्ण अयोध्या वासी भाव विह्वल हैं।
नवनिर्मित राम मंदिर से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर रहने वाले शिक्षक कृष्णनाथ सिंह ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'अब हमारी अयोध्या 'दिव्य' अयोध्या, 'नव्य' अयोध्या और 'भव्य' अयोध्या बन गई है।'
अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करते हुए उन्होंने कहा, 'यह न केवल अयोध्या या उत्तर प्रदेश के प्रत्येक निवासी के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि हमारे रामलला को वह उचित स्थान मिला है जिसके वह हकदार हैं।'
सिंह ने कहा, "यह मेरे लिए बहुत खास है, क्योंकि निजी तौर पर मैंने कारसेवकों के संघर्ष को बहुत करीब से देखा है। आंध्र प्रदेश और नागपुर के कारसेवक आंबेडकर नगर जिले के हमारे गांव से होते हुए अयोध्या से मिर्ज़ापुर पहुंचते थे। हमारा काम यह सुनिश्चित करना था कि कोई भी कारसेवक भूखा न रहे। मुझे राहत है कि मेरे परिवार द्वारा किए गए प्रयासों के अंततः सकारात्मक परिणाम मिले हैं।'
प्रतिष्ठा समारोह पर खुशी व्यक्त करते हुए अयोध्या के खजुरहट क्षेत्र के निवासी यशवेंद्र प्रताप सिंह ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, “लोगों में बहुत खुशी है, क्योंकि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर राम मंदिर के लिए उनकी 'तपस्या' खत्म हो गई है।”
उन्होंने कहा, "सुबह क्षेत्र के शिव मंदिर की सफाई की गई और दिन भर सुंदरकांड का पाठ और प्रसाद वितरण जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। पूरा क्षेत्र भगवान राम की भक्ति में डूबा हुआ है।"
बालापकौली निवासी शैलेश सिंह ने कहा, "अयोध्या के निवासी के रूप में हम लंबे समय से चाहते थे कि भगवान राम का एक भव्य और दिव्य मंदिर बनाया जाए। हम भी अब इसका हिस्सा बन गए हैं।”
इसी तरह की भावना व्यक्त करते हुए, अयोध्या के कौशलपुरी कॉलोनी के निवासी लवकुश श्रीवास्तव ने कहा, "आज, हम एक ऐसी अयोध्या देख रहे हैं, जो दिव्य, नई और भव्य है। अयोध्या के हर निवासी के लिए 22 जनवरी एक ऐतिहासिक तारीख होगी और वह इस पल को जीवन भर याद रखेंगे।"
प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान पूरा होने पर निर्मोचन चौराहा निवासी हिमांशु वर्मा अपने आंसू नहीं रोक सके। उन्होंने कहा, "जैसे ही अनुष्ठान पूरा हुआ, मैंने अपने बड़े भाई को गले लगाया। मेरे परिवार के सदस्यों ने कहा कि यह 'कलियुग' में राम-भरत 'मिलाप' है।" भाषा