दक्षिणी यूक्रेन में रूस के कब्ज़े वाले इलाके में एक बहुत बड़े बांध के टूटने की ख़बर है। इसके बाद आसपास के क इलाकों में बाढ़ का ख़तरा पैदा हो गया है। कई गांव पानी में समा चुके हैं और लोगों से सुरक्षित इलाकों में जाने को कहा जा रहा है। यूक्रेनी अधिकारी बांध तोड़ने का आरोप रूस पर लगा रहे हैं जबकि रूस का कहना है कि ये काम यूक्रेन का है।
यूरोपीय काउंसिल प्रेसीडेंट चार्ल्स मिशेल ने रूस को इस हमले का ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि ये हमला युद्ध अपराध जितना गंभीर है।
कहां हैं बांध?
काखोव्का हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट यूक्रेन के खेरसॉन प्रांत के नोवा काखोव्का शहर में है जो फ़िलहाल रूस के कब्ज़े में है। ये सोवियत काल में बनाया गया था और नीप्रो नदी पर बनाए गए छह बांधों में से एक है। ये इतना विशाल बांध है कि यूक्रेन के उत्तरी से दक्षिणी इलाके तक फैला है।
रॉयटर्स के मुताबिक़ दुनिया की सबसे बड़ी झीलों में से एक अमेरिका की ग्रेट सॉल्ट लेक जितना पानी इस बांध में है। इसी वजह से आशंका जताई जा रही है कि बांध के पानी से बड़े पैमाने पर तबाही का ख़तरा है।
क्या हुआ था ?
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों को देखने से पता चलता है कि बांध का एक बड़ा हिस्सा टूट गया है जिसकी वजह से खेरसॉन का एक बड़ा इलाका जलमग्न हो चुका है।
खेरसॉन में अधिकारियों ने लोगों को आगाह किया है कि वो फ़ौरन निचले इलाकों से निकलकर ऊपरी इलाकों में चले जाएं।
खेरसॉन के एक बड़े अधिकारी ओलेक्सेंद्र प्रकूजिन ने यूक्रेन के सरकारी टीवी को बताया कि आठ गांव पहले ही बाढ़ में समा चुके हैं और इसके अलावा कई और गांवों के बहने का ख़तरा है। उन्होंने बताया कि बसों और ट्रेन से लोगों को महफ़ूज़ इलाकों में पहुंचाया जा रहा है। 16 हज़ार लोग अब भी वहां फंसे हुए हैं।
किसने किया हमला?
अब तक ये पता नहीं चल पाया है कि बांध को नुक़सान कैसे हुआ। लेकिन यूक्रेन की सेना ने कहा कि रूस ने जान बूझकर बांध को उड़ाया।
कई विशेषज्ञों को लगता है कि यूक्रेन के इस दावे में दम है क्योंकि रूस को डर है कि यूक्रेन की सेना बांध के ऊपर बनी रोड के ज़रिए नदी पार करके रूसी कब्ज़े वाले इलाके में पहुंच सकती है।
लेकिन रूसी अधिकारियों ने यूक्रेन पर इल्ज़ाम लगाया है कि उन्होंने बांध पर हमला किया है। हालांकि उन्होंने कहा कि बांध का सिर्फ़ ऊपरी हिस्सा गोलीबारी से प्रभावित हुआ है पूरा बांध नहीं।
बीबीसी यूक्रेन और रूस दोनों के ही दावों की पुष्टि नहीं करता। ये बांध कई मायनों में बेहद अहम है। बांध से बहुत बड़ी आबादी को पानी की सप्लाई की जाती है। साथ ही इस बांध से ज़ापोरिज़ज़िया न्यूक्लियर पावर स्टेशन को कूलिंग वॉटर सप्लाई की जाती है। ये प्लांट रूस के कब्ज़े में है।
इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) ने कहा है कि फ़िलहाल न्यूक्लियर प्लांट को कोई ख़तरा नहीं है लेकिन वो स्थिति पर नज़र रखे हुए है। इसी बांध से रूसी कब्ज़े वाले क्राइमिया इलाके में भी पानी की सप्लाई होती है। यानी वहां भी लोगों को पानी की दिक़्क़तों का सामना करना पड़ सकता है। रूस ने क्राइमिया को साल 2014 में यूक्रेन से अलग कर दिया था।
पहले भी रूस यूक्रेन के कई बांधों पर पर हमले कर चुका है। जिससे कई इलाकों में बाढ़ आ चुकी है और बिजली की सप्लाई बाधित हो चुकी है।