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क्या आपको सुबह बहुत जल्दी जग जाना चाहिए?

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, मंगलवार, 5 मार्च 2019 (11:48 IST)
- ब्रायन लुफ़किन
 
बचपन से ही हमें बताया जाता है कि क़ामयाब बनना है तो सुबह जल्दी जग जाओ। जल्दी उठने से ज़्यादा काम होते हैं। सेलिब्रिटीज़ और बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ भी ऐसा करते हैं। यह भी कहा जाता है कि सुबह जगने से सेहत अच्छी रहती है। आप खुश रहते हैं और जीवन पर आपका नियंत्रण रहता है।
 
 
इस तरह की अच्छी बातों के बावजूद सुबह उठने से कोई जादू नहीं हो जाता। न ही इससे समय प्रबंधन की समस्याएं सुलझती हैं। कुछ लोगों के लिए तो इसका उलटा असर भी हो सकता है। क़ामयाबी उस दिनचर्या को ढूंढ़ने में है जो आपके अनुकूल हो। यहां कुछ सर्वकालिक टिप्स हैं जो आपके लिए जगने के सही समय को तय करने में मदद कर सकते हैं।
 
 
जल्दी उठने के फ़ायदे क्या हैं?
इसके कई फ़ायदे हो सकते हैं, कम से कम उन लोगों की नज़र में जो जल्दी उठते हैं। कई लोगों का कहना है कि सुबह के समय ध्यान भटकाने वाली चीजें कम होती हैं। घर के बच्चे या दूसरे लोग सो रहे होते हैं। उस समय मैसेज और ईमेल भी कम आते हैं।
 
 
एप्पल के सीईओ टिम कुक का कहना है कि वह सुबह के पौने चार बजे जग जाते हैं और कैलिफोर्निया में रहकर भी पूर्वी तट पर रहने वाले अपने सहकर्मी से पहले ईमेल चेक करना शुरू कर देते हैं। कैलिफोर्निया में जब सुबह के 3:45 बजते हैं तब अमेरिका के पूर्वी तट पर 6:45 बज रहे होते हैं।
 
 
ओप्रा विनफ्रे हर रोज सुबह 6 बजकर 2 मिनट पर जगती हैं। वह ध्यान और व्यायाम करने के बाद सुबह 9 बजे से काम शुरू करती हैं। हॉलीवुड स्टार मार्क वॉलबर्ग सबसे ज़्यादा हैरान करते हैं। वह रात के ढाई बजे ही जग जाते हैं, कसरत करते हैं, गोल्फ खेलते हैं, प्रार्थना करते हैं और माइनस 100 डिग्री तापमान वाले क्रायोचैंबर में कुछ समय बिताते हैं।
 
 
कुछ अध्ययनों में यह सुझाया गया है कि सुबह जगने और सफलता पाने में संबंध हो सकता है। जो लोग जल्दी उठते हैं उनका पारंपरिक कॉरपोरेट शेड्यूल के साथ अच्छा तालमेल रहता है और वे सक्रिय व्यक्तित्व वाले होते हैं। स्कूल-कॉलेज में उनका ग्रेड बेहतर हो सकता है और नौकरी में भी उनको मोटी तनख्वाह मिल सकती है।
 
 
यदि आप प्राकृतिक रूप से सुबह जल्दी नहीं उठ पाते हैं तो आप कुछ रणनीतियां आजमा सकते हैं। सुबह कसरत करने और जितनी जल्दी हो सके सूरज की रोशनी में आने से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और शरीर को गर्म रखने में मदद मिलती है, जिससे शरीर में फुर्ती आती है। लेकिन अलार्म घड़ी की मदद से जगना सबके लिए कारगर नहीं हो सकता। यदि आप सुबह के व्यक्ति नहीं हैं और जबरदस्ती ऐसा बनने की कोशिश कर रहे हैं तो इसके नुकसान भी हो सकते हैं।
 
