- समीरात्मज मिश्र (अयोध्या से)
अयोध्या, मुंबई और बैंगलुरु में धर्म सभा की तारीख़ का ऐलान करने के लिए पिछले हफ़्ते लखनऊ आए विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपतराय ने कई बार पूछने के बावजूद इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि धर्म सभा की तारीख़ 25 नवंबर को ही क्यों रखी जा रही है और इतने बड़े कार्यक्रम की घोषणा इतनी जल्दबाज़ी में क्यों हो रही है?
चंपतराय ने इन दोनों सवालों के जवाब नहीं दिए और दिए भी होते तो शायद वो वैसे न होते जो मेरे जैसे दूसरे पत्रकारों के दिमाग़ में उमड़ रहे थे।
दरअसल, अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद की सुनवाई को जनवरी तक टालने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद मंदिर निर्माण को लेकर जिस तरह हर तरफ़ मांग हो रही थी, प्रवीण तोगड़िया अपने अंतरराष्ट्रीय हिन्दू संगठन के ज़रिए अयोध्या में शक्ति प्रदर्शन कर चुके थे और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी 25 नवंबर को अयोध्या में उसी मक़सद से आ रहे थे, इसे देखते हुए राम मंदिर आंदोलन का एक तरह से पर्याय बन चुकी विश्व हिन्दू परिषद का चुप बैठे रहना लोगों के गले नहीं उतर रहा था।
एक लाख लोग अयोध्या पहुंचेंगे
चंपतराय ने पिछले हफ़्ते अयोध्या और लखनऊ दोनों जगह मीडिया से बात की और उनका ज़ोर लगातार इस बात पर रहा था कि 'जनता की भावना और आस्था का सवाल है राम मंदिर और अब तत्काल उस पर कुछ फ़ैसला होना चाहिए'।
उनका दावा ये भी था कि कम से कम एक लाख लोग 25 नवंबर को अयोध्या पहुंचेंगे। लेकिन ये एक लाख लोग अयोध्या क्यों पहुंचेंगे, मंदिर निर्माण के लिए किस पर दबाव बनाएंगे और अयोध्या जाकर ये लोग करेंगे क्या, ऐसे सवालों पर उन्होंने कोई माकूल जवाब नहीं दिया।..... लेकिन सबसे अहम सवाल यही है कि विहिप ने आनन-फ़ानन में धर्म सभा की तारीख़ 25 नवंबर ही क्यों चुनी है?
लखनऊ में टाइम्स ऑफ़ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं, "विहिप को लगा कि कहीं ऐसा न हो कि उसके हाथ से वो मुद्दा निकलकर शिवसेना या फिर तोगड़िया जैसे कुछ अन्य लोगों के हाथ में चला जाए जिसे वो अपना मानकर चलती है। ऐसा इसलिए क्योंकि मंदिर मुद्दे से शिवसेना न सिर्फ़ शुरू से जुड़ी रही है बल्कि किसी अन्य संगठन की तुलना में सबसे ज़्यादा आक्रामक भी रही है।"
सुभाष मिश्र कहते हैं कि शिवसेना का उत्तर प्रदेश में भले ही कोई बहुत प्रभाव न हो लेकिन तोगड़िया के साथ विहिप के तमाम ऐसे लोग जुड़े हैं जो उन्हें विहिप से निकाले जाने से नाराज़ थे। दूसरे, राम मंदिर के मामले में यदि कोई भी संगठन ज़ोर-शोर से आवाज़ उठाएगा, तो ज़ाहिर है, हिन्दुओं का एक बड़ा तबका कहीं न कहीं उसके प्रभाव में आ ही जाएगा।
शिवसेना का अयोध्या आगमन
दरअसल, शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने दो महीने पहले ही 25 नवंबर को अयोध्या आने और यहां राम मंदिर के लिए संकल्प लेने का ऐलान किया था। शिवसेना सांसद संजय राउत इस दौरान कई बार अयोध्या और लखनऊ आकर इसके लिए माहौल का जायज़ा ले चुके हैं और पिछले दो दिनों से अयोध्या में ही डेरा डाले हुए हैं।
गुरुवार को उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि शिवसेना के कई सांसद और विधायक अयोध्या पहुंचने लगे हैं और 24 नवंबर को बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचेंगे।
उद्धव ठाकरे का कार्यक्रम पहले राम लला का दर्शन करने, साधु-संतों के साथ बातचीत करने और फिर 25 नवंबर को एक जनसभा को संबोधित करने का था लेकिन प्रशासनिक सख़्ती के बाद जनसभा को फ़िलहाल स्थगित कर दिया गया है। जानकारों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे जिस तैयारी और प्रचार-प्रसार के साथ अयोध्या आ रहे हैं, वो विहिप और उससे जुड़े संगठनों को हैरान करने के लिए पर्याप्त था।
सरकार के लिए बढ़ जाती परेशानी
सुभाष मिश्र कहते हैं कि शिवसेना या फिर तोगड़िया या फिर कोई और अगर राम मंदिर निर्माण की अगुवाई करने लगता और इस दौरान वो राज्य सरकार और केंद्र सरकार को भी घेरने लगता, तो ज़ाहिर है ये सरकार के साथ ही विहिप को भी परेशानी में डाल देता। उनके मुताबिक, शिवसेना के कार्यक्रम के दिन ही धर्म सभा की तारीख़ की घोषणा के पीछे सबसे बड़ी वजह यही दिखती है।
सुभाष मिश्र कहते हैं, "विहिप ने आगे आकर एक बड़े आंदोलननुमा कार्यक्रम की घोषणा करके सरकार के लिए इस मुद्दे पर सेफ़्टी वॉल्व का काम किया है, ताकि कोई दूसरा व्यक्ति या संगठन इस मुद्दे को हड़पने न पाए।"
वहीं विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपतराय ने धर्म सभा की तारीख़ और उस दिन की योजना को लेकर भले ही कोई जवाब न दिया हो लेकिन विहिप के प्रदेश प्रवक्ता शरद शर्मा कहते हैं कि इस दिन मंदिर निर्माण के लिए लोगों को एकजुट करने और माहौल बनाने की रूपरेखा तय की जाएगी।
शरद शर्मा कहते हैं, "मंदिर निर्माण के लिए 26 दिसम्बर तक प्रत्येक पूजा स्थान, मठ, मंदिर, आश्रम, गुरुद्वारा और घरों में स्थानीय परम्परा के अनुसार अनुष्ठान किया जाएगा। 18 दिसंबर के बाद तहसील और ब्लॉक स्तर पर 5000 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।"
उधर, प्रशासन इन दोनों कार्यक्रमों को देखते हुए सतर्क है और पूरे ज़िले में धारा 144 लगा दी गई है। प्रशासन ने विवादित परिसर के आस-पास समूह में जाने पर सख़्ती से रोक लगा रखी है।