Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

चीन में कोरोना के बढ़ते मामले: भारत के पक्ष में क्या है, किन बातों का ख़्याल रखना ज़रूरी

हमें फॉलो करें चीन में कोरोना के बढ़ते मामले: भारत के पक्ष में क्या है, किन बातों का ख़्याल रखना ज़रूरी

BBC Hindi

, गुरुवार, 22 दिसंबर 2022 (07:51 IST)
चीन में लगातार बढ़ते कोरोना वायरस के मामले के बीच भारत में भी इसकी चर्चा बीते दो-तीन दिनों से ज़ोरों पर है। चीन में कोरोना संक्रमण अब तक की सबसे तेज़ रफ़्तार से बढ़ रहा है। चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में वहां कोरोना वायरस से 80 करोड़ लोग संक्रमित हो सकते हैं।
 
चीन के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया में भी कोरोना संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि चीन में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए संभावत: ओमिक्रॉन सबवेरिएंट BF।7 ज़िम्मेदार है।
 
बुधवार को इसी सबवेरिएंट के तीन मामले भारत में पाए गए। हालांकि समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, गुजरात के स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि जिन दो लोगों में ये सबवेरिएंट पाया गया था, वो अब ठीक हो चुके हैं।
 
इस बीच भारत सरकार ने 21 दिसंबर 2022 यानी बुधवार से एक बार फिर दूसरे देशों से आने वाले यात्रियों का एयरपोर्ट पर रैंडम कोरोना टेस्ट शुरू कर दिया है।
 
समझा जा रहा है कि चीन में ओमिक्रॉन सबवेरिएंड BF।7 के बढ़ते मामले और भारत में भी इस सब वेरिएंट के पाए जाने को देखते हुए ये फ़ैसला लिया गया है।
 
क्या चीन में बढ़ता कोरोना संक्रमण भारत के लिए चिंता का सबब है और क्या भारत इससे निबटने के लिए तैयार है? जो लोग कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज़ के साथ-साथ बूस्टर डोज़ भी ले चुके हैं क्या वो कोरोना वायरस की आने वाली किसी लहर से सुरक्षित रहेंगे?
 
चीन और दुनिया के कई अन्य देशों में बढ़ते संक्रमण के बीच भारत में लोगों को किस बात का ख़्याल रखना चाहिए?
 
इस बारे में एम्स, नई दिल्ली के पूर्व डीन प्रोफ़ेसर एनके मेहरा ने बीबीसी से बात की। उनके ही शब्दों में जानिए उन्होंने क्या कहा:-
 
भारत के लिए इतना ख़तरा नहीं है क्योंकि भारत में बड़ी तादाद में लोगों को ये संक्रमण हो चुका है। चीन में शुरू से ही ज़ीरो कोविड पॉलिसी रही है। उन्होंने लोगों को बाहर ही नहीं आने दिया। हमारे यहां ओमिक्रॉन के समय में ख़ास कर बहुत बड़ी संख्या में लोगों को ये संक्रमण हो गया था।
 
ये नैचुरल इन्फ़ेक्शन बहुत अच्छा होता है। ये लंबे समय तक इम्युनिटी को बनाए रखता है और अगर आपने वैक्सीन भी ली हो तो नैचुरल इम्युनिटी के साथ वैक्सीन इम्युनिटी जुड़ जाती है।
 
भारत में बड़ी संख्या में लोगों को नैचुरल इन्फ़ेक्शन हुआ था, उनमें से कई एसिम्टोमैटिक यानी बिना किसी लक्षण वाले मामले थे। वहीं बहुत सारे लोगों ने नैचुरल इन्फ़ेक्शन के साथ वैक्सीन भी ली थी। भारत में अधिकतर लोगों ने दो डोज़ तो ले लिया है।
 
चीन में बढ़ते संक्रमण की वजह
चीन में उनकी ज़ीरो कोविड पॉलिसी की वजह से ऐसा नहीं हो सका। चीन में एक बड़ी आबादी है जिनको कोरोना संक्रमण हुआ ही नहीं। चीन ने कोरोना वायरस के दो वैक्सीन दिए थे, साइनोवैक और साइनोफ़ार्म।
 
लेकिन चीन के सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन के पूर्व निदेशक गाओ फ़ू ने ख़ुद माना था कि चीन की इन वैक्सीन का असर बहुत कम है।
 
इन दोनों फ़ैक्टर्स ने वहां काम किया। एक तो ज़ीरो कोविड की पॉलिसी और फिर उनकी वैक्सीन का कम असरकारी होना। क्योंकि अगर आपने केवल वैक्सीन ली है तो इसके लेने से आपके शरीर में जो एंटीबॉडी बनती है उसका असर छह महीने के बाद बहुत कम रह जाता है। यानी एंटीबॉडी नहीं रह जाती है।
 
अगर वैक्सीन कमज़ोर है तो मेमरी सेल या टी-सेल भी नहीं बन पाएंगे। ये इम्यून सिस्टम की याददाश्त की तरह काम करते हैं। टी-सेल वायरस को पहचान कर याद रखने का काम करते हैं ताकि अगली बार वही वायरस अगर हमला करे तो वो शरीर के इम्यून सिस्टम को सचेत कर सकें। ये अगले लेयर को सक्रिय करते हैं और इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाते हैं।
 
भारतीय वैक्सीन बहुत असरकारी
भारत के दोनों वैक्सीन कोवैक्सीन और कोविशिल्ड दोनों ही बहुत असरकारी हैं। अगर कोई वैक्सीन 80 फ़ीसद से अधिक कारगर होती है तो उसको बहुत अच्छी वैक्सीन कहा जाता है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ ये 60 प्रतिशत से अधिक कारगर वैक्सीन के लिए कहा जाता है। हमारी वैक्सीन तो डब्ल्यूएचओ के मानदंड से कहीं ऊपर है।
 
कोरोना के तेज़ी से बढ़ते मामलों के बीच भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नई अधिसूचना जारी की है।
 
इसमें पांच चरण वाले कोविड उपायों के पालन की सलाह दी गई है। ये पांच चरण वाले उपाय हैं- टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण और कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन।
 
कोरोना के तेज़ी से बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके वेरिएंट को ट्रैक करने के लिए सभी पॉज़िटिव केस की जीनोम सीक्वेंसिंग करने की सलाह भी दी गई है।
 
इस नोटिस में हर दिन सामने आने वाले कोरोना के मामलों के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए लैब में भेजने की अपील की गई है।
 
लोगों के लिए सलाह
जीनोम सीक्वेंसिंग बहुत ज़रूरी है। जिन लोगों का ट्रांसप्लांट हुआ है, जो कैंसर के मरीज़ हैं, डायबिटीज़ के मरीज़ हैं या किसी अन्य ऑटो इम्यून बीमारी से पीड़ित हैं या बुज़ुर्ग हैं। ऐसे लोगों को हमारी तरफ़ से ये ही सुझाव है कि जब भी बाहर जाएं और अगर बंद जगह पर जाएं तो मास्क पहन कर जाएं, दूसरे व्यक्ति ने मास्क पहना हो या न पहना हो।।। आप मास्क पहन कर ही जाएं।
 
वैसे ओमिक्रॉन जिन लोगों को भी हुआ है उन्हें बहुत परेशानी नहीं हुई, लेकिन अगर इन्फ़ेक्शन बढ़ना शुरू होगा तो हो सकता है कि उससे बुज़ुर्गो को कठिनाई हो।
 

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

2020 में मीथेन क्यों बढ़ी? जवाब डरावना है