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क्या 'सूअर वाले नए साल' से आहत होंगे चीन, मलेशिया और इंडोनेशिया के मुसलमान?

हमें फॉलो करें क्या 'सूअर वाले नए साल' से आहत होंगे चीन, मलेशिया और इंडोनेशिया के मुसलमान?
, सोमवार, 4 फ़रवरी 2019 (10:52 IST)
विश्व में विभिन्न समुदाय लूनर न्यू ईयर (चंद्र नव वर्ष) का जश्न मनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यह इस बार और भी ख़ास है क्योंकि चीनी ज्योतिष के अनुसार इस वर्ष का पशु सूअर है। लूनर न्यू ईयर के जश्न का मतलब होता है कि उस वर्ष का पशु आपको हर कहीं दिखेगा। यह सजावट से लेकर खिलौनों, तोहफ़ों और विज्ञापनों तक में नज़र आता है।
 
 
लेकिन इस वर्ष का पशु सूअर के होने से एक नई बहस शुरू हो गई है। चीनी ज्योतिष कैलेंडर में अंतिम पशु सूअर होता है लेकिन मुसलमानों के लिए इसको खाना निषेध है और इसे अपवित्र समझा जाता है।
 
 
तो क्या दक्षिण पूर्वी एशिया के मुस्लिम बहुल देशों में लूनर नव वर्ष मनाने वालों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है?

 
बहुत सी चीनी-मलेशिया परिवारों की तरह ही चाऊ परिवार के लिए लूनर नव वर्ष एक अच्छे व्यापार का मौक़ा होता है। वह मलेशिया में जोहोर के बातू पहाट शहर में रहते हैं। चाऊ यून की के लिए यह साल बेहद ख़ास है क्योंकि उनकी पत्नी स्टेला और उनकी बेटी का सूअर वाले वर्ष में ही जन्म हुआ है।

 
एक स्थानीय बिस्किट फ़ैक्ट्री में फ़्लोर मैनेजर चाऊ कहते हैं, "हम घर को सूअर के शुभ आभूषणों से सजाएंगे और हमारे रिश्तेदार, दोस्त, पड़ोसी हमारे घर आएंगे चाहे वे किसी भी नस्ल या धर्म के क्यों न हों। जश्न सभी के लिए है।"

 
वह इस बात को लेकर चिंतित नहीं हैं कि उनके जश्न से उनके साथियों को बुरा लगेगा। उनका मानना है कि नए साल पर कोई विवाद नहीं है। वह याद करते हुए कहते हैं कि पिछले साल के नव वर्ष का पशु कुत्ता था जिसको लेकर भी भारी हंगामा हुआ था।

 
मलेशिया एक बहु-सांस्कृतिक देश है लेकिन उसका आधिकारिक धर्म इस्लाम है। साथ ही वहां से ऐसी रिपोर्टें आती रही हैं कि मुसलमानों के अपमान से जुड़ी हरकतों के कारण इस देश में असहिष्णुता बढ़ी है। इस वजह से मुस्लिम समुदायों को नाराज़ न करने के डर से कई दुकानदारों ने कुत्तों की तस्वीर इस्तेमाल नहीं की। लेकिन चाऊ को लगता है कि छुट्टी का जश्न मनाने वाले चीनी समुदाय को स्थानीय प्रशासन नज़रअंदाज़ करता है।

 
वह कहते हैं, "मलेशिया कई नस्लों के लोगों से मिलकर बना है, यहां केवल मलय मुस्लिम नहीं है। यहां पर चीनी और भारतीय समुदाय भी है। साथ ही ईसाई, हिंदू, ताओ और बौद्ध जैसे धर्म भी हैं। इसलिए हमें एक-दूसरे की भावनाओं और जश्न का सम्मान करना चाहिए।"

 
हालांकि, वह कहते हैं कि ऐसा नहीं लगता है कि 'सेंसरशिप की भावना' इस सूअर वाले वर्ष में भी जारी रहेगी। चीनी ज्योतिष के अनुसार हर पशु की अपनी ख़ास विशेषता और लक्षण होते हैं। सूअर वाले वर्ष में जन्म लेने वाले को बुद्धिमान, दयालु और वफ़ादार कहा जाता है।

 
क्या इस ज्योतिष के किसी पशु का स्वागत नहीं करने कोई फ़र्क़ पड़ता है?

