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इटली में पीएम मोदी से मिलने के बाद कनाडा के पीएम ट्रूडो ने कही कई बातें

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BBC Hindi

, सोमवार, 17 जून 2024 (09:27 IST)
इटली में पिछले हफ़्ते जी-7 समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शनिवार को कहा कि भारत और कनाडा अहम मुद्दों पर एक दूसरे से सहयोग करेंगे। हालांकि ट्रूडो ने उन मुद्दों का ज़िक्र नहीं किया, जिस पर उन्होंने सहयोग करने की बात कही। ट्रूडो ने यह भी नहीं बताया कि क्या भारतीय प्रधानमंत्री से उनकी बात सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में हुई या नहीं। जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया था।
 
ट्रूडो ने कनाडा की संसद में निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया था। इसके बाद से दोनों देशों के संबंधों में तनाव है।
 
शनिवार सुबह इटली में एक न्यूज़ कॉन्फ़्रेंस में ट्रूडो ने कहा, 'मैं अहम और संवेदनशील मुद्दों के विस्तार में नहीं जाऊंगा। लेकिन इन मुद्दों को सुलझाना ज़रूरी है। हमारी प्रतिबद्धता है कि साथ मिलकर काम करेंगे। आने वाले वक़्त में हम अहम मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'
 
जी-7 अमीर अर्थव्यवस्था और उदार लोकतंत्र वाले देशों का गुट है। भारत इस गुट का सदस्य नहीं है लेकिन उसे आमंत्रित किया गया था। पिछले हफ़्ते शुक्रवार को इटली में जी-7 देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिल्कुल सेंटर में दिख रहे थे।
 
ट्रूडो का सीधा जवाब नहीं
 
नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया अकाउंट पर जी-7 देशों के नेताओं से मुलाक़ात का एक वीडियो भी पोस्ट किया था। वीडियो में ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक, फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, यूक्रेन के राष्ट्रपत्ति वोलोदमीर ज़ेलेंस्की और पोप फ्रांसिस के साथ मोदी मिलते हुए दिख रहे हैं।
 
शुक्रवार शाम मोदी एक्स अकाउंट से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ हाथ मिलाते हुए तस्वीर पोस्ट की गई। इस तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा था- जी-7 समिट में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से मुलाक़ात हुई।
 
ट्रूडो के कार्यालय ने भी जी-7 में नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की बात को स्वीकार करते हुए कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने की बधाई दी। ट्रूडो ने कहा, 'दुनिया भर के साझेदार देशों के साथ वार्ता जारी रहना ज़रूरी है। इसमें भले कई चुनौतियां हैं लेकिन हम रूल ऑफ लॉ के लिए प्रतिबद्ध हैं।'
 
पिछले साल सितंबर में जस्टिन ट्रूडो भारत में आयोजित जी-20 समिट में शामिल होने आए थे। भारत से लौटने के बाद ट्रूडो ने भारत निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। इसके बाद से दोनों देशों के संबंध अब तक सामान्य नहीं हो पाए हैं। कनाडा ने अपने यहां चुनाव में भी भारत पर हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। इस आरोप के बाद पीएम ट्रूडो और पीएम मोदी पहली बार इटली में मिले।
 
ट्रूडो ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्होंने इन मुद्दों को पीएम मोदी के सामने उठाया था या नहीं। अगले साल जी-7 समिट कनाडा में है। क्या ट्रूडो भारत को इस समिट में आमंत्रित करेंगे? कनाडाई पीएम ने इस सवाल का जवाब भी स्पष्ट रूप से नहीं दिया।
 
ट्रूडो ने इस सवाल के जवाब में कहा, 'इसके बारे में अगले साल ही कुछ कहा जा सकता है, जब कनाडा के पास जी-7 की अध्यक्षता आएगी।'
 
पीएम मोदी को जी-7 समिट में 2019 में फ्रांस, 2022 में जर्मनी, 2023 में जापान और 2024 में इटली आमंत्रित कर चुका है। 2020 में अमेरिका भी पीएम मोदी को आमंत्रित करने वाला था लेकिन कोविड महामारी के कारण समिट नहीं हो पाया था। 2021 में ब्रिटेन ने भी आमंत्रित किया था लेकिन कोविड के कारण पीएम मोदी इसमें वर्चुअली शामिल हुए थे।
 
पत्रकारों ने ट्रूडो से चुनाव में भारत पर हस्तक्षेप के आरोप के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने इस मुद्दे को 2015 से ही बहुत गंभीरता से लिया है।
 
निज्जर की हत्या के कारण कैसे बिगड़े संबंध
 
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ बताने के बाद कनाडा सरकार ने भारत के राजनयिक पवन कुमार राय को निष्कासित कर दिया था। इसके बाद भारत ने भी दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायोग से एक सीनियर राजनयिक को निष्कासित करने का फ़ैसला किया था।
 
कनाडा की संसद में ट्रूडो ने कहा था, 'हमारे देश की ज़मीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या के पीछे विदेशी सरकार का होना अस्वीकार्य है और ये हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है।' पिछले साल 18 जून को निज्जर की कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
 
भारत सरकार निज्जर को आतंकवादी और अलगाववादी संगठनों का मुखिया बताती रही है। निज्जर के समर्थक इन आरोपों को ख़ारिज करते हैं।
 
दोनों देशों के बीच ताज़ा विवाद की शुरुआत जी-20 सम्मेलन के दौरान हो गई थी।
 
9-10 सितंबर को दिल्ली में जी-20 सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जस्टिन ट्रूडो भी भारत आए थे।
 
सम्मेलन के दौरान आधिकारिक अभिवादन के दौरान ट्रूडो नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाते हुए उस जगह से तेज़ी से निकलते हुए दिखे।
 
इस तस्वीर को दोनों देशों के रिश्तों के बीच 'तनाव' के तौर पर देखा गया।
 
ट्रूडो और पीएम मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई थी। जानकारों ने इस वार्ता के बारे में कहा था कि ये मुलाक़ात अच्छी नहीं रही थी।
 
भारतीय प्रधानमंत्री कनाडा में सिख अलगाववादियों के 'आंदोलन' और भारतीय राजनयिकों के ख़िलाफ़ हिंसा को उकसाने वाली घटनाओं को लेकर नाराज़ थे। जबकि जस्टिन ट्रूडो का कहना था कि भारत कनाडा की घरेलू राजनीति में दख़ल दे रहा है।
 
भारत सरकार ने इस वार्ता के बाद एक बयान जारी कर कहा, 'जी-20 के दौरान मुलाक़ात में नरेंद्र मोदी ने जस्टिन ट्रूडो से कहा है कि दोनों देशों के संबंधों में प्रगति के लिए 'आपसी सम्मान और भरोसा' ज़रूरी है। सिख आंदोलन अलगाववाद को बढ़ावा देता है और भारतीय राजनयिकों के ख़िलाफ़ हिंसा को उकसाता है।'
 
मोदी और ट्रूडो के आपसी संबंधों में दरार
 
जस्टिन ट्रूडो और पीएम मोदी के बीच दूरियां आने का ये पहला मामला नहीं है। कहा जाता है कि दोनों राष्ट्रप्रमुखों के बीच कभी संबंध बेहतर नहीं रहे।
 
मोदी मई 2014 में पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने और जस्टिन ट्रूडो अक्तूबर 2015 में पहली बार कनाडा के प्रधानमंत्री बने।
 
2019 में भी नरेंद्र मोदी दूसरे कार्यकाल के लिए चुनकर आए और ट्रूडो को भी अक्टूबर 2019 में दूसरे कार्यकाल के लिए चुना गया।
 
ट्रूडो की लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा ख़ुद को उदारवादी लोकतांत्रिक बताती है और पीएम मोदी की बीजेपी की पहचान हिन्दुत्व और दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी के रूप में है।
 
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने अप्रैल 2015 में कनाडा का दो दिवसीय दौरा किया था। उस वक़्त कनाडा के प्रधानमंत्री कन्जर्वेटिव पार्टी के स्टीफन हार्पर थे।
 
2010 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी-20 समिट में शामिल होने कनाडा गए थे। लेकिन समिट से इतर किसी भारतीय प्रधानमंत्री का कनाडा जाना 42 साल बाद तब हो पाया, जब पीएम मोदी कनाडा के दौरे पर 2015 में गए। जस्टिन ट्रूडो जब से पीएम बने हैं, तब से नरेंद्र मोदी कनाडा नहीं गए हैं।

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