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चीन में मोदी से बहुत आगे है भारत का 'मीचू'

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, बुधवार, 14 मार्च 2018 (12:55 IST)
वंदना
टीवी एडिटर, भारतीय भाषाएं
 
चीनी मीडिया उन्हें भारत को राह दिखाने वाला फिल्मस्टार कहता है, फैन्स उन्हें नान शेन (मेल गॉड) कहते हैं और चीनी बच्चों में वे अंकल आमिर के नाम से मशहूर हैं। ये चीन जैसे देश में आमिर खान की बढ़ती लोकप्रियता का एक छोटा-सा सुबूत है- एक ऐसा देश जिसकी संस्कृति भारत से ज्यादा नहीं मिलती और न ही उससे रिश्ते कुछ खास बेहतर हैं।
 
14 मार्च को आमिर अपना जन्मदिन तो मना ही रहे हैं, साथ ही इन दिनों चीन में वो अपनी फिल्म 'सीक्रेट सुपरस्टार' की सफलता की खुशी भी मना रहे हैं जो जनवरी में वहां रिलीज हुई। पिछले साल 'दंगल' चीन में जबरदस्त हिट हुई थी।
 
पांच साल पहले 2013 में अभिनेता जैकी चेन भारत आए थे और कुछ पत्रकारों से मिले थे, उनमें मैं भी शामिल थी। भारतीय फ़िल्मों के बारे में उन्हें तीन चीजे पता थीं- आमिर खान, थ्री इडियट्स और बॉलीवुड का डांस। तब मुझे पहली बार एहसास हुआ था कि चीन का आमिर खान से थोड़ा बहुत रिश्ता है। और अब ये रिश्ता भरे-पूरे लव अफेयर में बदल चुका है।
 
दूसरे देशों में भले ही हिंदी फिल्में खूब देखी जाती रही हैं लेकिन राज कपूर के दौर के बाद से पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई भारतीय एक्टर चीन में इतना मशहूर हुआ हो।
 
चीन में मोदी से भी आगे : आमिर का चीन की सोशल नेटवर्किंग साइट-वीबो (वहां का ट्विटर) पर अकाउंट हैं। वीबो पर वो सबसे ज्यादा फॉलोअर्स वाले भारतीय हैं। आमिर खान के साढ़े छह लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं जबकि मोदी के डेढ़ लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
 
आमिर वीबो पर लगातार अपने चीनी फ़ैन्स से जुड़े रहते हैं- कभी चीनी न्यू ईयर की बधाई देते हुए, कभी नई फिल्म में अपना लुक शेयर करते हुए, कभी चीनी कलाकारों को डांस सिखाते हुए तो कभी चीनी पकवान चखते हुए जिसे वो अपना फेवरेट खाना बताते हैं।
 
आप इसे पीआर की कवायद कह सकते हैं या फिर फ़ैन्स के साथ जुड़ने की उनकी कोशिश, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि चीनी फ़ैन्स के साथ एक अलग रिश्ता बनाने में आमिर सफल रहे हैं। अभी इसी साल जनवरी में ही वो सीक्रेट सुपरस्टार के लिए चीन में थे।
 
चीन ने आमिर खान को 2000 में आई 'लगान' के जरिए जाना। लेकिन आमिर जाना पहचाना नाम बने फ़िल्म 'थ्री इडियट्स' के साथ जब वो चीन में रिलीज हुई। जल्द ही 'धूम3', 'पीके' और 'दंगल' आई।
 
जहां दूसरे फिल्मस्टार सफल नहीं रहे वहां चाइनीज वॉल भेदने में आमिर कैसे कामयाब हुए? अगर आप चीनी सोशल मीडिया और अख़बारों को खंगालें तो एक बात सभी में निकलकर आती है। वहां के मीडिया और लोगों को लगता है कि आमिर की फिल्मों में ऐसे मुद्दे होते हैं जो सीधे चीनी युवाओं के दिल से जुड़े होते हैं।
 
कॉलेज में अच्छे नंबर लाने का दबाव, मां-बाप की इच्छाओं का दबाव, शिक्षा प्रणाली की कमियां- 'थ्री इडियट्स' में ये एक ऐसा विषय था जिससे चीनी युवाओं ने खुद को जुड़ा हुआ महसूस किया। चीन के स्कूल-कॉलेजों में आमिर की इस फ़िल्म को दिखाया गया।
 
हॉलीवुड की साई-फाई और एक्शन फिल्मों के उलट आमिर की फिल्मों में सामाजिक न्याय, औरतों की बराबरी, पारिवारिक मू्ल्य, अपने सपनों को पूरा करने की संघर्ष की कहानी चीनी लोगों के दिलों को छू पाई है।
 
