Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

अनूप चंद्र पांडेय: नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर क्यों हो रहा है विवाद?

Advertiesment
हमें फॉलो करें अनूप चंद्र पांडेय: नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर क्यों हो रहा है विवाद?

BBC Hindi

, गुरुवार, 10 जून 2021 (12:43 IST)
अनंत प्रकाश, बीबीसी संवाददाता
भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय को चुनाव आयोग के नए चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया है।
 
अप्रैल में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद से तीन सदस्यीय आयोग में एक पद खाली था।

साल 1984 बैच के यूपी काडर के आईएएस पांडेय पिछले दो दशकों से उत्तर प्रदेश में बनने वाली सभी सरकारों में उच्च पदों पर आसीन रहे हैं। और साल 2019 में उत्तर प्रदेश के चीफ़ सेक्रेटरी के पद से रिटायर हुए हैं जिसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष रूप से चुना था।

आख़िर क्यों है विवाद?
सोशल मीडिया पर इस नियुक्ति की ख़बर फैलने के बाद से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण से लेकर सीपीआई (एमएल) नेता दीपांकर घोष समेत कई लोगों ने इस फैसले का विरोध किया है।

दीपांकर घोष ने अपने आधिकारिक ट्विटर पर लिखा है, "उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 से पहले, रिटायर्ड यूपी काडर आईएएस अनूप चंद्र पांडेय को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया है। तीन साल पहले योगी आदित्यनाथ ने पांडेय को उत्तर प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी (30 जून 2018 - 31 अगस्त 2019) पद के लिए चुना था। 2024 के लोकसभा चुनाव भी उनके नेतृत्व में होने की संभावना है।"
 
वहीं, प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया है, "जब चुनाव आयुक्त के चुनाव के लिए कॉलेजियम की हमारी माँग पर सुनवाई तक नहीं हो रही है तब सरकार ने एकतरफा फैसला लेते हुए आदित्यनाथ के चुने हुए व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना दिया है। इस सरकार में सभी नियामक संस्थाओं को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।"

विपक्षी पार्टियों में कांग्रेस के कुछ युवा नेताओं की ओर से भी इस नियुक्ति पर सवाल खड़ा किया गया है।

निष्पक्षता पर सवाल
संकेतों में सवाल ये उठाया जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ के करीबी व्यक्ति को उस दौर में चुनाव आयुक्त बनाया जा रहा है, जब कुछ महीनों बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, तो इसका क्या मतलब निकाला जाना चाहिए। कुछ ट्वीट्स में लोग अनूप चंद्र पांडेय की योगी आदित्यनाथ के साथ ली गई तस्वीरों को शेयर करके उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं।

लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या नवनिर्वाचित चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय को किसी पार्टी या नेता के करीबी अधिकारी के रूप में देखा जाता है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति को बेहद करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी मानते कहते हैं कि अपने पूरे सेवाकाल में डॉ. अनूप चंद्र पांडेय की पहचान एक 'अच्छे अफ़सर' की रही है।

वे कहते हैं, "योगी आदित्यनाथ, मुलायम सिंह या अखिलेश यादव कोई भी जनता के बीच से किसी को उठाकर मुख्य सचिव नहीं बनाते हैं। चुनाव उन लोगों का होता है जो कि पहले से लोकसेवा आयोग से चुनकर आए होते हैं और जिनकी वरिष्ठता होती है। ऐसे में किसी भी मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव के बारे में ये नहीं कहा जा सकता है कि उसे मुख्यमंत्री या किसी अन्य ने सीधे उठाकर पद पर बिठा दिया हो। उनकी अलग ग्रेडेशन लिस्ट होती है।"

कल्याण सिंह से लेकर योगी तक
उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में अनूप चंद्र पांडेय को एक ऐसे अफसर के रूप में जाना जाता है जो पिछले कई वर्षों से सत्ता के शीर्ष पर मौजूद हैं।

कल्याण सिंह सरकार में डायरेक्टर ऑफ इन्फॉर्मेशन बनने के बाद से लेकर वह मुलायम सिंह, मायावती और योगी सरकार में भी अहम पदों पर रहे हैं। इसके साथ ही भारत सरकार में भी वह कई मुख्य पदों पर काम कर चुके हैं।
योगी सरकार में पांडेय प्रयागराज में कुंभ आयोजन के काम से लेकर यूपी इंवेस्टर्स समिट जैसे बड़े आयोजन करवा चुके हैं। लेकिन सत्ता के बेहद करीब रहने के बावजूद पांडेय विवादों से दूरी बनाकर रखने के लिए जाने जाते हैं।

लखनऊ की राजनीतिक गलियों को गहराई से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान बताते हैं, "उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में पांडेय को एक ऐसे मध्यमार्गी अधिकारी के रूप में जाना जाता है जो कि विवाद खड़ा करने या विवादों में पड़े बिना अपना काम करते हैं। वह नियम-कायदों के पक्के हैं और बीच का रास्ता निकालकर काम करने में विश्वास रखते हैं। और शासन-प्रशासन की प्रचलित मान्यताओं और व्यवस्थाओं का सम्मान करने के लिए जाने जाते हैं।"

लेकिन सवाल उठता है कि क्या अनूप चंद्र पांडेय अपने काम से चुनाव आयोग के ख़िलाफ़ लग रहे आरोपों को निराधार साबित कर पाएंगे।

उत्तर प्रदेश की एक वरिष्ठ पत्रकार सुनीता एरॉन कहती हैं, "मैं इस सवाल का सिर्फ एक लाइन में उत्तर दे सकती हूँ। वह अगले टीएन शेषन तो नहीं होंगे। लेकिन ये बात कही जा सकती है कि वह अपने काम से चुनाव आयोग की वर्तमान छवि में सुधार कर सकते हैं।"

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नाजुक है इंटरनेट का ढांचा, बंद होने के खतरे बड़े हैं