अनंत झणाणे, बीबीसी हिंदी के लिए
उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले में चार महीने पहले मरने वाली एक महिला को कोविड वैक्सीन लगाए जाने का मामला सामने आया है। यह मामला ज़िले के बिलरही इलाक़े का है।
हेमलता के परिजन 17 जनवरी को अचरज में पड़ गए, जब उनके मोबाइल पर ये संदेश आया कि हेमलता को कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज़ लग गई है। हालांकि हेमलता का निधन 21 सितंबर, 2021 को ही हो चुका है।
मोबाइल पर आए मैसेज के मुताबिक़ हेमलता को वैक्सीन की दूसरी डोज़ 17 जनवरी को रात आठ बजकर 20 मिनट पर दी गई। वहीं हेमलता के भतीजे सौरभ यादव ने बताया कि उनकी चाची का निधन 21 सितंबर को ही हो गया। उनका मृत्यु प्रमाण पत्र 27 अक्टूबर, 2021 को पंजीकृत कराया गया था।
सौरभ के मुताबिक़, "मेरे चाचा जी हैं देवपाल यादव और चाची थीं हेमलता यादव, इन लोगों को सरकारी अस्पताल श्रीनगर में 10 जुलाई को वैक्सीन लगाई। इसके बाद उनकी थोड़ी तबीयत ख़राब रहने लगी, जिसके बाद उन्हें हमलोग इलाज के लिए ज़िला अस्पताल महोबा लेकर गए। उसके बाद वहां से उन्हें झाँसी रेफ़र कर दिया गया। झाँसी में उनकी तबीयत ज़्यादा ख़राब हो गई और फिर 21 सितंबर, 2021 को उनका निधन हो गया।"
सौरभ यादव ने इसे लेकर एक ट्वीट भी किया, "जिस इंसान की मृत्यु 21/09/2021 को हो जाती है, उसको कोरोना की सेकेंड डोज़ 17/01/2022 को कैसे लग सकती है, ज़िम्मेदार लोग कृपया संज्ञान में लें।"
15 जनवरी को आया दूसरी डोज़ के लिए मैसेज
सौरभ यादव कहते हैं कि 15 जनवरी को उन्हें यह जानने के लिए मैसेज आया कि हेमलता को दूसरी ख़ुराक लगी या नहीं। वेरिफ़िकेशन के दौरान सौरभ ने जानकारी दी कि उनकी चाची का निधन हो चुका है। उसके बाद भी 17 जनवरी को उन्हें एक और मैसेज आया कि उनकी चाची हेमलता को दूसरी ख़ुराक लग चुकी है।
इस पर सवाल उठाते हुए सौरभ कहते हैं, "जो व्यक्ति मर चुका है, उसे वैक्सीन कैसे लग सकती है? इसमें स्वास्थ्य विभाग की बहुत बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। यह अब सरकार की ग़लती है। अब इसकी ज़िम्मेदारी कौन ले सकता है?"
वहीं हेमलता के पति देवपाल यादव कहते हैं, "हमारे भतीजे के मोबाइल पर मैसेज आया कि उनको दूसरी डोज़ लगी है। अब इसमें लापरवाही तो है कि जो व्यक्ति है ही नहीं, उसको कहाँ से लग गयी वैक्सीन?"
क्या कहना है महोबा के सीएमओ का?
सोशल मीडिया पर एक मृत महिला को वैक्सीन लगाए जाने की ख़बर वायरल होने के बाद महोबा के जिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने कहा, "मुझे तो अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं है। लेकिन अगर कुछ ऐसा हुआ है, तो हम उसे चेक करा लेंगे। मेगा वक्सीनशन कैंप चल रहा है। गांव में भी लोग जा रहे हैं। एक मोबाइल नंबर से चार लोगों का रजिस्ट्रेशन हो सकता है। कभी-कभी कोई अपना नंबर कुछ बताता है तो कभी-कभी कनफ्यूज़न में कोई और नंबर डायल हो जाता है। ऐसा कभी-कभी हो जाता है। ऐसा हो सकता है। मैं इसकी जांच करा लूँगा।"
डॉ. पांडेय दावा करते हैं, "प्रदेश में 25 लाख से ऊपर वैक्सीनशन हो रहा है। मेगा कैंप चल रहा है। हम घर-घर जा रहे हैं और सभी ज़रूरतमंदों का वैक्सीनशन कर रहे हैं। अगर ऐसी त्रुटि है या कोई कंप्यूटर की ग़लती है तो उसे संज्ञान में लेकर सही करा लेंगे।"
बीबीसी ने इस मामले की जांच से जुड़े कुछ सवाल महोबा सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय से पूछने चाहे तो उन्होंने फ़ोन पर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
राज्य सरकार के दावे के मुताबिक उत्तर प्रदेश की 96 फ़ीसदी आबादी को कोरोना के टीके की पहली ख़ुराक लग चुकी है, जबकि 63 फ़ीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों ख़ुराक लग चुकी है। वहीं 15 से 17 साल के उम्र के कुल 70 लाख से ज़्यादा बच्चों को पहला टीका लग गया है।
लेकिन महोबा जैसे मामलों के बढ़ने से सरकारी आंकड़ों के भरोसेमंद होने पर सवाल उठ सकते हैं।
(महोबा के इरफ़ान पठान के इनपुट के साथ)