 
क्या सभी को जल्दी उठना चाहिए?
नहीं, वास्तव में, जल्दी उठने से आप अधिक उत्पादक बन पाते हैं या नहीं इसका निर्धारण आपके जीन्स से होता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि कुछ लोग जैविक रूप से सुबह ज्यादा सजग रहते हैं और कुछ लोगों की सतर्कता रात में बढ़ती है। यह भी संभव है कि आपकी सतर्कता और दिमागी दक्षता दोपहर बाद सबसे ज़्यादा हो।
 
 
नेचर कम्युनिकेशंस नामक जर्नल में हाल ही में छपा एक अध्ययन इसकी पुष्टि करता है। सात लाख से ज़्यादा लोगों के आंकड़ों को देखने के बाद शोधकर्ताओं ने 350 से ज़्यादा आनुवंशिक कारकों की पहचान की है, जो यह तय करते हैं कि कोई व्यक्ति सुबह में अधिक ऊर्जावान महसूस करेगा या शाम में।
 
 
सैंपल साइज़ के आधार पर यह अपनी तरह का सबसे बड़ा शोध है, हालांकि इसके निष्कर्षों की पुष्टि के लिए और शोध की जरूरत है। इसलिए अगर आप प्राकृतिक रूप से सुबह के समय ऊर्जावान महसूस नहीं करते फिर भी जल्दी उठने का फ़ैसला करते हैं तो हो सकता है कि आप अपना नुकसान कर रहे हों।
 
 
कुछ लोगों के लिए जल्दी उठने के निजी कारण हो सकते हैं। मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में वर्क साइकोलॉजी की प्रोफेसर मैरिलीन डेविडसन का कहना है कि जल्दी उठने और काम शुरू करने के दूसरे कारक भी हो सकते हैं, जैसे कि उत्साह और नौकरी से संतुष्टि।
 
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छोटे बच्चों के माता-पिता और गैर-पारंपरिक घंटों में काम करने वाले श्रमिकों के पास इस बात के विकल्प नहीं होते कि वे अपना दिन कब शुरू करें। मुख्य बात यह है कि सिर्फ़ जल्दी उठ जाने से ऑफिस में तुरंत क़ामयाबी नहीं मिल जाती। असल में यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है और जल्दी उठने के नकारात्मक नतीजे भी हो सकते हैं।
 
 
क्या जल्दी उठने के नुकसान भी हो सकते हैं?
हां, यदि आप सामान्य रूप से जल्दी उठने वाले व्यक्ति नहीं हैं और उत्पादकता बढ़ाने के लिए ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं तो नुकसान मुमकिन है।
 
 
अमेरिका में जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर रैचेल सलास नींद संबंधी विकारों की विशेषज्ञ हैं। उनका कहना है कि किसी सीईओ की देखादेखी अगर आप हफ्ते के दो दिन सुबह 5 बजे उठने की कोशिश करते हैं तो आप अपने शरीर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
 
 
पूरी रात की नींद लेना और हर रात एक निश्चित समय पर सोना और तय समय पर जगना, दोनों महत्वपूर्ण हैं। इससे भी ज़्यादा नुकसानदेह है सुबह जल्दी जगने के लिए नींद में कटौती। नींद में कटौती करने का मतलब है इसके नकारात्मक प्रभावों को न्यौता देना।
 
 
इससे एकाग्रता घट सकती है, वजन बढ़ सकता है, बेचैनी हो सकती है। दिल की बीमारी और उच्च रक्तचाप का ख़तरा भी रहता है। तो यदि जल्दी जगने के लिए आपको नींद में कटौती करनी पड़ रही है तो ऐसा न करें। सलास के पास ऐसे कई मरीज आते हैं जिन्होंने जवानी के दिनों में नींद में कटौती की थी। जब वे बड़े हुए, जीवनशैली बदली और उनके बच्चे हो गए तब मुश्किलें शुरू हो गईं।
 
 
इंग्लैंड के ल्यूटन में बेडफोर्डशायर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर गेल किनमैन का कहना है कि यदि आप सुबह जल्दी शुरुआत करते हैं तो आपको काम जल्दी ख़त्म भी करना होगा। इस तरह कोई वास्तविक लाभ नहीं हो रहा। किनमैन को लगता है कि हाई प्रोफाइल कारोबारी जो सुबह जग जाते हैं, देर तक ऑफिस में रहते हैं या रात में भी ईमेल पर उपलब्ध रहते हैं, वे अपना नुकसान कर रहे हैं।
 
 
सुबह जल्दी उठने के बारे में किसी सीईओ का डींग मारना बहुत बुरा हो सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने हाल ही में "Performative Workaholism" नामक शब्द का ईजाद किया है।
 
 
यह उनके लिए है जो जल्दी उठने और देर तक काम करने का ढिंढोरा पीटते हैं। असल में यह अच्छी मिसाल नहीं है। किनमैन कहती हैं, "सीईओ कर्मचारियों के लिए रोल मॉडल होते हैं। उनके इस तरह के व्यवहार को वांछनीय के रूप में देखना गैरजिम्मेदाराना है।"
 
 
आपको क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रयोग करें। किसी के कहने पर न जाएं। खुद यह पता लगाएं कि आपके लिए सबसे अच्छा क्या है। शायद जल्दी जग जाना आपके लिए अच्छा न हो। ध्यान दें कि आप कब थकान महसूस करते हैं और कब तरोताज़ा रहते हैं।
 
 
छुट्टी होने पर देखें कि कब आपको नींद आती है और कब आपकी नींद खुद ही खुल जाती है। अपनी दिनचर्या को उसी हिसाब से ढालने की कोशिश करें। इस तरह से आप अपनी प्राकृतिक ऊर्जा के अधिकांश हिस्से का उपयोग कर पाएंगे। बात किसी दफ़्तर या टीम की हो तो विशेषज्ञों का सुझाव है कि सभी की आदतों को देख-समझकर उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को सामने लाने के लिए समायोजन होना चाहिए।
 
 
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट कम्युनिकेशंस प्रोग्राम की निदेशक सुसैन स्टेलिक का सुझाव है कि दफ़्तरों और टीमों को "Appreciative Inquiry" तकनीक का उपयोग करना चाहिए। इसमें किसी परियोजना की शुरुआत में ही सभी लोग बैठकर अपनी निजी जरूरतों, दिनचर्या और पसंद पर चर्चा कर लेते हैं ताकि टीम को समायोजित किया जा सके।
 
 
मिसाल के लिए, अगर किसी का बच्चा छोटा है और उसे सुबह 5 बजे ही उठना पड़ता है और बच्चे को डे-केयर में ले जाना पड़ता है तो वह देर तक नहीं रुक सकता। टीम में इसका समायोजन होना चाहिए। यदि टीम लीडर का रुख लचीला है तो सुबह जल्दी काम शुरू करने वाले को दोपहर बाद जल्दी घर भेजा जा सकता है। इस तरह से काम करने वाले लोगों को जल्दी उठने का फ़ायदा भी मिलेगा और वे थकान से भी बचे रहेंगे।
 
 
खुद को पहचानिए
जिनके लिए सुबह उठना फ़ायदेमंद हो वे जल्दी जगें तो ठीक है, लेकिन उत्पादकता बढ़ने के भ्रम में पड़कर सभी को मनमाने ढंग से सुबह जगाने का फ़ायदा नहीं है। अपनी नींद की आदतों को पहचानने की जरूरत है। आप पहचानिए कि दिन में (या रात में) किस समय आपकी ऊर्जा का स्तर सबसे बेहतर रहता है।
 
 
सबसे बढ़कर बात यह है कि भरपूर नींद लें। नींद में कटौती न करें। सूरज उगने से पहले ही अपने आपको जगा देना, क्योंकि आपके आदर्श बिजनेस लीडर ऐसा ही करते हैं, दिन की शुरुआत करने का सबसे स्मार्ट तरीका नहीं है। किनमैन कहती हैं, "ऐसा बिल्कुल न करें, जब तक कि आप सही मायनों में सुबह के आदमी नहीं हैं।"
 

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