प्रवीण काले, बीबीसी मराठी के लिए
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व करने वाली शिवसेना में विद्रोह ने सरकार के लिए एक गंभीर संकट पैदा कर दिया है। महाराष्ट्र की राजनीति में घटनाक्रम तेज़ी से बदलते हुए देखा जा सकता है।
अमरावती की सांसद नवनीत राणा के बयान को इस संदर्भ में लिया जा सकता है। उन्होंने शनिवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।
नवनीत राणा ने कहा, "मैं गृह मंत्री अमित शाह से उन विधायकों के परिवारों को सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह करती हूं जिन्होंने उद्धव ठाकरे को छोड़ दिया है और अपना निर्णय लिया है। उद्धव ठाकरे की बदमाशी खत्म होनी चाहिए। मैं राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करती हूं।"
सांसद नवनीत राणा ने ये बयान शिवसेना के बागी विधायक तानाजी सावंत के कार्यालय में गुस्साए कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़फोड़ के बाद दिया है। तानाजी सावंत शिवसेना के उन विधायकों में से एक हैं जो एकनाथ शिंदे के समूह में शामिल हैं। फिलहाल वे सभी बागी विधायकों के साथ गुवाहाटी में हैं।
शिवसेना के एक स्थानीय नेता ने पुणे में दावा किया था कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने तानाजी सावंत के कार्यालय में तोड़फोड़ की है।
संजय राउत की चेतावनी
संजय राउत ने भी दो दिन पहले ट्वीट किया था कि महाराष्ट्र में राजनीतिक हालात विधानसभा बर्खास्त करने की ओर बढ़ रहे हैं। राउत के ट्वीट के बाद संभावना जताई जा रही थी कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
नवनीत राणा की मांग के बाद एक बार फिर राष्ट्रपति शासन को लेकर चर्चा चल रही है तो, क्या महाराष्ट्र वास्तव में राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ने लगा है?
राष्ट्रपति शासन कब लगाया जा सकता है?
हमने यह पता लगाने के लिए संविधानविद उल्हास बापट से संपर्क किया कि राज्य में वर्तमान स्थिति में राष्ट्रपति शासन कब लगाया जा सकता है?
वे कहते हैं, "अगर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राज्य में इस्तीफा देते हैं या वो विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रहते हैं, तो राज्य में मौजूदा सरकार गिर सकती है। ऐसे में राज्यपाल सरकार बनाने के लिए किसी और पार्टी को बुला सकते हैं।"
"अगर दूसरी पार्टी भी सरकार गठन करने में असमर्थता दिखाती है, तो राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं। इसके बाद, राष्ट्रपति शासन लागू होने के छह महीने के भीतर राज्य में नए चुनाव हो सकते हैं।"
क्या केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन लगा सकती है?
अमरावती की सांसद नवनीत राणा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। तो क्या केंद्र सरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकती है?
इसे समझने के लिए हमने राजनीति विज्ञानी और संविधानविद अशोक चौसालकर से बात की। उन्होंने बताया, "राज्य में राष्ट्रपति शासन दो स्थितियों में लगाया जा सकता है। पहला ये कि विधानसभा में सरकार बहुमत साबित नहीं कर सकती और राज्य में कोई वैकल्पिक सरकार नहीं बनती।"
"दूसरा परिदृश्य ये है कि यदि राज्य में कानून-व्यवस्था का सवाल है, जिस तरह से अब कुछ जगहों पर गुंडागर्दी की जा रही है, वह काफी हद तक हाथ से बाहर है, तो केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर सकती है और राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है।"
हालांकि चौसालकर ने आगे कहा कि फिलहाल राज्य के हालात हाथ से बाहर जाते नहीं दिखाई देते।
विकल्प क्या हैं?
लोकमत के वरिष्ठ पत्रकार और वरिष्ठ सहायक संपादक संदीप प्रधान कहते हैं, "वर्तमान में राज्य में राष्ट्रपति शासन की कोई संभावना नहीं है।"
वे कहते हैं, "वर्तमान में एकनाथ शिंदे गुट को दो-तिहाई विधायकों का समर्थन प्राप्त है। अगर वे इसे बनाए रख सकते हैं, तो वे भाजपा के साथ सरकार बना सकते हैं।"
"लेकिन अगर वे इसे बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं या शिंदे समूह के कुछ सदस्य वापस चले जाते हैं, तो अलगाव कानून के कारण उनकी सदस्यता स्वतः रद्द कर दी जाएगी। नतीजतन, उन्हें नए चुनावों का सामना करना पड़ेगा।"
प्रधान आगे कहते हैं, "अगर बागी विधायकों की सदस्यता चली जाती है तो महाविकास अघाड़ी गठबंधन और निर्दलीय विधायकों की मदद से खुद को बहुमत में साबित कर सकता है।"