दंगल की दीवानगी : 'थ्री इडियट्स', 'पीके' और 'धूम 3' को लोगों ने पसंद किया लेकिन आमिर को असल सफलता मिली जब पिछले साल 'दंगल' नौ हजार थिएटरों में रिलीज हुई। देखते ही देखते दंगल चीन में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म बन गई। चीन के राष्ट्रपति तक ने नरेंद्र मोदी से मुलाकात में 'दंगल' की तारीफ कर डाली।
 
पिछले साल बीबीसी से बातचीत में कई चीनी दर्शकों ने बताया था कि 'दंगल' में उन्हें अपनी जिंदगी की झलक दिखी- अपने सपनों को पूरा करने की लड़ाई, पिता और बच्चों का रिश्ता और चीन में औरतों को होने वाली दिक्कतें।
 
आमिर के अपने शब्दों में, 'मुझे चीन आना बहुत पसंद हैं. चीन के लोग खुले दिल वाले हैं, यही बात मुझे आकर्षित करती हैं, प्यार से वो मुझे मीचू बुलाते हैं। मैं बार-बार वापस आना चाहता हूं।'
 
सत्यमेव जयते जैसे टीवी शो की वजह से आमिर की छवि चीन में एक ऐसे व्यक्ति की बनी है जो समाज में लोगों को सही रास्ते पर चलना सिखाता है। ये भी चीन में आमिर की लोकप्रियता की एक वजह है क्योंकि उनका ये शो एक चीनी वेबसाइट पर दिखाया गया है।
 
हालांकि भारत और भारत के बाहर इस शो को लेकर आमिर की आलोचना भी हुई है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने तो 'सत्यमेव जयते' पर सवाल करते हुए ब्लॉग भी छापा था।
 
चीन के '​सीक्रेट सुपरस्टार' : भारत को लेकर चीनी मीडिया का रुख आम तौर पर आक्रामक रहता है। लेकिन चीन और आसपास के देशों का मीडिया आमिर की तारीफों से भरा पड़ा है। साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट ने लिखा है- 'मीट द सीक्रेट सुपरस्टार ऑफ चाइना: आमिर खान।'
 
तो स्ट्रेट्स टाइम्स ने लिखा है- 'सीक्रेट सुपरस्टार' से आमिर ने चीन में एक और हिट दी। जबकि 'डिप्लोमैट' के लेख का शीर्षक है- आमिर चीन में भारत की साफ्‍ट पावर।
 
चीन में फिल्म प्रेमियों के साथ आमिर रिश्ता जोड़ने में तो सफल हुए ही लेकिन उस रणनीति का भी बड़ा योगदान है जिसमें चीन में उनकी फिल्मों का प्रमोशन और मार्केटिंग बहुत ही सलीके से की गई और वो भी शुरुआती स्टेज से।
 
मसलन, वो स्थानीय लोगों से घुलते-मिलते हैं और स्थानीय कलाकारों को बुलाया जाता है. इस साल वो 'सीक्रेट सुपरस्टार' के लिए सात शहरों के दौरे पर गए। 'दंगल' के समय भी उन्होंने ऐसा किया था। मार्केटिंग और प्रमोशन की बात करें तो भारत में भी उनकी काफ़ी तारीफ़ होती है, भले ही कुछ लोग इसे सोझ-समझकर गढ़ी हुई छवि भी मानते हैं।
 
शॉर्ट फिल्म से ब्रांड एंबेस्डर तक : सलमान खान की 'बजरंगी भाई जान' को भी इस साल चीन में अच्छी सफलता मिली है। अब इरफान खान की 'हिंदी मीडियम' भी रिलीज होने जा रही है। आमिर की सफलता का फायदा चीन में दूसरे भारतीय सितारों को भी मिलेगा ये कहना अभी मुश्किल है लेकिन आमिर खान ने जरूर एक लंबा सफर तय किया है।
 
एक लंबा सफर जो स्कूल खत्म करने के बाद उस समय शुरू हुआ था जब उन्होंने 40 मिनट की एक शॉर्ट फिल्म में काम किया था।
 
ये शॉर्ट फिल्म उनके स्कूल के दोस्त आदित्य भट्टाचार्य ने बनाई थी जो बिमल रॉय के नाती हैं और बासु भट्टाचार्य के बेटे। उस शॉर्ट फ़िल्म में आमिर एक्टर भी थे, स्पॉट बॉय भी, एसिस्टेंट डायरेक्टर भी और प्रोडक्शन मैनेजर भी। शायद एक एक्टर-प्रोड्यूसर-डाइरेक्टर बनने के गुर तब से ही उनमें मौजूद थे। और आज वो चीन में भी छाए हुए हैं।
 
स्विट्जरलैंड की वादियों और लंदन ब्रिज पर भले ही शाहरुख खान का कब्जा हो लेकिन चीन की दीवार लांघने वाले तो आमिर खान ही हैं। और उन्होंने अपने चीनी प्रशंसकों के लिए थो़ड़ी बहुत मैंडरिन सीखने का भी वादा किया है।

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