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गुरमेहर कौर के पोस्टर के पीछे जो वीडियो है, उसकी पूरी कहानी ये रही

हमें फॉलो करें गुरमेहर कौर के पोस्टर के पीछे जो वीडियो है, उसकी पूरी कहानी ये रही
, मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017 (14:11 IST)
दिल्ली के रामजस कॉलेज में लेफ़्ट और राइट विचारधारा वाले स्टूडेंट के बीच हुई झड़प के बाद सारा फ़ोकस फिलहाल एक युवती पर आ गया है। युवती का नाम है गुरमेहर कौर जो दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ती हैं। 22 फ़रवरी 2016 को उन्होंने फ़ेसबुक पर अपनी प्रोफ़ाइल पिक्चर बदली थी।
और यहीं से ये कहानी शुरू हुई। इसमें गुरमेहर एक पोस्टर के साथ दिख रही हैं। इस पर लिखा है, ''मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा हूं। मैं एबीवीपी से नहीं डरती। मैं अकेली नहीं हूं। भारत का हर छात्र मेरे साथ है। इसके बाद सोशल मीडिया पर कई छात्र-छात्राओं ने #StudentsAgainstABVP के हैशटैग के साथ ऐसा ही संदेश लिखकर अपनी तस्वीर डालनी शुरू की।
 
लेकिन बवाल इस पर नहीं हुआ। हंगामा मचा गुरमेहर की उस तस्वीर पर जिसमें वो एक प्लेकार्ड लिए खड़ी हैं। इस पर अंग्रेज़ी में लिखा है, ''पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है।''
 
इसके बाद पूर्व बल्लेबाज़ वीरेंद्र सहवाग ने एक प्लेकार्ड लेकर तस्वीर डाली जिस पर लिखा था, ''मैंने दो तिहरे शतक नहीं लगाए, बल्कि मेरे बल्ले ने ऐसा किया।''... इसके बाद सोशल मीडिया पर जंग शुरू हो गई। ना केवल सेंस ऑफ़ ह्यूमर दिखा बल्कि गुरमेहर को ट्रोल किया गया। उन्होंने इसकी शिकायत भी दर्ज कराई है।
 
उन्होंने सोमवार को कहा, ''कई बड़े लोग मेरी देशभक्ति पर सवाल उठा रहे हैं। मुझे राष्ट्रद्रोही कहा जा रहा है। उन्हें असल में पता ही नहीं कि देशभक्ति किसे कहते हैं।''
 
गुरमेहर ने कहा, ''जो हमने शुरू किया है, ये कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है। और मैं सभी को ये साफ़ करना चाहती हूं। ये किसी राजनीतिक दल की बात नहीं है। ये कैम्पस की रक्षा करने का सवाल है।''
 
दरअसल, गुरमेहर कारगिल युद्ध में मारे गए मनदीप सिंह की बेटी हैं। अब सवाल उठता है कि जिस पोस्टर पर इतना बवाल हुआ, वो कब का है। ये हाल का नहीं, बल्कि साल भर पहले अप्रैल महीने का है। दरअसल, ये यूट्यूब पर वायरल हुए उस वीडियो का हिस्सा है, जिसमें गुरमेहर ने बिना कुछ बोले अपनी कहानी बताई थी।
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ये वीडियो अब तक 71 हज़ार से ज़्यादा बार देखा जा चुका है और इस वीडियो के बाद पाकिस्तान से भी इस तरह के वीडियो सामने आए थे। आइए जानते हैं कि गुरमेहर की जिस लाइन पर इतना हंगामा मचा है, उसका पूरा मतलब क्या है और इसमें क्या-क्या लिखा है।
 
*मेरा नाम गुरमेहर कौर है।
*मैं भारत के जालंधर शहर की रहने वाली हूं।
*ये मेरे पिता कैप्टन मनदीप सिंह हैं।
*वो 1999 के कारगिल युद्ध में मारे गए थे।
*मैं दो साल की थी, जब उनका निधन हुआ।
*उनसे जुड़ी बहुत कम यादें हैं मेरे पास।
 
पिता नहीं होते तो कैसा महसूस होता है, इसकी ज़्यादा यादें हैं मेरे पास। मुझे याद है कि मैं पाकिस्तान और पाकिस्तानियों से कितना नफ़रत करती थी, क्योंकि उन्होंने मेरे पिता को मारा था। मैं मुसलमानों से भी नफ़रत करती थी, क्योंकि मैं सोचती थी कि सभी मुस्लिम पाकिस्तानी होते हैं। जब मैं छह साल की थी तो बुर्का पहनी एक महिला को चाकू मारने की कोशिश भी की।
 
किसी अनजान वजह से मुझे लगा कि उसने मेरे पिता को मारा होगा। मेरी मां ने मुझे रोका और समझाया कि पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है। वक़्त लगा लेकिन आज मैं अपनी नफ़रत को ख़त्म करने में कामयाब रही। ये आसान नहीं था लेकिन मुश्किल भी नहीं था।
 
अगर मैं ऐसा कर सकती हूं तो आप भी कर सकती हैं। आज मैं भी अपने पिता की तरह सैनिक बन गई हूं।
मैं भारत-पाकिस्तान के बीच अमन के लिए लड़ रही हूं। क्योंकि अगर हमारे बीच कोई जंग ना होती, तो मेरे पिता आज ज़िंदा होते।
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मैंने ये वीडियो इसलिए बनाया ताकि दोनों तरफ़ की सरकारें दिखावा करना बंद करें और समस्या का समाधान दें।
अगर फ़्रांस और जर्मनी दो विश्व युद्ध के बाद दोस्त बन सकते हैं। जापान और अमरीका अतीत को पीछे छोड़ आगे देख सकते हैं।
 
तो हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते?
ज़्यादातर भारत और पाकिस्तानी शांति चाहते हैं, जंग नहीं।
मैं दोनों देशों के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा रही हूं।
हम तीसरे दर्जे के नेतृत्व के साथ पहले दर्जे का मुल्क़ नहीं बन सकते।
प्लीज़ तैयार हो जाइए। एक-दूसरे से बातचीत कीजिए और काम पूरा कीजिए।
 
स्टेट प्रायोजित आतंकवाद बहुत हो चुका।
स्टेट प्रायोजित जासूस बहुत हुए।
स्टेट प्रायोजित नफ़रत बहुत हुई।
सरहद के दोनों तरफ़ कई लोग मारे जा चुके हैं।
बस, बहुत हुआ। मैं ऐसी दुनिया चाहती हूं, जहां कोई गुरमेहर कौर ना हो, जिसे अपने पिता की याद सताती हो। मैं अकेली नहीं। मेरे जैसे कई हैं।
 
दिक्कत ये है कि इस पूरे वीडियो में दिखाए गए प्लेकार्ड में से एक ही वायरल हुआ और कहानी कुछ और बन गई। गुरमेहर के पूरे वीडियो को देखा जाए तब समझ आता है कि वो क्या कहना चाहती थीं।

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