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कर्नाटक और महाराष्ट्र का सीमा विवाद आख़िर हिंसा और तोड़फोड़ तक कैसे पहुंचा

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BBC Hindi

, बुधवार, 7 दिसंबर 2022 (07:35 IST)
कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद फ़िलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों राज्यों की सीमा पर कन्नड़ रक्षक वेदिका नाम के एक संगठन ने महाराष्ट्र से आने वाली ट्रेनों को नुकसान पहुंचाया है।
 
सुबह से ही संगठन के लोग टोल नाकों पर विरोध कर रहे थे। बेंगलुरु हाइवे से ग़ुज़रने वाली ट्रेनों को नुकसान पहुंचाया गया है। कई गाड़ियों पर भी पथराव किया गया है और शीशे तोड़े गए हैं।
 
महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रकांत पाटिल और बॉर्डर कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्य शंभूराजे देसाई को इस मुद्दे पर बातचीत के लिए बेलगाम जाना था लेकिन कर्नाटक सरकार की तरफ़ से एक चिट्ठी लिखकर दोनों को आने से मना किया गया।
 
दोनों राज्यों के नेताओं के बीच बयानबाज़ी का सिलसिला जारी है। पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई कह रहे हैं कि महाराष्ट्र के कुछ गांवों को कर्नाटक में जोड़ा जाएगा।
 
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बोम्मई से बातचीत कर अपनी निराशा जताई है। वहीं, बोम्मई ने बातचीत में कहा है कि महाराष्ट्र से आने वाली गाड़ियों की सुरक्षा की जाएगी। इस बीच, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि एक अलग तरह का सीमा विवाद पैदा करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि बेलगाम की घटनाएं निंदनीय हैं।
 
पवार ने कहा, "अगर महाराष्ट्र की गाड़ियों पर हमले अगले 24 घंटों में नहीं रुके तो इसके लिए ज़िम्मेदार कर्नाटक के मुख्यमंत्री होंगे।"
 
उन्होंने कहा बोम्मई एकता को भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा केंद्र को इस ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर हालात नहीं सुधरे, तो मैं और मेरी पार्टी के कार्यकर्ता बेलगाम के लोगों का समर्थन वहां जाकर करेंगे।"
 
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री के किस बयान से भड़का विवाद
कुछ दिनों पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि महाराष्ट्र के कुछ गांवों को कर्नाटक में शामिल किया जाएगा। महाराष्ट्र और कर्नाटक के नेताओं के बीच इसे लेकर जुबानी जंग जारी है।
 
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को फोन किया और बेलगाम के पास हिरेबगवाड़ी में हुई घटनाओं पर कड़े शब्दों में नाराजगी जाहिर की।
 
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा है कि इन घटनाओं की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने देवेंद्र फडणवीस से टेलीफोन पर हुई बातचीत में आश्वासन भी दिया है कि महाराष्ट्र से आने वाले वाहनों की सुरक्षा की जाएगी।
 
 
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शरद पवार ने क्या कहा?
शरद पवार ने कहा है कि एक अलग तरह का सीमा विवाद पैदा करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि बेलगाम की घटनाएं निंदनीय हैं। समय आ गया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों के घटनाक्रमों पर नजर रखते हुए स्टैंड लिया जाए।
 
शरद पवार ने आरोप लगाया है कि सीमावाद को अलग रूप देने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, "मेरे पास जो जानकारी आई है वह बहुत चिंताजनक है। महाराष्ट्र एकीकरण समिति के मुख्य कार्यकर्ताओं की जांच की जा रही है। कार्यालय के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री का व्यवहार देश की एकता के लिए खतरा है।"
 
शरद पवार ने कहा कि केंद्र को इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पहल करनी चाहिए और कोई रास्ता निकालना चाहिए।
 
पवार ने आरोप लगाया है, "कोई जानबूझकर भड़काने की कोशिश कर रहा है और राज्य सरकार तमाशबीन की भूमिका निभा रही है धैर्य एक निश्चित स्तर पर बना रहेगा, आगे जो होगा उसके लिए वे ही जिम्मेदार होंगे।"
 
शरद पवार ने एलान किया है कि अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो मैं और मेरी पार्टी के लोग वहां बेलगाम के स्थानीय लोगों का समर्थन करने जाएंगे।

अजित पवार ने कहा- कायराना हमले से नहीं डरेंगे
इस मसले पर विपक्ष के नेता अजित पवार ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, "मराठी भाषी बेलगाम क्षेत्र में महाराष्ट्र की ट्रेनों पर कन्नड़ गुंडों द्वारा किए गए कायरतापूर्ण हमले की मैं कड़ी निंदा करता हूं।"
 
उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र की ट्रेनों पर हमला महाराष्ट्र के स्वाभिमान पर हमला है। इस तरह के कायरतापूर्ण हमले मराठी के दिलों में आतंक पैदा करने में कभी सफल नहीं होंगे।"
 
अजित पवार ने कहा, "केंद्र सरकार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री को समझाना चाहिए। मराठी लोगों की सुरक्षा के लिए विपक्षी दल और महाराष्ट्र के गौरवशाली नागरिक अपनी पहचान के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में मराठी भाषी लोगों के पीछे मजबूती से खड़े हैं।"
 
उन्होंने कहा, "सत्ताधारी दलों को भी अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। सीमावर्ती इलाकों में किसी भी हालत में अनुचित और कायरतापूर्ण हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। ये समय महाराष्ट्र की एकता दिखाने का है।"
 
महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि बिना राजनीतिक रुख अपनाए किसी भी दल को सुलह का रुख नहीं अपनाना चाहिए।
 
कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद का इतिहास
कर्नाटक पूर्ववर्ती मैसूर का नया नाम है। आजादी के बाद 1948 में मैसूर भारत का पहला राज्य बना। 1 नवंबर, 1973 को मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया। इसलिए कर्नाटक राज्य का स्थापना दिवस 1 नवंबर है।
 
उससे पहले 1956 में बीजापुर, धारवाड़, गुलबर्गा, बीदर के साथ बेलगाम जिले को तत्कालीन मैसूर राज्य की सीमाओं को बढ़ाने के लिए मैसूर राज्य में शामिल किया गया था।
 
उस समय भाषा-वार क्षेत्रीय संरचना पर विचार किए बिना प्रशासनिक कार्यों को बदलने के लिए एक कानून पारित करके बेलगाम को मैसूर राज्य में शामिल किया गया था।
 
महाराष्ट्र ने बेलगाम पर दावा किया था, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था क्योंकि इसमें मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। इसमें 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं।
 
इस फैसले का सीमावर्ती इलाकों में कड़ा विरोध हुआ। तभी से सीमा मुद्दे को लेकर मराठी भाषी लोगों का संघर्ष जारी है।
 
उस समय केंद्र सरकार ने पातस्कर सिद्धांत के अनुसार सभी राज्यों के सीमा मुद्दे का समाधान किया था, जिसके अनुसार सीमा मुद्दे का समाधान चार बिंदुओं के आधार पर किया गया था, भाषाई बहुमत, भौगोलिक निकटता, गांवों का तत्व और इच्छा लोग।
 
आज भी भाषाई बहुमत के मुद्दे पर सीमाएं तय की जाती थीं, लेकिन बेलगाम सीमा के मामले में इस मुद्दे पर विचार नहीं किया गया। इसके बाद से ही ये विवाद बढ़ने लगा।
 
22 मई, 1966 को सेनापति बापट और उनके साथियों ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर भूख हड़ताल की। इससे महाराष्ट्र में माहौल गरमा गया। सीमावाद के इस मुद्दे को इंदिरा गांधी के सामने लाया गया।
 
सेनापति बापट की भूख हड़ताल का संज्ञान लेते हुए तत्कालीन केंद्र सरकार ने पूर्व न्यायमूर्ति महाजन की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग नियुक्त किया था।
 
पुणे में कर्नाटक की बस पर स्प्रे पेंट
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर पुणे में भी प्रतिक्रिया हुई है। पुलिस उपायुक्त समर्थना पाटिल ने बताया, "पांच- छह लोग स्वारगेट के पास पार्किंग में आए और कर्नाटक की बस पर स्प्रे पेंट कर दिया। उन्हें हिरासत में लिया गया है। आगे की कार्रवाई की जा रही है।"
 
अब से, कर्नाटक की बसें जहां भी रवाना होंगी, वहां सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी।

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