मोहित कंधारी
कंटीले तारों से घिरे जम्मू शहर के बीच पिछले तीन दिनों से सन्नाटा पसरा हुआ है। पूरे शहर में कर्फ्यू जैसे हालात बने हुए हैं। भारत प्रशासित कश्मीर की तरह ही जम्मू शहर में धारा 144 लागू की गई है। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए जगह-जगह सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।
सोमवार सुबह जिस समय देश के गृह मंत्री अमित शाह संसद में अनुच्छेद 370 को हटाने के फ़ैसले की घोषणा कर रहे थे, उसी समय से जम्मू के लोग अपने घरों में क़ैद हैं।
बुधवार सुबह से आम जनता को राहत देने के लिए मामूली ढील बरती जा रही है। इस बीच पड़ोसी राज्यों से आये पर्यटक और श्रद्धालु भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
कुछ मुट्ठी भर कार्यकर्ताओं को लेकर भाजपा नेताओं ने अख़बार और टीवी पर अपनी तस्वीर छपवाने के लिए तिरंगा झंडा हाथ में लेकर तस्वीर खिंचवाई और ढोल-नगाड़े बजाते हुए मिठाइयाँ भी बाँटी।
जम्मू को हक़ मिलेगा
अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने का बिल लोकसभा से पारित होने के बाद मंगलवार की शाम जम्मू कश्मीर विधानसभा स्पीकर डॉ. निर्मल सिंह ने अपने सरकारी वाहन से जम्मू-कश्मीर का झंडा उतार दिया।
निर्मल सिंह ने कहा, 'एक विधान और एक निशान का सपना साकार हुआ है। यह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित प्रेमनाथ डोगरा और प्रजा परिषद के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है। 1953 से इसके लिए राज्य में संघर्ष किया जा रहा था।
उन्होंने कहा कि 'अनुच्छेद 370 को हटाए जाने से राज्य में विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। यह यहां के लोगों की भावनाओं का भी सम्मान है।' हिंदू बहुल जम्मू इलाक़े में कुछ लोगों ने फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि 'अनुछेद 370 के हट जाने की वजह से जम्मू को अब अपना हक़ मिलेगा और पड़ोसी राज्यों से निवेशक आ कर यहाँ फैक्ट्री खोलेंगे और बेरोज़गारी की समस्या को हल करने में सरकार की मदद करेंगे।'
हालांकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि 'सरकार ने ये फ़ैसला करके बहुत बड़ी ग़लती की है। इस फ़ैसले से कश्मीर घाटी के लोगों की नाराज़गी और बढ़ जाएगी और शायद आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ेंगे।' बीबीसी हिंदी से बात करते हुए जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील शेख़ शकील ने इसे 'असंवैधानिक' फ़ैसला क़रार दिया।
जम्मू-कश्मीर में फासला बढ़ेगा
उनका कहना था, 'अगर सरकार मानती है कि यह फ़ैसला जम्मू और कश्मीर के लोगों के हक़ में लिए गया फ़ैसला है तो फिर सड़कों पर किसी को जश्न मानाने की इजाज़त क्यों नहीं दी गई। क्यों सरकार को भारी संख्या में सेना को तैनात करना पड़ा।'
वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूज़ी एक्शन समिति के प्रधान लाभा राम गांधी ने बीबीसी हिंदी से कहा, 'इस ऐतिहासिक फ़ैसले से हमारी 70 साल पुरानी ग़ुलामी ख़त्म हो जाएगी।'
गांधी के मुताबिक़, 'हम लोग अधिकारों और नागरिकता हासिल करने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। उम्मीद है कि इस फ़ैसले के आने के बाद अब हमें हमारे हक़ मिलेंगे और हम भी अपना सिर उठा कर जी सकेंगे।'
जम्मू के व्यापारी संजीव गुप्ता मानते हैं कि 'इस फ़ैसले से जम्मू और कश्मीर के बीच का फासला मिट जाएगा। केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद दोनों को बराबर का हक़ मिलेगा और निवेश की संभावनाएं बढेंगी।'
राजनितिक विश्लेषक और जम्मू यूनिवर्सिटी में इतिहास विभाग के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर हरी ओम का कहना है कि 'जम्मूवासियों ने 70 सालों तक एक लम्बी लड़ाई लड़ी, जिसके परिणाम में उन्हें आज यह दिन देखने को मिला है।'
उनका कहना है कि 'अनुच्छेद 370 और 35-A की आड़ में कुछ चुनिंदा राजनेता केंद्र सरकार को गुमराह करते थे। अनुच्छेद 370 के हट जाने के बाद अब जम्मू कश्मीर में नया दौर शुरू होगा।'
इस फ़ैसले से प्रदेश में रहने वाली महिलाओं ने भी राहत की साँस ली है। अब तक अनुच्छेद 370 और 35 ए की वजह से रियासत की बेटियों को बाहरी राज्यों में शादी करने पर पैतृक सम्पति के अधिकार से महरूम रखा जाता था।
निवेश की उम्मीद बढ़ी
मोनिका गुप्ता ने बताया कि इस फ़ैसले से शादी के बाद जम्मू-कश्मीर के बाहर रहने वाली बेटियों को भी पैतृक सम्पति में उनका हक़ मिलेगा। पेशे से कलाकार पूजा का मानना है कि निवेश बढ़ने से यहां उद्योग धंधे भी लगेंगे और उनके लिए ज़मीन की भी ज़रूरत होगी।
वो कहती हैं, 'किसान अपनी कृषि योग्य भूमि का तो सौदा नहीं करेंगे, लेकिन अगर किसी के पास इसके अलावा ज़मीन होगी और सरकार उसके अच्छे दाम देगी तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।' इस फ़ैसले से निवेश की स्थिति सुधरने के दावे किए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि इससे रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।
जम्मू में अपना ख़ुद का कारोबार संभाल रहे पवन दीप सिंह मेहता कहते हैं, 'यह एक बहुत अच्छी पहल है और बेरोज़गार नौजवानों को रोज़गार दिलाने में काफ़ी लाभकारी साबित हो सकती है। हालांकि जम्मू-कश्मीर में निवेश की संभावनाएं तो हैं लेकिन अब भी ज़मीन पर माहौल अनुकूल नहीं है। अभी ये देखना बाक़ी है कि कश्मीर घाटी में आम आदमी इस फ़ैसले के बाद किस प्रकार से रहेगा। क्या वो अपनी ज़मीन बेचने के लिए तैयार होगा या नहीं।'
पेशे से किसान यशपाल सिंह कहते हैं, 'अभी निवेश आने में थोड़ा समय लगेगा।" उन्होंने फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा चूँकि जम्मू-कश्मीर अब भी एक 'डिस्टर्ब एरिया' है इसलिए यह कहना कठिन है कि कितने निवेशक यहाँ आकर अपनी पूँजी लगाएँगे।'
जम्मू के ग्रेटर कैलाश इलाके में दवा विक्रेता मोहित रैना कहते हैं, 'निवेश के लिए सबसे ज़रूरी है ज़मीन। सरकार निवेशकों को कितनी ज़मीन दिलवाने में क़ामयाब होती है और कितने लोग अपनी मर्ज़ी से उपजाऊ ज़मीन का सौदा करते हैं यह सबसे अहम बात है।'
भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम
उनका कहना है, 'हम भी चाहते हैं हमारे राज्य में निवेश आए और आने वाली पीढ़ी के लिए रोज़गार के अवसर पैदा हों, उन्हें बाहरी राज्यों का रुख़ नहीं करना पड़े।'
देव योगराज गोस्वामी ने कहा, 'जो निवेशक अपनी मर्ज़ी से जम्मू-कश्मीर में निवेश करना चाहते हैं उनकी वजह से रोज़गार की समस्या का हल होगा और नौजवानों का भविष्य सुधरेगा।'
चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स और इंडस्ट्री, जम्मू के प्रधान राकेश गुप्ता ने एक बयान जारी कर कहा है, 'बड़े बड़े उद्योगपति अब यहाँ जम्मू-कश्मीर में निवेश कर सकेंगे और रोज़गार के अवसर प्रदान करेंगे।' उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक फ़ैसले से भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी।