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चीन ने एलएसी पर तैनाती के 5 अलग-अलग कारण बताए - जयशंकर: प्रेस रिव्यू

हमें फॉलो करें चीन ने एलएसी पर तैनाती के 5 अलग-अलग कारण बताए - जयशंकर: प्रेस रिव्यू

BBC Hindi

, गुरुवार, 10 दिसंबर 2020 (08:51 IST)
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि चीन ने भारत को वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर भारी तैनाती के पांच "अलग-अलग स्पष्टीकरण" दिए हैं।
 
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक़, विदेश मंत्री ने कहा कि चीन ने द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया, इसलिए भारत और चीन के रिश्ते "सबसे मुश्किल दौर" से गुज़र रहे हैं।
 
साथ ही उन्होंने कहा कि जून में गलवान में हुई उन झड़पों ने देश की भावना को पूरी तरह बदल दिया जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की जान गई थी।
 
ऑस्ट्रेलियन थिंक टैंक लोवी संस्थान की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा, "हम आज शायद चीन के साथ सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं। शायद पिछले 30-40 सालों के सबसे ज़्यादा।" उन्होंने कहा कि "बहुत बड़ी समस्या" है कि अब रिश्तों को पटरी पर कैसे लाया जा सकेगा।
 
भारत को वैक्सीन के लिए अभी करना होगा इंतज़ार
भारत में कोविड-19 वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति के लिए मिले तीन आवेदनों पर विचार कर रही विशेषज्ञों की समिति ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया और भारत बायोटेक से और डेटा मांगा है।
 
समिति ने कंपनियों से कहा है कि वो अभी चल रहे अपने क्लीनिकल ट्रायल्स का लेट-स्टेज सेफ्टी और प्रभाव से जुड़ा अतिरिक्त डेटा भेजे।
 
वहीं अमरीकी की फार्मा कंपनी फाइज़र ने अपना डेटा पेश करने के लिए और वक़्त मांगा है।
 
सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस अख़बार को बताया कि बुधवार को पहली बार मिली सब्जेक्ट एक्सपर्स कमिटी (एसईसी) ने अगली बैठक तक विस्तृत जवाब मांगे हैं। अगली बैठक की तारीख़ अभी तय नहीं की गई है।
 
एसईसी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया को सलाह देगी जिसके आधार पर वो वैक्सीन को लेकर कोई अंतिम निर्णय लेगा। इस पूरी प्रक्रिया में कुछ हफ़्तों का वक़्त लगेगा।
 
एसईसी ने पुणे स्थित जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की ओर से विकसित की गई वैक्सीन को भी कुछ शर्तों के साथ पहले और दूसरे चरण के ट्रायल करने की मंज़ूरी दे दी है।
 
'2019 की एनआरसी सूची 'अंतिम नहीं'; 4,700 नाम अयोग्य'
असम में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) के कोऑर्डिनेटर हितेश सरमा ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय को बताया है कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) की ओर से एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित किया जाना अभी बाकी है।
 
3 दिसंबर के एक हलफनामे में, सरमा ने कहा कि आरजीआई ने "अंतिम एनआरसी" के प्रकाशन पर कुछ नहीं कहा है। 31 अगस्त 2019 को प्रकाशित सूची पर उन्होंने कहा कि वो एक "पूरक एनआरसी" थी और उसमें 4,700 नाम अयोग्य हैं।
 
इंडियन एक्सप्रेस अख़बार का दावा है कि उसे बुधवार को हलफ़नामे की कॉपी मिली है।
 
सुप्रीम कोर्ट की प्रत्यक्ष निगरानी में पिछले साल अगस्त में प्रकाशित एनआरसी में 19 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया था जिसमें क़रीब 5।56 हिंदू और 11 लाख से ज़्यादा मुस्लिम शामिल थे। राज्य सरकार के मुताबिक़, एनआरसी के लिए क़रीब 3।3 करोड़ आवेदन मिले थे।
 
तब के एनआरसी स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने एक प्रेस वार्ता में इसे "अंतिम एनआरसी" बताया था।
 
हालाँकि, असम सरकार ने अगस्त 2019 की सूची को ग़लत माना था और एक त्रुटिपूर्ण एनआरसी बनाने के लिए हजेला को दोषी ठहराया था। सरकार से रिश्ते बिगड़ने के तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल उन्हें राज्य के बाहर शिफ्ट कर दिया था।
 
तभी से एनआरसी की प्रक्रिया में बाधा आई हुई है। एनआरसी कार्यालय ने अब तक सूची से बाहर किए गए 19 लाख लोगों को रिजेक्शन ऑर्डर जारी नहीं किए हैं।
 
रिजेक्शन ऑर्डर मिलने के बाद ही ये लोग सूची से बाहर किए जाने के ख़िलाफ़ विदेशी ट्राइब्यूनल में अपील कर सकते हैं।
 
हलफनामे में सरमा ने कहा है कि प्रकाशित एनआरसी में मिली विसंगतियों के बारे में उन्होंने इस साल फरवरी में आरजीआई को सूचित किया था।
 
इसके अलावा उन्होंने 'एक त्रुटि मुक्त एनआरसी के हित में सुधारात्मक उपायों के लिए ज़रूरी दिशानिर्देश मांगे थे जो बहुत अहम है क्योंकि एनआरसी सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता से जुड़ी है'। उन्होंने कहा 'हालांकि आरजीआई ने विसंगतियों से निपटने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया है'।
 
सरमा ने लिखा, "इसके बजाए रिजेक्शन स्लिप जारी करने और एनआरसी के अपडेशन के काम को ख़त्म करने का निर्देश मिला। भारत के रजिस्ट्रार जनरल एनआरसी के अंतिम प्रकाशन को लेकर भी चुप हैं, जबकि सिर्फ वही इसपर कोई कदम ले सकता है। अभी तक भारत के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से अंतिम एनआरसी का प्रकाशन किया जाना बाकी है।"
 
मध्य प्रदेश में खाना छूने पर दलित की पिटाई से मौत
मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर गौरीहार थाना क्षेत्र के एक गांव में दो लोगों ने कथित तौर पर खाना छूने पर 25 साल के दलित युवक की कथित रूप से पिटाई की, जिसके बाद उसकी मौत हो गई।
 
जनसत्ता अख़बार ने देवराज अनुरागी (25) के परिवार के सदस्यों के हवाले से बताया कि गांव के ही दो अभियुक्तों ने देवराज को पास के एक खेत में पार्टी के लिए आमंत्रित किया था।
 
उन्होंने बताया कि देवराज जब दो घंटे बाद घर लौटा तो उसने परिवार को अपनी आपबीती बताई कि उसके खाना छूने पर अभियुक्तों ने उसकी जमकर पिटाई की।
 
उन्होंने बताया कि देवराज की पीठ पर चोट के निशान थे। घर पहुंचने के कुछ देर बाद उसने सीने में दर्द की शिकायत की और घर पर ही दम तोड़ दिया।
 
एसपी ने बताया कि दोनों अभियुक्त फरार हैं। पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए दल बनाए हैं और उनकी तलाश जारी है।
 

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