मॉस्को की एक अदालत ने पैरोल की शर्तों का उल्लंघन करने के लिए एलेक्सी नवेलनी को साढ़े तीन साल जेल की सज़ा सुनाई है। उन पर पिछले आपराधिक मामले में गिरफ्तारी के बाद मिली पैरोल की शर्तों के उल्लंघन का आरोप है। एलेक्सी नवेलनी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के आलोचक हैं। पिछले महीने रूस लौटने के बाद से ही नवेलनी हिरासत में थे।
इससे पहले उन पर नोवीचोक नाम के ज़हरीले नर्व एजेंट से हमला हुआ था जिसके बाद जर्मनी में उनका इलाज हुआ था। वो पहले ही एक साल की सज़ा काट चुके हैं। ऐसे में उन्हें सुनायी गई कुल सज़ा में से इस एक साल को कम कर दिया जाएगा। मॉस्को की अदालत में उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को 'ज़हर देने वाला' कहा और उन्हें उन पर हुए हमले का दोषी ठहराया।
उन्हें सज़ा सुनाए जाने के बाद ही उनके समर्थकों ने एक विरोध रैली का आह्वान किया और अदालत के बाहर बड़ी संख्या में जमा होने की कोशिश की। लेकिन कुछ समय में दंगारोधी पुलिस दल ने पूरे इलाक़े को अपने क़ब्ज़े में ले लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक़, क़रीब तीन सौ से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।
नवेलनी के वकील ने कहा कि वे इसके ख़िलाफ़ अपील करेंगे। इस फ़ैसले पर अंतरराष्ट्रीय स्तर से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। यूरोपीय काउंसिल ने कहा है कि यह जजमेंट हर विश्वसनीयता की उपेक्षा करने वाला है। ब्रिटिश विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने इस फ़ैसले को अनुचित बताया है। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि वे इसे लेकर काफी परेशान थे। वहीं रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पश्चिमी देशों को अपनी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, 'आपको एक संप्रभु राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।'
रूस के राष्ट्रपति पुतिन के आलोचक
पैरोल की शर्तों के मुताबिक़, नवेलनी को नियमित रूप से रूस की पुलिस को रिपोर्ट करना था और उन पर आरोप है कि उन्होंने इसका पालन नहीं किया। नवेलनी को एक धोखाधड़ी केस में दोषी ठहराया गया है और जेल सर्विस का कहना है कि उन्होंने अपने ऊपर लगी पाबंदियों का उल्लंघन किया है।
वहीं नवेलनी हमेशा से कहते आए हैं कि उन पर सारे मुक़दमे राजनीति से प्रेरित हैं। रूसी जांच कमिटी ने भी उनके ख़िलाफ़ धोखाधड़ी के मामले में नया आपराधिक मुक़दमा शुरू किया है। उन पर कई एनजीओ को पैसा ट्रांसफर करने का आरोप है। इनमें उनका एंटी-करप्शन फाउंडेशन भी शामिल है। लेकिन उनके वक़ीलों का कहना है कि नवेलनी पर जो भी आरोप लगे हैं वो बेतुके हैं। उनका दावा है कि रूस में अधिकारियों को पता था कि वे नर्व एजेंट के प्रभाव से उबर रहे हैं।
सज़ा सुनाए जाने से पहले अदालत को संबोधित करते हुए नवेलनी ने कहा कि इस मामले का इस्तेमाल विपक्ष को कमज़ोर करने और डराने के लिए किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि 'इसी तरह से वे काम करते हैं। लाखों लोगों को डराने के लिए वे किसी एक को जेल भेज देते हैं।'
अपने ऊपर हुए नोवीचोक नर्व एजेंट के हमले के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'रूस की संघीय सुरक्षा सेवा (एफ़एसबी) का इस्तेमाल करके पुतिन ने मेरी हत्या का प्रयास किया। लेकिन मैं अकेला नहीं हूं। बहुत से लोगों को ये मालूम होगा और कुछ को अब।' उन्होंने कहा कि इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि वो किस तरह एक जियोपॉलिटिशन दिखने की कोशिश करते हैं लेकिन इतिहास में उसे ज़हर देने वाले के तौर पर जाना जाएगा।
17 जनवरी को जब नवेलनी रूस वापस लौटे तो उनके समर्थकों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए थे। हालांकि क्रेमलिन नवेलनी पर हुए हमले में अपनी भागीदारी से इनक़ार करता है और विशेषज्ञों के उस निष्कर्ष को भी ग़लत बताता है जिसके मुताबिक़, नोवीचोक एक रूसी रासायनिक हथियार है जिसका इस्तेमाल नवेलनी की हत्या के लिए किया गया था।
नवेलनी कौन हैं?
एलेक्सी नवेलनी एक विपक्षी कार्यकर्ता है जिन्होंने भ्रष्टाचार के कई बड़े मामलों की जांच की है और रूस के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। उनके यूट्यूब चैनल पर पोस्ट वीडियो को अब तक सौ करोड़ से अधिक बार देखा जा चुका है। वो रूस की सबसे बड़े राजनीतिक दल पुतिन की पार्टी यूनाइटेड रशिया को ठगों और चोरों की पार्टी बताते हैं और उन्होंने हाल के सालों में कई फ़िल्में जारी कर उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
कई सालों से नवेलनी रूस की राजनीति में अधिक पारदर्शिता की मांग और विपक्षी उम्मीदवारों को चुनाव में मदद करते रहे हैं। वो साल 2013 में मॉस्को के मेयर पद के लिए खड़े हुए थे और दूसरे नंबर पर आए थे। बाद में उन्होंने राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की कोशिश की लेकिन आपराधिक मुक़दमों की वजह से उन पर रोक लगा दी गई। वो इन मुक़दमों को राजनीति से प्रेरित बताते हैं।
अगस्त 2020 में नवेलनी साइबेरिया का दौरा कर रहे थे और एक और खोजी रिपोर्ट तैयार कर रहे थे। वो यहां स्थानीय चुनावों में विपक्षी उम्मीदवारों का प्रचार भी कर रहे थे। इस दौरान ही उन्हें ज़हर दिया गया। वो बाल-बाल बच गए। बाद में उन्हें इलाज के लिए जर्मनी ले जाया गया जहां पता चला कि उन पर रूस में बने नर्व एजेंट नोविचोक से हमला किया गया था।
नवेलनी ने रूस की ख़ुफ़िया एजेंसियों पर ज़हर देने के आरोप लगाए। रिपोर्टों के मुताबिक उन्होंने रूस की ख़ुफ़िया एजेंसी एफ़एसबी के एक एजेंट को झांसे में लेकर हमले के बारे में जानकारियं भी जुटा लीं। एक फ़ोन कॉल में जिसे नवेलनी ने रिकॉर्ड किया था और बाद में यूट्यूब पर पोस्ट भी किया था, एजेंट कोंस्टेंटिन कुदर्यावत्सेव ने उन्हें बताया था कि उनके अंडरपैंट में नोविचोक एजेंट रखा गया था।
रूस लौटना
उन्हें चेताया गया था कि रूस लौटना उनके लिए सुरक्षित नहीं होगा, लेकिन नवेलनी ने किसी की नहीं सुनी और कहा कि वो राजनीतिक प्रवासी बनना पसंद नहीं करेंगे। वो बर्लिन से मॉस्को लौट आए। उन्हें एयरपोर्ट पर ही हिरासत में ले लिया गया था।