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ऑस्ट्रेलिया में समंदर किनारे गिरा ये मलबा क्या भारतीय रॉकेट का है? इसरो प्रमुख का जवाब

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BBC Hindi

, बुधवार, 19 जुलाई 2023 (07:59 IST)
गीता पांडे, बीबीसी संवाददाता
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रमुख ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया में समंदर किनारे मिली विशाल गुंबदनुमा धातु को लेकर कोई रहस्य नहीं है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि यह भारतीय हो भी सकता है और नहीं भी।
 
बीबीसी से बात करते हुए एस सोमनाथ ने कहा है, “जब तक हम इसका परीक्षण ना कर लें, हम कैसे पुष्टि कर सकते हैं कि ये हमारी है।”
 
वीकेंड में ये धातु पर्थ से 250 किलोमीटर उत्तर में ग्रीन हेड बीच पर मिला था। तब से ही इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं।
 
कुछ लोगों का ये भी कहना है कि ये हाल ही में लॉन्च किए गए भारत के चंद्रयान अभियान से भी जुड़ी हो सकती है, लेकिन इस संभावना को तुरंत ही ख़ारिज कर दिया गया।
 
ये बेलनाकार वस्तु क़रीब ढाई मीटर चौड़ी है और तीन मीटर लंबी है। जब से ये समंदर किनारे मिली है, ग्रीन हेड बीच के निवासी इसे देखने के लिए उत्साहित हैं।
 
शुरुआत में ये कयास लगाये गए थे कि ये लापता हुए विमान एमएच 370 का मलबा हो सकती है। ये 239 यात्रियों को ले जा रहा ये विमान साल 2014 में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के तटीय इलाक़े से दूर समंदर में किनारा था।
 
लेकिन विशेषज्ञों ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि ये किसी कॉमर्शियल विमान का हिस्सा नहीं है और संभवतः ये किसी रॉकेट का हिस्सा हो सकता है जो कभी हिंद महासागर में गिरा होगा।
 
इसके बाद ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि हो सकता है कि ये किसी विदेशी स्पेस लांच व्हिकल से गिरा होगा। इसके बाद ये कयास लगाये जाने लगे कि ये पीएसएलवी का फ्यूल टैंक हो सकता है।
 
भारत की अंतरिक्ष संस्था इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइज़ेशन) नियमित तौर पर पोलर सैटलाइट लांच व्हिकल्स (पीएसएलवी) का इस्तेमाल करती है। हाल ही में शुक्रवार को ही चंद्रयान की लांचिंग में भी पीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल किया गया था।
 
इसके बाद चर्चा चलने लगी कि ये चंद्रयान के लान्च रॉकेट का हिस्सा हो सकता है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ये चीज़ कई महीनों तक पानी के भीतर रही है। जो तस्वीरें सामने आई हैं वो भी इस तर्क का समर्थन करती हैं। इसकी सतह पर कई शंख लगे दिखाई दे रहे हैं।
 
इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने बीबीसी से कहा है कि इस चीज़ को लेकर कोई रहस्य नहीं है और ये स्पष्ट है कि ये किसी रॉकेट का ही हिस्सा है।
 
“ये पीएसएलवी का हिस्सा हो सकता है या किसी और रॉकेट का। जब तक हम इसे देखेंगे नहीं और इसका परीक्षण नहीं करेंगे, इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है।”
 
ऑस्ट्रेलिया के प्रशासन ने अभी इसके बारे में और अधिक जानकारियां नहीं जारी की हैं। उन्होंने कहा, “हमें ये पता है कि पीएसएलवी के कुछ हिस्से ऑस्ट्रेलिया के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन के बाहर समंदर में गिरे हैं।”
 
इसरो प्रमुख ने कहा, “ये चीज़ लंबे समय से समंदर में तैर रही होगी और अंततः ऑस्ट्रेलिया के तट तक पहुंच गई।”
उन्होंने ये भी कहा कि इस मलबे से किसी को कोई ख़तरा नहीं है।
 
हालांकि ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों का कहना है कि वो इस वस्तु को ख़तरनाक मानकर ही चल रहे हैं और पुलिस ने लोगों से इससे दूर रहने के लिए कहा। कुछ विशेषज्ञों ने ये कहा है कि इसमें विषैले पदार्थ हो सकते हैं।

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