Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

दक्षिण भारतीय शहर दिल्ली जैसे प्रदूषित क्यों नहीं?

हमें फॉलो करें दक्षिण भारतीय शहर दिल्ली जैसे प्रदूषित क्यों नहीं?
, सोमवार, 13 नवंबर 2017 (12:02 IST)
- मानसी दाश
भारत की राजधानी दिल्ली के कुछ इलाकों में प्रदूषण का स्तर रविवार को 460 तक पहुंच गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार जहां ये शनिवार को 403 के स्तर पर था, वहीं रविवार को यह बढ़ गया। इस इंडेक्स के अनुसार उत्तर भारतीय शहर मुरादाबाद, ग़ाज़ियाबाद, गुड़गांव और नोएडा में भी प्रदूषण का स्तर ख़तरनाक़ स्तर पर पहुंच गया।
 
वहीं जिन दो शहरों में प्रदूषण का स्तर सबसे कम रहा वो हैं दक्षिण भारतीय शहर तिरुवनंतपुरम और बेंगलुरु। रविवार को केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में प्रदूषण का स्तर 58 और बेंगलुरु में यह 69 था।
 
दिल्ली में प्रदूषण क्यों बढ़ा?
पर्यावरण से जुड़ी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट की अनुमिता राय चौधरी कहती हैं, "बीते दो तीन दिन में दिल्ली में हवा की गति एकदम थम गई है और उसके साथ-साथ जितनी ऊंचाई तक हवा जाती है वो उतनी ऊंचाई तक नहीं जा पा रही। इस कारण शहर का प्रदूषण वहीं ठहर जाता है।"
 
वो कहती हैं, "दिनभर की स्थिति में बदलाव आ रहा है। शनिवार को दिन में जहां हवा 1600 मीटर की ऊंचाई तक जा सकी, वहीं शाम तक वो 45 मीटर तक आ गई। सुबह वह फिर से वो से ऊंचाई पर चली गई। ये बदलाव होते रहेंगे और रविवार की स्थिति को देखें तो ना शहर से बाहर कुछ आ रहा था और ना ही भीतर कुछ बाहर जा रहा था।"
 
तिरुवनंतपुरम का उदाहरण
हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार देश का सबसे कम प्रदूषित शहर तिरुवनंतपुरम है। इसी सप्ताह तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने इस रिपोर्ट के संबंध में ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, "तिरुवनंतपुरम शहर फिर से एक बार सबसे कम प्रदूषित शहरों की सूची में अव्वल नंबर पर है। अन्य सभी बातों के अलावा लोगों की प्रदूषण के प्रति जागरूकता के कारण ऐसा हुआ है।"
 
दक्षिण भारत के कई इलाकों में पर्यावरण सुरक्षा के लिए काम कर चुके पर्यावरणविद् अरुण कृष्णमूर्ति कहते हैं, "सीधी बात तो ये है कि जहां दिल्ली चारों ओर से ज़मीन से घिरा (लैंड लॉक्ड) इलाका है वहीं तिरुवनंतपुरम समंदर के नज़दीक है तो वहां हवा हमेशा बहती रहती है।"
 
ग्रीन प्रोटोकॉल
अरुण कृष्णमूर्ति के मुताबिक़, "ऐसा नहीं है कि यहां प्रदूषण नहीं है लेकिन यहां हवा स्थिर नहीं रहती तो इस कारण प्रदूषण के असर का पता नहीं चलता। दिल्ली में कचरे की गंभीर समस्या है जो यहां पर नहीं है, क्योंकि सरकार यहां उतना कचरा नहीं बनने देती। साथ ही इंडस्ट्री को शहर से दूर रखा जा रहा है।"
 
तिरुवनंतपुरम में मौजूद शिबू के नायर कचरा प्रबंधन और शहरी विकास के लिए काम करते हैं। वो कहते हैं कि कचरा यहां जलाया नहीं जाता जो एक अच्छी बात है। वो कहते हैं, "हाल में केरल में ग्रीन प्रोटोकॉल अपनाया गया है जिसके तहत राज्य में कचरा ख़ास कर प्लास्टिक को कम करने की कोशिश हो रही है। इसके तहत हर स्तर पर डिस्पोज़ेबल चीज़ों के इस्तेमाल को कम करने की कोशिश हो रही है और इसका असर दिख रहा है।"
 
क्या कुछ हो रहा है ख़ास?
शिबू के नायर का कहना है, "केरल में लोगों को अपनी योजना में शामिल करने का काम बेहतर तरीके से किया है। इसके लिए लोगों को प्रदूषण और स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाने की कोशिशें बड़े पैमाने पर हुई हैं और यहां सरकार की नीतियों में जनता की भागीदारी है।"
वो मानते हैं, "जब तक नीति बनाने के स्तर पर जनता को शामिल नहीं किया जाएगा, प्रदूषण की समस्या का हल नहीं निकला जा सकता।"
 
अरुण कृष्णमूर्ति कहते हैं, "भारत के दूसरे हिस्सों में पर्यावरण की स्वच्छता और प्रदूषण नियंत्रण के जो कार्यक्रम चल रहे हैं वही कार्यक्रम यहां भी हैं लेकिन केरल में जनता को इसमें सीधे तौर पर शामिल किया जाता है जिस कारण नतीजे अच्छे आते हैं।"
 
अक्षय ऊर्जा के स्रोत
हालांकि अरुण कृष्णमूर्ति तिरुवनंतपुरम में बढ़ती डीज़ल गाड़ियों पर चिंता जताते हैं। वो कहते हैं, "जेनरेटर और इंडस्ट्री के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। हमें सबसे पहले सभी जगहों को विकसित करना होगा ताकि अलग-अलग प्रदेशों से लोग शहरों का रुख करना बंद करें। इससे शहर के बुनियादी ढांचे पर और प्राकृतिक संपदा पर दबाव पड़ना कम होगा। साथ ही अक्षय ऊर्जा के स्रोतों पर भी अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है।"
 
अरुण कृष्णमूर्ति का कहना है, "लेकिन हमें सोचना होगा कि हम पुराने शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की बजाए नए स्मार्ट शहर बनाएं जहां कचरे का प्रबंधन बेहतर हो। ये सब जल्दी नहीं होगा और इसमें कई साल लगेंगे।"
 
शहरों पर ख़तरा
अनुमिता राय चौधरी मानती हैं कि लगातार बढ़ता प्रदूषण मुंबई, चेन्नई और तिरुवनंतपुरम समेत पूरे भारत के लिए चिंता विषय है और इसके कारण स्वास्थ्य पर सबसे अधिक असर पड़ेगा। वो कहती हैं कि इन शहरों में प्रदूषण का स्तर दिल्ली में दिखने वाले प्रदूषण के स्तर से तो कम हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि इन शहरों में ख़तरा नहीं है।
 
वो कहती हैं, "ऐसा नहीं है कि अन्य शहरों में स्वास्थ्य संकट नहीं है। प्रदूषण का स्तर दिल्ली में अधिक है, दूसरे शहरों में ये कम तो है लेकिन प्रदूषण के कारण होने वाले मौतें और बीमारियां इस स्तर पर भी होती हैं। हम कह सकते हैं कि उत्तर भारत में स्वास्थ्य संकट अधिक है लेकिन देखा जाए को पूरे भारत पर ही ये संकट मंडरा रहा है।"

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

फ़ेसबुक पोस्ट पर बांग्लादेशी हिन्दू गांव में हमला