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बिहार के जेठुली गांव में हुई गोलीबारी की असल वजह क्या है?: ग्राउंड रिपोर्ट

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BBC Hindi

, बुधवार, 22 फ़रवरी 2023 (10:12 IST)
चंदन कुमार जजवाड़े (बीबीसी संवाददाता, पटना से)
 
बिहार की राजधानी पटना से सटे फतुहा के जेठुली गांव में गोलीबारी में 3 लोगों की मौत हो गई है। एक ही बिरादरी के बीच इतने बड़े झगड़े की असल वजह क्या है? ज़मीनी हक़ीक़त जानने के लिए हम जेठुली गांव पहुंचे, जहां हमें हैरान करने वाली कई जानकारियां मिलीं।
 
फतुहा इलाक़े के जेठुली गांव में मंगलवार की सुबह सामान्य-सी दिख रही थी। हालांकि सड़क के एक तरफ़ जले हुए मकान, सड़क पर जली हुईं गाड़ियां और दूसरी तरफ़ बड़ी संख्या में पुलिस वाले नज़र आ रहे थे।
 
इसी गांव के एक व्यक्ति ने हमें पहचान लिया कि ये मीडिया वाले हैं। उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर आसपास के खंभों पर लगे सीसीटीवी कैमरे की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि सारी लड़ाई इसी की वजह से हुई है। सीसीटीवी कैमरे का ये मामला क्या है, इस पर आगे आपको विस्तार से बताएंगे। लेकिन पहले जानते हैं जेठुली गांव के बारे में।
 
रविवार की दोपहर गोलियों की आवाज़ से गूंजने वाला जेठुली गांव बिहार की राजधानी पटना ज़िले की सीमा में है। गंगा नदी के किनारे बसा यह गांव पटना से महज़ 30 किलोमीटर की दूरी पर है। इस गांव की आबादी क़रीब 15 हज़ार है। यहां से गुज़रती हुई गाड़ियों को देखकर ऐसा नहीं लग रहा है कि 2 दिन पहले इसी गांव में 2 गुटों की लड़ाई में कई राउंड गोलियां चली थीं जिसमें अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है।
 
हालांकि इस गोलीकांड की गूंज राजधानी पटना तक पहुंची और गांव की सड़कों पर अभी भी उस ख़ून के निशान मौजूद हैं, जो रविवार को बहे थे। पुलिस के मुताबिक़ इस गोलीकांड के दोनों ही पक्ष पीड़ित और अभियुक्त रसूखदार और राजनीति से जुड़े रहे हैं।
 
विवाद का विषय और गोलीबारी
 
इनमें एक पक्ष उमेश राय का है, जो ठेकेदारी का काम करते हैं। उनके भाई बच्चा राय की पत्नी अंजू देवी इस गांव की मुखिया हैं। इसी परिवार पर रविवार को झगड़े के दौरान गोलीबारी करने का आरोप है जबकि दूसरा पक्ष शेषनाथ राय का है।
 
शेषनाथ राय के बेटे संजीव उर्फ़ टुनटुन ग्राम पंचायत समिति के सदस्य रह चुके हैं। पुलिस के मुताबिक़ दोनों की पुरानी जान-पहचान रही है और दोनों पड़ोसी हैं। इन दोनों के घरों के बीच गंगा किनारे एक विशाल ज़मीन है, जहां गिट्टी और बालू (रेत) के ढेर पड़े हुए हैं।
 
रविवार का झगड़ा इसी ज़मीन पर शुरू हुआ था। यह ज़मीन संजीव (टुनटुन) के घर के सामने है जबकि उमेश राय के घर के ठीक पीछे है। हमने पूछा कि यह ज़मीन किसकी है तो एक गांव वाले ने बताया कि गंगा (नदी) मैया की है।
 
पुलिस के मुताबिक़ रविवार को इस ज़मीन पर ट्रक से उमेश राय की गिट्टी उतर रही थी और उसी समय संजीव के घर के बाहर बनी पार्किंग से एक वैन निकाली जा रही थी। इसके लिए ट्रक के ड्राइवर को ट्रक हटाने को कहा गया।
 
यह बात पहले बहस और फिर झगड़े में बदल गई। फिर आरोपों के मुताबिक़ उमेश राय के गुट की तरफ़ से 50 राउंड गोलियां चलाई गईं जिसमें 2 युवकों रोशन कुमार और गौतम कुमार की मौत रविवार को ही हो गई थी। इस गोलीकांड में घायल मुनारिक राय की मौत सोमवार को हुई जबकि 2 घायलों का इलाज अब भी चल रहा है। ये सभी लोग एक ही परिवार के हैं।
 
मुनारिक राय के बेटे अविनाश राय के मुताबिक़ जब उमेश राय 5-6 लोगों के साथ गोली चलाने लगे तो पापा घर की तरफ भागे, लेकिन उनको घर के दरवाज़े पर आकर गोली मार दी।
 
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पार्किंग का मामला
 
इस गोलीकांड के बाद ग्रामीणों ने गुस्से में उमेश राय और उनके परिवार के कई मकान, गोदाम, मुखिया के दफ़्तर और गाड़ियों में आग लगा दी और ज़मकर पत्थरबाज़ी भी की। पटना ग्रामीण के एसपी सैयद इमरान मसूद के मुताबिक़ दोनों ही पक्ष एक ही गांव के हैं। ये लोग पहले साथ में काम करते रहे हैं और राजनीति से भी जुड़े हुए हैं।
 
उनका कहना है कि गोलीबारी के लिए 30 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है जिनमें अब तक 9 को गिरफ़्तार किया गया है जबकि मुख्य अभियुक्त उमेश राय फ़रार हैं, वहीं उपद्रव और पत्थरबाज़ी करने वाले 14 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
 
एसपी ग्रामीण के मुताबिक़ इस झगड़े की तात्कालिक वजह पार्किंग को लेकर विवाद ही था, लेकिन इसके पीछे की कोई वजह है तो उसकी भी जांच की जा रही है। हम एसपी से बात बात कर ही रहे थे कि इसी दौरान कई महिलाएं रोते हुए सड़क से गुज़र रही थीं। ये महिलाएं पीड़ित परिवार की थीं और मृतकों की अंतिम क्रिया के लिए जा रही थीं। उन्हें समझाने और हौसला देने के लिए एसपी ग्रामीण भी उनके पास पहुंच गए।
 
एक ही गांव के 2 परिवारों के बीच महज़ पार्किंग को लेकर इतना बड़ा झगड़ा होना एक असाधारण घटना है। इस गांव में नदी किनारे एक पुलिस थाना 'नदी थाना' भी है, जो गंगा नदी के आरपार होने वाले वैध-अवैध कारोबार पर नज़र रखता है। इस गोलीकांड की असल वजह समझने के लिए हम नदी थाने पहुंचे।
 
यहां थाने के ठीक पीछे गंगा नदी बह रही है और थाने के अंदर दर्जनों दोपहिया वाहन पड़े हुए सड़ रहे हैं। यहां खड़े एक पुलिस वाले ने बताया कि ये सब शराब के अवैध कारोबार में इस्तेमाल होने की वजह से ज़ब्त किए गए हैं, इनकी नीलामी की जाएगी।
 
शराब का अवैध कारोबार
 
नदी थाने से हमें जानकारी मिली कि जेठुली गांव में रविवार का झगड़ा भले ही पार्किंग विवाद को लेकर शुरू हुआ हो, लेकिन दोनों परिवारों के बीच कुछ समय से तनाव चल रहा था। इन दोनों ही परिवारों में कई लोगों का आपराधिक रिकॉर्ड भी रहा है।
 
घटना में गोली चलाने वाले गुट के उमेश राय, उनके भाई बच्चा राय और रामप्रवेश राय के ऊपर आर्म्स एक्ट यानी ग़ैरक़ानूनी हथियार रखने का मामला दर्ज है, वहीं गोलीबारी में मारे गए गौतम पर पिछले ही महीने 13 जनवरी को शराब के अवैध कारोबार का मामला दर्ज किया गया था।
 
