अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अंतरिक्ष यान इंसाइट लैंडर भारतीय समयानुसार मंगलवार रात क़रीब डेढ़ बजे मंगल ग्रह पर उतर गया। मंगल के लिए भेजे गए इस नए रोबोट ने सात मिनट के बेहद अहम वक़्त में यह लैंडिंग की।
नासा के इंसाइट मिशन का लक्ष्य मंगल के ज़मीनी और आंतरिक भागों का अध्ययन करना है और पृथ्वी के अलावा यह इकलौता ऐसा ग्रह है जिसकी नासा इस तरह जांच करने जा रहा है।
इसकी लैंडिंग के दौरान सात मिनट बेहद तनावपूर्ण गुज़रे और इस दौरान यह अंतरिक्ष यान धरती पर संदेश भेज रहा था। जब इंसाइट मंगल पर सुरक्षित तरीक़े से उतर गया तो कैलिफ़ोर्निया में नासा के मिशन कंट्रोल में ख़ुशी की लहर दौड़ गई।
यह यान एलिसियम प्लानिशिया नामक सपाट मैदान में उतरा है जो इस लाल ग्रह की भूमध्य रेखा के नज़दीक है। अभी वैज्ञानिक इस यान के पूरी तरह ठीक होने और इसके आस-पास की जानकारियों और तस्वीरों का इंतज़ार कर रहे हैं। ये सभी जानकारियां अगले कुछ घंटों में धरती पर आने की संभावना है।
क्या है इंसाइट लैंडर?
मंगल पर उतरने के लिए इस यान के लिए सात मिनटों को बेहद अहम समझा जा रहा था। इसके लिए यान को अपनी रफ़्तार 20 हज़ार किलोमीटर प्रति घंटे तक कम करनी थी। इंसाइट मंगल ग्रह के बारे में ऐसी जानकारियां दे सकता है, जो अरबों सालों से नहीं मिली हैं।
अपने अभियान के दौरान यह यान मंगल पर एक साइज़्मोमीटर रखेगा जो इसके अंदर की हलचलें रिकॉर्ड कर सकेगा। यह पता लगाएगा कि मंगल के अंदर कोई भूकंप जैसी हलचल होती भी है या नहीं।
यह पहला यान है जो मंगल की खुदाई करके उसकी रहस्यमय जानकारियां जुटाएगा। साथ ही एक जर्मन उपकरण भी मंगल की ज़मीन के पांच मीटर नीचे जाकर उसके तापमान का पता लगाएगा। ग्रह के इस तापमान से यह पता चल सकेगा कि मंगल ग्रह अभी भी कितना सक्रिय है। इसके तीसरे प्रयोग में रेडियो ट्रांसमिशन का इस्तेमाल होगा जिससे यह बता चलेगा कि यह ग्रह अपनी धुरी पर डगमगाते हुए कैसे घूमता है।
इस अभियान से जुड़ी एक वैज्ञानिक सुज़ैन स्म्रेकर कहती हैं, "आप एक कच्चा अंडा लें और एक पक्का अंडा, दोनों को घुमाने पर वह अलग-अलग तरीक़े से घूमेगा क्योंकि उसके अंदर तरल पदार्थ अलग-अलग है। आज हम यह नहीं जानते हैं कि मंगल के अंदर तरल चीज़ है या ठोस चीज़। साथ ही इसका भीतरी भाग कितना बड़ा है यह नहीं मालूम। इंसाइट हमें इसकी जानकारियां देगा।"