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कुवैत की उस इमारत में सुबह-सुबह कैसे लगी आग, मारे गए लोगों के परिजन क्या कह रहे हैं?

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BBC Hindi

, गुरुवार, 13 जून 2024 (15:57 IST)
इमरान क़ुरैशी, बेंगलुरु से, बीबीसी हिंदी के लिए
केरल के कोल्लम के रहने वाले उमरुद्दीन शमीर का परिवार इतने सदमे में है कि उनके फ़ोन पर जवाब भी उनके पड़ोसी दे रहे हैं। एक भारतीय मालिक की तेल कंपनी में ड्राइवर का काम करने वाले 29 साल के उमरुद्दीन कुवैत की एक इमारत में लगी आग में मारे गए लोगों में से एक थे।
 
पड़ोसी ने अपना नाम न ज़ाहिर करते हुए बीबीसी हिंदी को बताया, 'वे लोग सदमे में हैं। कुछ घंटे पहले ही परिवार को इसकी जानकारी मिली है। उमरुद्दीन की नौ महीने पहले ही शादी हुई थी, जब वो यहां आये हुए थे। उनके माता पिता बात करने की स्थिति में नहीं हैं।'
 
कुवैत में उमरुद्दीन के दोस्त नौफ़ाल ने बीबीसी हिंदी से कहा, 'मैं उनके परिवार के बारे में बहुत कुछ नहीं जानता। मैं उनसे तीन इमारत दूर रहता हूं। हम सभी एक ही तेल कंपनी में काम करते हैं। उमरुद्दीन एक मज़दूर थे। ये कहना मुश्किल है कि उस इमारत में कौन था और कौन नहीं।'
 
नौफ़ाल ने कहा, 'तेल कंपनी में काम करने वाले लोग शिफ़्टों में काम करते थे। सात लोगों का एक ग्रुप तड़के ही कंपनी में काम के लिए गया था, शायद डेढ़ बजे के आस पास। वे लौट आए हैं और वे पूरी तरह सदमे में हैं।'
 
नौफ़ाल के मुताबिक, उस इमारत में अधिकांश भारत, ख़ासकर केरल और तमिलनाडु के लोग रहते थे। हालांकि अन्य देशों के लोग भी वहां रहते थे।
 
लेकिन केरला मुस्लिम कल्चरल सेंटर (केएमसीसी) की कुवैत यूनिट के शरफ़ुद्दीन कोनेत्तु ने बीबीसी हिंदी को बताया, 'हम अब भी पीड़ितों को तलाश रहे हैं जो शायद मारे गए हैं या घायल हैं।'
 
शरफ़ुद्दीन घटनास्थल पर ही थे। उन्होंने बताया कि हम कई शवों को पहचान नहीं कर सके क्योंकि बेसमेंट से लगी आग छह माले की इमारत में पूरी तरह फैल गई थी। अभी तक कम से कम 11 भारतीयों की पहचान हुई है, जिनकी मौत हो गई और दो लोगों की हालत गंभीर है। हमें कुछ शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट का सहारा लेना पड़ सकता है।
 
प्रत्यक्षदर्शियों ने क्या बताया
तमिलनाडु के मणिकंदन कुवैत में मज़दूरी करते हैं। उन्होंने बीबीसी तमिल से आग लगने की इस घटना के बारे में बात की। मणिकंदन ने बताया कि जहां आग लगने की घटना हुई, मैं वहां पास में ही एक अपार्टमेंट में रहता हूं। चूंकि गर्मियों का मौसम है इसलिए ज़्यादातर मज़दूर नाइट शिफ़्ट में काम कर रहे हैं। कुछ मज़दूर जो नाइट शिफ़्ट करके तड़के लौटे थे, वे काम से लौटने के बाद खाना बना रहे थे। जैसे ही आग लगी, ये तेज़ी से फैलने लगी। जो लोग इमारत में मौजूद थे, वे आग पर काबू पाने की स्थिति में नहीं थे।
 
इमारत में रहने वाले ज़्यादातर लोग भारत से थे, ख़ासकर केरल और तमिलनाडु से। उस इमारत में रहने वाले किसी व्यक्ति मैं निजी तौर पर नहीं जानता हूं लेकिन आग लगने के दौरान फैले धुएं से मैंने कई लोगों का दम घुटते हुए देखा। उनमें से कुछ लोग सो रहे थे क्योंकि वो सुबह का वक़्त था।
 
इस घटना में बच गए एक व्यक्ति ने कहा, 'मैं पांचवें माले पर सो रहा ता और अचानक पड़ोसियों ने दरवाज़ा खटखटाया। जब मैं बाहर आया, वहां कुछ नहीं दिख रहा था सिवाय काला धुआं के। मैं कुछ नहीं देख पा रहा था।'
 
उन्होंने कहा, 'जिन लोगों ने मेरा दरवाज़ा खटखटाया था, वे जान बचाने के लिए दूसरी ओर चले गए। इसलिए हम बाकी कमरों में रह रहे लोगों का दरवाजा नहीं खटखटा सके। मेरे कमरे की खिड़की बड़ी थी इसलिए हम सभी चार लोग वहीं रहे और उसी रास्ते बाहर निकले। लेकिन मेरे पड़ोस के कमरे की खिड़की छोटी थी इसलिए वे निकल नहीं पाए।'
 