जबकि मृतक मुनारिक राय के ऊपर भी 23 अक्टूबर 2022 को अवैध शराब के कारोबार का मामला नदी थाने में दर्ज किया गया था। पुलिस के मुताबिक़ इलाक़े में अवैध शराब के कारोबार की बहुत-सी घटनाएं होती हैं। इस मामले में लोगों की गिरफ़्तारी भी होती रहती है और उन पर मुक़दमा भी होता है। इसी कारोबार के सीसीटीवी कैमरे में क़ैद होने का डर होता है जिसकी चर्चा हमने शुरू में की थी।
 
सीसीटीवी कैमरे
 
पुलिस के मुताबिक़ जेठुली में संजीव उर्फ़ टुनटुन भी पिछले मुखिया चुनाव में अपने परिवार को उतारने का मन बना रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने उमेश राय को समर्थन दे दिया। ये दोनों ही परिवार एक ही बिरादरी के हैं। उस वक़्त दोनों पक्षों के बीच इस बात पर समझौता हुआ था कि मुखिया को मिलने वाले विकास के फ़ंड को ख़र्च करने में संजीव की भी सलाह ली जाएगी।
 
नदी थाने के मुताबिक़ गांव में मुखिया के डेवलपमेंट फ़ंड से सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए हैं। गांव में प्रवेश करते ही उस व्यक्ति ने बताया था कि वर्तमान मुखिया ने शराब के अवैध कारोबार को रोकने के लिए कुछ महीने पहले ही गांव में कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए थे।
 
शराब के अवैध कारोबारी इसका विरोध कर रहे थे और पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक़ इस गोलीकांड में पीड़ित पक्ष के कई लोग शराब के अवैध कारोबार से जुड़े हुए रहे हैं। हालांकि उन ग्रामीण के दावों की पुष्टि के लिए दोनों में से किसी भी पक्ष से बीबीसी की बात नहीं हो पाई है। लेकिन पुलिस रिकॉर्ड इस तरफ़ इशारा ज़रूर करते हैं।
 
पुलिस फ़िलहाल मीडिया को भी पीड़ित परिवार से दूर रखने की कोशिश कर रही है और पीड़ित पक्ष को भी घर के भीतर रहने को कहा जा रहा है ताकि कहीं भी भीड़ जमा न हो सके। दरअसल, गोलीकांड में घायल तीसरे व्यक्ति की मौत सोमवार को हुई थी और उसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने कुछ मीडियाकर्मियों के साथ भी मारपीट की थी।
 
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सैयद इमरान मसूद के मुताबिक़ इस इलाक़े में अवैध कारोबार से जुड़ी कुछ बातों की जानकारी उन्हें मिली है। उनका कहना है कि यह गंगा के किनारे का इलाक़ा है। यहां कुछ अवैध काम होते रहे हैं, हम उसकी जांच कर कर रहे हैं और आगे की कार्रवाई करेंगे। फ़िलहाल हमारा मुख्य मक़सद गांव के हालात को सामान्य करने का है।
 
बिहार में अप्रैल 2016 से शराब पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है। राज्य में शराब पीना, अपने पास रखना या इसका कारोबार पूरी तरह से ग़ैरक़ानूनी है। लेकिन यहां अवैध शराब के कारोबार और सेवन से जुड़े क़रीब 5लाख़ मामले दर्ज हो चुके हैं।
 
ज़हरीली शराब से मौत
 
बिहार के कई इलाक़ों में ज़हरीली शराब के पीने से लोगों की मौत हुई है। राजनीतिक तौर पर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी अक्सर शराब के अवैध कारोबार में युवाओं के शामिल होने का आरोप लगाती है। इस तरह के कारोबार में दोपहिया वाहनों और नदियों में नाव के ज़रिए शराब की सप्लाई की ख़बरें भी कई बार सामने आती हैं। राज्य में बीजेपी इसके पीछे पुलिस और प्रशासन पर नाकामी का आरोप भी लगाती है।
 
वहीं फ़तुहा में हुई इस घटना के बाद इलाक़े में तनाव का माहौल अब भी बना हुआ है। जिस तरह से एक पक्ष ने दूसरे पर एकतरफा गोलीबारी की है, उससे ग्रामीणों और पीड़ित परिवार में काफ़ी आक्रोश है। हालांकि भारी पुलिस बल की तैनाती और लगातार निगरानी की वजह से मंगलवार को यहां किसी तरह का हंगामा नहीं हुआ।

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