- शंकराचार्य निश्चलानंद भी हुए नाराज
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कहा- नहीं जाऊंगा अयोध्या
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शंकराचार्य को मिला है कार्यक्रम का न्योता
Shankaracharya Nischalananda on Ayodhya Ram Temple: अयोध्या राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को जहां चारों तरफ उत्साह का माहौल है, वहीं नित नए विवाद भी जुड़ते जा रहे हैं। विपक्षी नेताओं के समारोह को लेकर रोज अलग-अलग बयान आ रहे हैं, वहीं इस विवाद में अब जगन्नाथपुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का नाम भी जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि मुझे आमंत्रण तो मिला है, लेकिन मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे तो मैं वहां तालियां बजाकर जय-जयकार करूंगा क्या?
मध्य प्रदेश के रतलाम में हिन्दू जागरण सम्मेलन के कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए पुरी के शंकराचार्य ने कहा कि उनके पद की मर्यादा है, वे अयोध्या नहीं जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि राम मंदिर के नाम पर राजनीति हो रही है और धर्म स्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है।
निश्चलानंद जी ने कहा कि मुझे जो आमंत्रण मिला है, उसमें लिखा है कि शंकराचार्य आना चाहें तो अपने साथ एक और ला सकते हैं। इसके अलावा हमसे किसी तरह का अब तक संपर्क नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि वे 100 व्यक्तियों के लिए कहते तो भी मैं नहीं जाता। हिन्दू समाज के धर्मगुरु ने कहा कि मोदी जी मंदिर का लोकार्पण करेंगे तो मैं क्या वहां तालियां बजाने जाऊंगा।
मुझे न्योते की जरूरत नहीं : मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह कहा कि अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि पर नवनिर्मित मंदिर में दर्शन के लिए उन्हें किसी व्यक्ति के न्योते की जरूरत नहीं है, क्योंकि भगवान राम उनके हृदय में बसते हैं। वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वे अयोध्या नहीं जाएंगे।
राम मंदिर के नाम पर राजनीति : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि भाजपा राम मंदिर के नाम राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा का काम कमेटी को करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई धार्मिक स्थल बनता है तो सरकार उसमें एक लिमिट तक सहयोग कर सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में कुछ ज्यादा ही रुचि ले रहे हैं। बालाकोट की तरह राम मंदिर के नाम चुनाव जीतने की राजनीति हो रही है।
शिवसेना भी नाराज : शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने उद्घाटन कार्यक्रम पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा था कि उद्घाटन समारोह को राजनीतिक कार्यक्रम में तब्दील नहीं किया जाना चाहिए या यह समारोह किसी एक पार्टी के इर्द-गिर्द नहीं घूमना चाहिए। निमंत्रण नहीं मिलने को लेकर भी उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष किया था।
वहीं, शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने 22 जनवरी के कार्यक्रम का राजनीतिकरण करने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि भगवा पार्टी 2024 लोकसभा चुनावों के लिए भगवान राम को अपना उम्मीदवार घोषित करेगी। वहीं, राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि न्योता उन्हें ही मिला है, जो रामभक्त हैं।
क्या कहा था अखिलेश ने : समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रेदश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि मेरा मानना है कि बिना भगवान की इच्छा के कोई दर्शन नहीं करने जा सकता। बिना ... और भगवान का बुलावा कब किसको आ जाए, कोई नहीं कह सकता।
किस किस को मिला न्योता : बड़ी संख्या संत-महंतों, उद्योगपतियों, राजनेताओं को न्योता भेजा गया है। दलाईलामा, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कांग्रेस से सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, अधीर रंजन चौधरी (राहुल-प्रियंका को न्योता नहीं), नीतीश कुमार को भी कार्यक्रम में न्योता भेजा गया है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से अपील की है कि वे 22 जनवरी को अयोध्या न आएं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala