अमेरिका में नेट न्यूट्रैलिटी के समर्थकों ने कहा है कि इंटरनेट ट्रैफ़िक पर एक समान मौका दिए जाने वाले क़ानून को ख़त्म किए जाने के ख़िलाफ़ कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे।
अमेरिका के फ़ेडरल कम्युनिकेशंस कमिशन (अजित पाई) ने तर्क दिया है कि नेट न्यूट्रैलिटी को ख़त्म किए जाने से नई खोजों को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन उनके सहयोगी ने कहा है कि जिन्होंने बदलाव के ख़िलाफ़ वोट किया उनका तर्क है कि ये इंटरनेट की कुंजी को कुछ चंद लोगों के हाथों में सौंप देगा।
अमेरिका में नेट न्यूट्रैलिटी पर वोटिंग हुई थी जिसमें इसे बहुमत से ख़त्म कर दिया गया।
क्या पड़ेगा असर
फ़िलहाल, इंटरनेट एक हाईवे की तरह है जहां सारी ट्रैफ़िक एक समान और एक स्पीड से चलती है। इसे नेट न्यूट्रैलिटी कहा जाता है। इससे गूगल जैसी बड़ी कंपनियां छोटी कंपनियों की सामग्री को रोक नहीं सकतीं। लेकिन अमेरिका में इस पर वोटिंग से नेट न्यूट्रैलिटी में बुनियादी बदलाव आ सकता है।
अबसे कंपनियां भुगतान के जरिए प्रतियोगिता में वरीयता हासिल कर सकेंगी। इस बदलाव के बाद कुछ कंपनियों को तो इंटरनेट पर आने से भी रोका जा सकता है। जो पैसे नहीं ख़र्चेंगे उनका धंधा ठप हो जाएगा और बड़ी कंपनियों का इंटरनेट पर एकाधिकार हो जाएगा।
आलोचकों का कहना है कि बिना नेट न्यूट्रैलिटी के ये छोटी कंपनियां कभी सफल नहीं होतीं। लेकिन इंटरनेट सेवाएं देने वाले सोचते हैं कि नेट न्यूट्रैलिटी का ख़ात्मा एक अच्छा क़दम है।
उनका तर्क ये है कि वो इससे होने वाले मुनाफ़े का निवेश इंटरनेट के बुनियादी ढांचे में करेंगे। इससे दूर दराज़ और ग्रामीण इलाक़े में इंटरनेट सेवा में सुधार होगा। लेकिन अधिकांश लोगों का कहना है कि अतिरिक्त मुनाफ़ा शेयर धारकों की जेब में जाएगा।