कुवैत में एक बहुमंज़िला इमारत में आग लगने की घटना में मारे गए 49 लोगों में से अधिकतर भारतीय हैं। कुवैत में भारत के राजदूत ने अस्पतालों का दौरा कर घायलों का हालचाल पूछा। इस घटना में क़रीब 50 लोग घायल भी हुए हैं।
 
अधिकारियों ने बताया कि क़ुवैत के मंगाफ़ इलाके के एक छह मंज़िला बिल्डिंग के किचन से आग की शुरुआत हुई। उस समय में बिल्डिंग में 160 मज़दूर मौजूद थे। सभी मज़दूर एक ही कंपनी में काम करते हैं।
 
प्रधानमंत्री ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'कुवैत में आग की घटना दुखद है। मेरी संवेदनाएं उन सभी के साथ हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल जल्द से जल्द ठीक हो जाएं।'
 
कुवैत में भारतीय दूतावास स्थिति पर नज़र बनाए हुआ है और इस घटना से प्रभावित हुए लोगों की सहायता के लिए वहां के अधिकारियों के साथ काम कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह कुवैत जा रहे हैं।
 
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर लिखा है कि उन्होंने कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्ला अली अल-याह्या से बात की है। उन्होंने दुर्घटना की पूरी जांच और दोषियों को सज़ा दिलाने का आश्वासन दिया है।
 
कुवैत में नेपाल के राजदूत घनश्याम लमसल के मुताबिक़ इस बात की पुष्टि हो गई है कि आवास में कुल पांच नेपाली रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि पांच लोगों में से दो सुरक्षित हैं और तीन घायल हैं। दूतावास की टीम उनकी स्थिति की जांच करने के लिए अस्पताल गई है।
 
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पीड़ित परिवारों की हालत ख़राब
48 साल के लुकोसे कुवैत की कंपनी एनबीटीसी में फोरमैन थे। केरल में उनका परिवार सदमे में है। लुकोसे के माता-पिता बुज़ुर्ग हैं। माँ 86 साल की हैं और पिता 93 साल के हैं। पिछले साल लुकोसे केरल में ही थे और उम्मीद थी कि वह जल्द ही कुवैत से वापस आते। लुकोसे की पत्नी और बच्चों पर तो मानों दुख का पहाड़ टूट गया है। रोते-रोते इनकी हालत ख़राब है। घर में लुकोसे ही एकमात्र कमाने वाले थे। उनसे ही पूरा घर चल रहा था।
 
उन्नानादी मैथ्यु लुकोसे के छोटे भाई हैं। उन्होंने बीबीसी हिन्दी से कहा कि लुकासे पिछले 18 सालों से कुवैत की एनबीटीसी कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे थे। लुकोसे की एक बेटी 11वीं क्लास में पढ़ रही हैं और दूसरी बेटी पाँचवीं क्लास में हैं। मैथ्यु ने कहा, 'हमें टीवी से ख़बर मिली। लुकोसे के कंधों पर ही पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी थी। जिस इमारत में आग लगी, उसे मैंने देखी थी। दो साल पहले मैं भी वहीं काम करता था और अपने भाई से मिलने जाता था।'
 
केरल में कोट्टयम के 29 साल के स्टेफिन साबु के परिवार की हालत भी कुछ ऐसी ही है। साबु के पिता बीमार हैं और माँ बात करने की स्थिति में नहीं हैं। स्थानीय चर्च के एक सदस्य बाबू मैथ्यु ने कहा कि हम पूरी रात उस परिवार के साथ थे। यह परिवार किसी से बात करने की स्थिति नहीं है। स्टेफिन अगले महीने घर आने वाले थे। यह घर उन्होंने ही बनाया था और इसका गृह प्रवेश था।
 
स्टेफिन ने राजीव गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से एमटेक की पढ़ाई की थी। इस पढ़ाई के बाद वह कुवैत की कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने गए थे। इनके छोटे भाई भी कुवैत में ही हैं लेकिन वह दूसरी कंपनी में काम करते हैं।
 
कुवैत के गृह मंत्री फ़हद यूसुफ़ अल सबाह ने घटनास्थल का दौरा किया है। मौके पर पत्रकारों से बात करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि संपत्ति मालिकों का लालच इस घटना का कारण है। कुवैती मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस इमारत में क्षमता से अधिक लोग रह रहे थे। गृह मंत्री ने कहा है कि संपत्ति क़ानून के उल्लंघनों की जांच की जाएगी।
 
भारतीय दूतावास ने इस दुखद घटना के बाद एक हेल्पलाइन नंबर +965-65505246 जारी किया है। सहायता के लिए लोग इस नंबर पर कॉल कर सकते हैं। कुवैत में दो-तिहाई आबादी प्रवासी मज़दूरों की है। ये देश बाहरी मज़दूरों पर निर्भर है, ख़ासकर निर्माण और घरेलू क्षेत्र में। मानवाधिकार समूह कई बार कुवैत में प्रवासियों के जीवनस्तर को लेकर सवाल उठा चुके हैं।

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