ज़ुबैर अहमद, बीबीसी संवाददाता
कहते हैं कि अगर पड़ोस में सब ठीक चल रहा हो तो अपने घर में भी शांति बनी रहती है और अगर पड़ोस में अशांति और अनिश्चितता का माहौल हो तो घर में में चिंताएं बढ़ जाती हैं।
तो क्या पाकिस्तान में जारी सियासी संकट और श्रीलंका में चल रहे भीषण आर्थिक संकट से भारत को चिंता होनी चाहिए? विशेषज्ञ कहते हैं कि श्रीलंका और पाकिस्तान में जारी संकट का भारत पर असर पड़ना लाज़िमी है।
श्रीलंका का संकट और भारत
ऐसा देखा गया है कि श्रीलंका में जब भी कोई संकट पैदा होता है या हिंसा होती है तो वहां की तमिल आबादी का तमिलनाडु में पलायन होता है। श्रीलंका में दशकों तक जारी रहे गृहयुद्ध के दौरान हमने देखा है कि श्रीलंका के लाखों तमिल भाषी लोगों ने भारत आकर पनाह ली।
श्रीलंका में भारी बेरोज़गारी और आर्थिक संकट गहराने के बाद से वहां के तमिल नागरिक एक बार फिर भारत की ओर पलायन कर रहे हैं।
तमिलनाडु के लिए चिंता की वजह
ये तमिलनाडु के लिए एक चिंता का विषय है। 22 मार्च को रामेश्वरम तट पर दो जत्थों में आए 16 श्रीलंकाई तमिल इसका एक उदाहरण हैं। भारत सरकार ने हाल में आने वाले श्रीलंकाई तमिलों की संख्या पर अब तक आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है।
लेकिन सरकारी सूत्रों का अनुमान है कि श्रीलंका के हालात को देखते हुए भारत आने वाले शरणार्थियों की संख्या बढ़ेगी।
श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा की भारी कमी है। उसे 51 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज़ को चुकाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
कमरतोड़ महंगाई और बिजली कटौती के साथ-साथ श्रीलंका भोजन, ईंधन और अन्य ज़रूरी चीज़ों की भारी कमी का सामना कर रहा है। लोगों में अशांति और बड़े पैमाने पर विरोध को देखते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने शुक्रवार को देश में आपातकाल लागू करने का एलान कर दिया था।
भारत की ओर से मदद का वादा
भारत ने श्रीलंका आर्थिक और ऊर्जा संकट से निपटने और ईंधन, भोजन और दवाओं की खरीद के लिए 1।5 अरब डॉलर से अधिक की वित्तीय सहायता दी है।
पिछले हफ़्ते अपनी तीन दिनों की श्रीलंका यात्रा के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने श्रीलंका की सरकार को भारत की सहायता जारी रखने का वादा किया। उन्होंने एक ट्वीट में भारत के निरंतर सहयोग का आश्वासन दिया।
जयशंकर ने अपनी यात्रा के दौरान श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे के साथ भी बातचीत की थी। बासिल राजपक्षे आर्थिक संकट से निपटने के उपायों पर भारतीय पक्ष के साथ कोऑर्डिनेट कर रहे थे।
लेकिन चार अप्रैल को ख़बर आई कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने अपने भाई और वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे को बर्ख़ास्त कर दिया है।
श्रीलंका से आई कई रिपोर्टों में कहा गया है कि श्रीलंका ने एक अरब डॉलर के एक और क्रेडिट की मांग की है।
श्रीलंका की ताज़ा स्थिति
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने वित्त मंत्री के पद पर अली साबरी को नियुक्त किया है। रविवार रात तक अली साबरी के पास देश के न्याय मंत्रालय की ज़िम्मेदारी थी।
पद से हटाए जाने से पहले बासिल राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से राहत पैकेज हासिल करने के लिए अमेरिका के दौरे पर जाने वाले थे।
देश के सत्तारूढ़ गठबंधन श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन में बासिल की भूमिका को लेकर नाराज़गी का भाव था।
पिछले महीने बासिल की सार्वजनिक तौर पर आलोचना करने की वजह से महिंदा राजपक्षे की कैबिनेट के कम से कम दो मंत्रियों को पद से बर्ख़ास्त कर दिया गया था।
रविवार की रात महिंदा राजपक्षे कैबिनेट के सभी 26 मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
इस बीच श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर अजित निवार्ड ने भी अपने इस्तीफ़े की घोषणा कर दी है। आईएमएफ़ से राहत पैकेज हासिल करने के मुद्दे पर अजित निवार्ड को अपने अड़ियल रवैये के कारण कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
भारत-श्रीलंका व्यापार
भारत ने श्रीलंका में बिजली कटौती में संकट को कम करने के लिए 40,000 मीट्रिक टन डीज़ल की लगभग चार खेप भी भेजी है। इसके अलावा भारत जल्द ही 40,000 टन चावल की शिपमेंट भी भेज रहा है।
भारत अपने वैश्विक व्यापार के लिए कोलंबो बंदरगाह पर भी निर्भर है क्योंकि भारत के ट्रांस-शिपमेंट का 60 प्रतिशत इसी बंदरगाह द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
भारत श्रीलंका के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक है। श्रीलंका से बड़ी संख्या में सैलानी भारत भी आते हैं।भारत का श्रीलंका को सालाना लगभग 5 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जो उसके कुल निर्यात का 1.3 फ़ीसदी है। भारत ने देश में पर्यटन, रियल एस्टेट, विनिर्माण, संचार, पेट्रोलियम ख़ुदरा आदि के क्षेत्रों में भी निवेश किया है।
भारत श्रीलंका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। देश की कुछ बड़ी कंपनियों ने श्रीलंका में निवेश भी कर रखा है।
हाल के वर्षों में श्रीलंका और चीन के बीच सहयोग बढ़ा है और चीन ने श्रीलंका में काफी बड़े प्रोजेक्ट्स में निवेश किया है। लेकिन श्रीलंका में ताज़ा संकट में चीन की मदद नज़र नहीं आ रही है
पाकिस्तान का संकट और भारत पर इसका असर
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के ज़ोरदार आलोचक रहे हैं। लेकिन ये भी सच है कि वास्तविक सीमा पर तनाव 2021 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर है।
भारतीय राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना इस्लामाबाद में एक नई सरकार पर कश्मीर में सफल संघर्ष विराम के निर्माण के लिए दबाव डाल सकती है।
पाकिस्तान इस समय राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। पीएम इमरान ख़ान ने संसद भंग करने के बाद नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की है। विपक्ष ने इस क़दम को देशद्रोह बताया है। पीएम इमरान ख़ान का दावा है कि उन्हें हटाने के लिए विपक्ष ने अमेरिका के साथ मिलकर साज़िश रची है।
इमरान ख़ान ने रूस के यूक्रेन पर हमले की निंदा नहीं की जबकि पाकिस्तानी सेना चाहती कि वो यूक्रेन युद्ध में अमेरिका का पक्ष लें।
विशेषज्ञों के अनुसार, इससे न केवल पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों पर असर हुआ है बल्कि पाकिस्तान कूटनीतिक रूप से पश्चिमी देशों से भी अलग-थलग होता नज़र आ रहा है।
बीबीसी हिंदी के ट्विटर स्पेसेज़ प्रोग्राम में विश्लेषक स्वस्ति राव ने कहा कि पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर दुनिया से अलग-थलग करने के लिए भारत को कुछ मेहनत नहीं करनी पड़ी, ये काम ख़ुद पाकिस्तान ने अपने लिए कर लिया है।