 
इस सवाल पर क्वालालंपुर में चीनी ज्योतिष के विशेषज्ञ जोय याप कहते हैं, "इसको लेकर चिंता की कोई बात ही नहीं है।" उन्होंने बीबीसी से कहा कि पिछले साल की तुलना में देखें तो इस साल मलेशिया में नए साल के जश्न पर कोई संवेदनशीलता देखने को नहीं मिल रही है।

 
वह कहते हैं कि इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप किसी वस्तु का प्रदर्शन कर रहे हैं या नहीं क्योंकि किसी की किस्मत पर इसका कोई असर नहीं होता। वह कहते हैं, "रंग, प्रतीक...ये सभी महत्वपूर्ण नहीं हैं। वास्तव में कर्मों से भाग्य चमकता है, इसलिए सकारात्मक रहना चाहिए।"

 
'इन सूअरों को मुस्लिम खा सकते हैं'
विश्व में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में लूनर न्यू ईयर पर राष्ट्रीय अवकाश होता है। इस दौरान सार्वजनिक रूप से कई शहरों में जश्न मनाया जाता है जिसमें रोशनी की जाती है, रंग-बिरंगी झांकियां निकलती हैं और विभिन्न प्रस्तुतियां होती हैं।

 
जकार्ता की मेरी ओलिविया कहती हैं कि उनके मुस्लिम दोस्तों ने सूअर की तस्वीरों का स्वागत किया है। वह कहती हैं, "मैं बहुत से इंडोनेशिया मुसलमानों के बीच में पली-बढ़ी हूं तो मैं जानती हूं कि सूअर उन्हें चिंतित नहीं करता है।"

 
वह कहती हैं कि यह पशु बाकी किसी दूसरे अन्य पशुओं से अधिक 'प्रसन्न' दिखता है। उनका कहना है, "अगर आप सूअर की सांप से तुलना करें तो सूअर बहुत प्यारे लगते हैं इसलिए लोग सजावट का सामान ख़रीदते हैं और उससे घर सजाते हैं।"

 
बेकरी का काम करने वाली वलेरिया रीटा नए साल के लिए ख़ास मिठाइयां बना रही हैं जिनमें सुअर जैसे दिखने वाले बिस्किट हैं। वह कहती हैं कि उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। वह कहती हैं, "संतरा लूनर न्यू ईयर का प्रसिद्ध प्रतीक है। इस साल हमने सूअर के आकार की मिठाइयां बनाने का फ़ैसला लिया और प्री-ऑर्डर का कोटा दो हफ़्तों में ही पूरा हो गया।"

 
उनके बहुत से ग्राहक मुसलमान भी हैं। वह कहती हैं, "वे इसका जश्न मनाने वाले अपने चीनी सहकर्मियों और दोस्तों के लिए मेरे बिस्किट ख़रीदते हैं। कइयों ने अपने लिए भी ऑर्डर दिया क्योंकि उन्हें सूअर पसंद हैं। उन्होंने अपने एक मुस्लिम दोस्त द्वारा भेजे एक संदेश को साझा किया। इसमें लिखा था कि "मेरी ये मिठाइयां ऐसे पहले सूअर हैं जन्हें मुसलमानों को खाने की अनुमति है।"

