11 अप्रैल से लोकसभा चुनाव के लिए शुरू हो रहे मतदान को देखते हुए एसोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स यानी एडीआर ने बिहार को लेकर एक सर्वे जारी किया है। इस सर्वे में मुद्दों, वोट देने के आधार और तमाम पहलुओं की पड़ताल की गई है।
इस सर्वे के अनुसार बिहार के मतदाताओं के लिए रोज़गार, सिंचाई और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े मुद्दे सबसे अहम हैं। 49.95% लोगों के लिए रोज़गार, 41.43% लोगों के लिए सिंचाई और 39.09% लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सबसे अहम मुद्दे हैं।
इस सर्वे में मतदाता किस आधार पर वोट करते हैं इसकी भी गहन पड़ताल की गई है। बिहार में कोई मतदाता बूथ पर वोट देने जाता है तो किस तर्क के आधार किसी प्रत्याशी या पार्टी को पसंद कर वोट करता है?
हालांकि इस सर्वे को 2018 में किया गया था लेकिन लोकसभा चुनाव को ध्यान में ही रखकर किया गया था। बिहारी मतदाताओं ने कहा कि वो विधानसभा के लिए वोट करने जाते हैं तो सबसे पहले ये देखते हैं कि मुख्यमंत्री का प्रत्याशी कौन है। इसके बाद प्रत्याशी की पार्टी को देखते हैं।
10 फीसदी मतदाओं ने ये भी कहा कि वो अपना मत कैश, शराब और मिलने वाले उपहार से भी तय करते हैं।
86 फीसदी बिहारी मतदाता वोट किसे देना है इसका निर्णय खुद करते हैं। 98 फीसदी लोगों ने कहा कि संसद और विधानसभा में आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को नहीं पहुंचना चाहिए। 35 फीसदी लोगों ने कहा कि वो आपराधिक पृष्ठभूमि वालों को इसलिए वोट करते हैं क्योंकि वो ठीक काम करते हैं। 35 फीसदी लोगों ने ये भी कहा कि वो जाति और धर्म के कारण आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को वोट करते हैं।
इस सर्वे में 87 फीसदी ग्रामीण और 13 फीसदी शहरी लोग शामिल हुए थे। इनमें 64 फीसदी पुरुष और 36 फीसदी महिलाएं थीं। अगर जाति के आधार पर देखें तो 67 फीसदी सवर्ण, 17 फीसदी ओबीसी, 15 फीसदी एससी और एक फीसदी एसटी समुदाय से लोग शामिल हुए।