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सोनिया गांधी पर ‘हिंदुओं को बांटने का आरोप’ कितना सही?

हमें फॉलो करें सोनिया गांधी पर ‘हिंदुओं को बांटने का आरोप’ कितना सही?
, बुधवार, 17 अप्रैल 2019 (08:19 IST)
फैक्ट चेक टीम, बीबीसी न्यूज
लोकसभा चुनाव-2019 की दूसरे चरण की वोटिंग से पहले कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस पार्टी एक विवादास्पद चिट्ठी को लेकर भिड़ गए हैं जो कि फर्जी बताई जा रही है।
 
सूबे के गृह-मंत्री एमबी पाटिल ने पुलिस से इस चिट्ठी की लिखित शिकायत की है जिस पर खुद उन्हीं के हस्ताक्षर हैं।
 
एमबी पाटिल ने ट्वीट किया है, 'ये लेटर फर्जी है। मेरी संस्था के नाम का और मेरे हस्ताक्षर का गलत इस्तेमाल हुआ है। जिन्होंने भी ये जालसाजी की है और इसे छापा है, मैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने वाला हूं।' 
 
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कर्नाटक सरकार में होने के अलावा एमबी पाटिल 'बीजापुर लिंगायत डिस्ट्रिक्ट एजुकेशनल एसोसिएशन' (BLDEA) के अध्यक्ष भी हैं और इसी संस्था के कथित लेटर पैड पर छपी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम की एक चिट्ठी इस विवाद का कारण बनी है।
 
मंगलवार सुबह कर्नाटक बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह चिट्ठी ट्वीट की गई थी। कर्नाटक बीजेपी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'कांग्रेस का पर्दाफाश। सोनिया गांधी के सीधे निर्देश के तहत पूरे लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय को विभाजित करने की कोशिश। कांग्रेस नेता एमबी पाटिल द्वारा सोनिया गांधी को लिखी गई ये चिट्ठी इस बात का खुलासा करती है कि सोनिया गांधी कर्नाटक में हिंदू समुदाय को कैसे विभाजित करना चाहती थीं।'
 
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चिट्ठी में क्या लिखा है?
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मंगलवार को कर्नाटक में हुई चुनावी जनसभा से क़रीब दो घंटे पहले कर्नाटक बीजेपी ने यह विवादास्पद चिट्ठी ट्वीट की। इस चिट्ठी पर 10 जुलाई 2017 की तारीख डली हुई है। पत्र क्रमांक लिखा है। एमबी पाटिल के हस्ताक्षर हैं और चिट्ठी में सोनिया गांधी के लिए लिखा है:
 
- हम आपको ये विश्वास दिलाते हैं कि कांग्रेस पार्टी 'हिंदुओं को बांटों और मुसलमानों को जोड़ो' की नीति अपनाकर 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करेगी।'
- इस मकसद को पाने के लिए कांग्रेस पार्टी लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय के बीच व्याप्त मतभेदों का फायदा उठाएगी। 
 
कर्नाटक कांग्रेस ने तुरंत बीजेपी द्वारा जारी की गई इस चिट्ठी का जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि कर्नाटक बीजेपी प्रोपेगेंडा फैला रही है। इसलिए पार्टी एक पुराना लेटर निकाल लाई है जो कि पहले ही झूठा साबित किया जा चुका है।
 
कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने अपने आधिकारिक बयान में दावा किया कि वो चुनाव आयोग से कर्नाटक बीजेपी के इस फेेक ट्वीट की शिकायत कर रहे हैं।
 
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2018 में चिट्ठी को 'फेक' बताया गया
इंटरनेट सर्च से पता चलता है कि 12 मई 2018 को कर्नाटक के विधानसभा चुनाव की वोटिंग से पहले इस चिट्ठी से जुड़ी कई खबरें प्रकाशित हुई थीं।
 
इन रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले साल 'पोस्ट कार्ड न्यूज' नाम की एक वेबसाइट ने यह चिट्ठी छापी थी जिसके संस्थापक मुकेश हेगड़े फेक न्यूज फैलाने के आरोप में जेल की सज़ा काट चुके हैं।
 
कांग्रेस नेता एमबी पाटिल ने 2018 में भी इस चिट्ठी को फ़र्ज़ी बताया था जिसके बाद 'पोस्ट कार्ड न्यूज़' वेबसाइट ने इस फेक चिट्ठी को हटा दिया था। लेकिन बीजेपी के ट्वीट के बाद यह चिट्ठी एक बार फिर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट की जा रही है।
 
मंगलवार को जब कांग्रेस ने बीजेपी के ट्वीट पर सवाल उठाया तो पार्टी ने लिखा, 'जिस चिट्ठी में एमबी पाटिल ने लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय के लोगों को बांटने की बात लिखी थी, उसे कन्नड अखबार विजयवाणी ने छापा है। तो क्या कांग्रेस का कहना है कि मीडिया फर्जी खबरें फैला रहा है?'
 
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कन्नड अखबार की भूमिका
कन्नड भाषा के दैनिक अखबार विजयवाणी ने 16 अप्रैल 2019 के अपने सभी संस्करणों में दूसरे पेज पर इस चिट्ठी को छापा है। अखबार ने शीर्षक लिखा है, 'एमबी पाटिल ने एक और विवाद भड़काया।' एमबी पाटिल और सोनिया गांधी की तस्वीर अखबार ने इस्तेमाल की है। साथ ही अंग्रेजी में लिखी गई इस चिट्ठी का कन्नड तर्जुमा भी अखबार ने पब्लिश किया है।
 
कर्नाटक के बैंगलुरु शहर में मौजूद बीबीसी के सहयोगी पत्रकार इमरान कुरैशी ने बताया कि कन्नड अखबार विजयवाणी कर्नाटक के कई शहरों में पढ़ा जाता है। इमरान कुरैशी ने बताया कि ये विवादास्पद चिट्ठी मई 2018 में भी चर्चा का विषय बनी थी।
 
लेकिन इस पुरानी चिट्ठी को जिसे एक साल पहले भी कांग्रेस ने फेक बताया था, उसे विजयवाणी अखबार ने लोकसभा चुनाव के लिए 18 अप्रैल को होने वाले मतदान से पहले दोबारा क्यों प्रकाशित किया? अखबार के मैनेजमेंट और एडिटर ने इसका कोई जवाब हमें नहीं दिया। अखबार की तरफ से अगर हमें कोई जवाब मिलता है तो उसे हम इस कहानी में जोड़ेंगे।

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