 
'मैं किसी को नाराज़ नहीं करना चाहता'
हालांकि कुछ लोगों की अलग स्थिति है। इनमें 24 वर्षीय रंग्गा सस्त्राजाया भी शामिल हैं। वह बोगोर सिटी में रहते हैं। उन्होंने सूअर जैसे दिखने वाले खिलौने और दूसरी सजावट के सामान ख़रीदे हैं लेकिन वह उन्हें खुलेआम दिखाने से परहेज़ कर रहे हैं उन्हें डर है कि इससे कई इंडोनेशियाई आहत न हों क्योंकि अभी भी कई लोग सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार नहीं करते हैं।

 
वह कहते हैं, "मैं ख़ुद सूअर के चित्र वाली कमीज़ पहन सकता हूं या घर में उसकी सजावट कर सकता हूं लेकिन मैं इन्हें सार्वजनिक रूप से दिखाने में सावधानी बरतूंगा क्योंकि मैं किसी को आहत नहीं करना चाहता हूं।"

 
कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस उत्सव की आलोचना कर रहे हैं। फ़ोरम मुस्लिम बोगोर (एफ़एमबी) पश्चिम जावा का एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है जिसने उत्सव को रद्द करने की मांग करते हुए एक पत्र जारी किया है। संगठन ने कहा है कि ये मुसलमानों के लिए 'अनुचित' है क्योंकि यह 'इस्लामी आस्था को कमज़ोर कर सकता है।'

 
उनके इस क़दम पर पीपी और पीएफ़केपीएम जैसे संगठन भी चल रहे हैं। इन संगठनों ने चीनी सुमदायों द्वारा पहले मनाए जाते रहे जश्न की आलोचना की थी। इंडोनेशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंसेंज की विश्लेषक थंग जु-लान ऐसी भावनाओं को "असहिष्णु राजनीतिक व्याख्या" का असर बताती हैं। कुछ वैसी ही व्याख्याओं का असर जिन्होंने दो साल पहले जकार्ता को हिलाकर रख दिया था।

 
दो साल पहले इंडोनेशिया में चीनी पृष्ठभूमि के पूर्व गवर्नर बासुकी 'अहोक' जहाजा पुरनामा के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे। ईसाई अहोक को ईशनिंदा का दोषी पाया गया था। उन पर मुक़दमा चला था और इस मुक़दमे को इंडोनेशिया की धार्मिक सहिष्णुता की परीक्षा के तौर पर देखा जाता है।

 
जु-लान ने बीबीसी से कहा, "अहोक के मामले में ये इंडोनेशिया में हुए गवर्नर के चुनाव का असर था। तब से आज तक उसी तरह की भावनाएं भड़काई जा रही हैं। असहिष्णुता की समस्या इसलिए जारी है क्योंकि हमें असल में घट रही घटनाओं की बहुत संकुचित समझ है। हम जितना कम समझते हैं, उतने ही ज़्यादा ही असहनशील होते हैं।"

 
लूनर न्यू इयर मनाने के बारे में इंडोनेशिया के कई मुसलमानों को लगता है कि ये "सांस्कृतिक से ज़्यादा धार्मिक" है। 

 
हालांकि इंडोनेशा के एक नेता ने चीनी समुदाय के पक्ष में बयान दिया है। धार्मिक मामलों के मंत्री लुकमान हाकिम सैफ़ुद्दीन अलग-अलग सांस्कृति पृष्ठभूमि, धर्मों और परंपराओं को मानने वाले लोगों की मान्यताओं को बढ़ावा देते हैं। सैफ़ुद्दीन इनका सम्मान किए जाने की बात करते हैं।

 
उन्होंने कहा, "लोग ऐसे त्योहारों के बारे में जो भी सोचते या समझते हैं, उसे अलग रखकर मैं सबसे परंपराओं का सम्मान करने की अपील करता हूं।"

 
(सिंगापुर में बीबीसी न्यूज़ संवाददाता हेदर चेन, बीबीसी इंडोनेशिया संवाददाता क्रिस्टीन फ़्रैंसिका और जकार्ता से आयोमी अमीनदोनी की रिपोर्ट)

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