इसराइल और फिलीस्तीनियों के हथियारबंद इस्लामिक चरमपंथी संगठन हमास के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को हमास ने कहा कि इसराइल ने यरुशलम और अल-अक़्सा में उकसाने वाला काम किया है और इसकी आग गाज़ा तक पहुंच गई है।
 
									
			
			 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार हमास ने कहा कि टकराव बढ़ाने का जो भी अंजाम होगा, उसकी ज़िम्मेदारी इसराइल की होगी। दूसरी तरफ़ इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि हमास को इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।
 
									
										
								
																	
	 
	हमास के नेता इस्माइल हानिया ने टेलीविज़न पर प्रसारित अपने भाषण में कहा, 'क़तर, मिस्र और संयुक्त राष्ट्र ने हमसे संपर्क कर शांति की अपील की है। लेकिन हमने इसराइल को संदेश दिया है कि अगर वे टकराव चाहते हैं तो हम तैयार हैं और अगर वे इसे रोकना चाहते हैं तो भी हम तैयार हैं।'
 
									
											
									
			        							
								
																	
	 
	इससे पहले इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने गाज़ापट्टी में फिलीस्तीनी हथियारबंद समूहों को चेतावनी देते हुए कहा था कि भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी। सोमवार को इसराइल में 1967 के युद्ध की बरसी की छुट्टी थी और इसी दिन हमास ने यरुशलम के बाहरी इलाक़ों में रॉकेट दागा था।
 
									
											
								
								
								
								
								
								
										
			        							
								
																	
	 
	1967 के युद्ध में इसराइल ने पूर्वी यरुशलम को अपने नियंत्रण में लिया था। हमास के रॉकेट हमले बाद ही इसराइली पीएम ने कहा था कि 'हमास और इस्लामिक जिहाद को भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।'
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	पिछले हफ़्ते शुक्रवार की रात यरुशलम की अल-अक़्सा मस्जिद में फिलीस्तीनियों और इसराइली सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद शनिवार और रविवार रात भी अल-अक़्सा मस्जिद में हिंसक झड़पें जारी रहीं।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	सोशल मीडिया पर अल-अक़्सा मस्जिद के भीतर इसराइली सुरक्षा बलों की कार्रवाई की तस्वीरें शेयर की जाने लगीं। इसके बाद इस्लामिक देशों से तीखी प्रतिक्रिया आई कि इसराइल रमज़ान के पवित्र महीने में अल-अक़्सा मस्जिद के भीतर नमाज़ अदा करने गए लोगों पर हमला कर रहा है।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, पाकिस्तान, कुवैत और खाड़ी के कई देशों ने इसराइल की खुलकर निंदा की। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने यरुशलम से फिलीस्तीनी परिवारों के निकालने की इसराइली योजना को ख़ारिज कर दिया है।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	सऊदी अरब इसराइल को लेकर हुआ सख़्त
	 
	मंगलवार को सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने इसराल की निंदा करते हुए अपने बयान में कहा, 'अल-अक़्सा मस्जिद की पवित्रता और नमाज़ियों पर इसराली आक्रमणकारी बलों ने खुला हमला किया है।'
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	सऊदी अरब ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि इस टकराव के लिए इसराइल को ज़िम्मेदार ठहराया जाए और तत्काल इसे रोका जाए। सऊदी अरब ने कहा कि इस टकराव में अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन हो रहा है।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'सऊदी अरब फिलीस्तीनियों के साथ खड़ा है। हम फिलीस्तीन में हर तरह के कब्जे को ख़त्म करने का समर्थन करते हैं। हमारा मानना है कि इस समस्या का समाधान तभी होगा जब फिलीस्तीनियों को 1967 की सीमा के तहत उनका एक स्वतंत्र मुल्क होगा, जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम होगी। यह अंतरराषट्रीय प्रस्ताव और अरब शांति समझौतों के तहत ही है।'
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	सोमवार को इसराइल सुरक्षाबलों की कार्रवाई में दर्जनों फिलीस्तीनी ज़ख़्मी हो गए थे। इसराइली सुरक्षा बलों ने तब फिलीस्तीनी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ रबड़ बुलेट का इस्तेमाल किया था। बाद में यह टकराव रॉकेट और हवाई हमले तक पहुंच गया। इस टकराव में अब तक 28 फिलीस्तीनियों और तीन इसराइली नागरिकों की मौत हुई है।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	मुस्लिम वर्ल्ड लीग
	 
	मंगलवार को मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने भी अल अक़्सा मस्जिद में 'हमले' की निंदा की है। सऊदी प्रेस एजेंसी के अनुसार मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने इस टकराव और इसराइली सुरक्षा बलों की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। एसपीए के अनुसार मुस्लिम लीग ने कहा है कि इसराइली कार्रवाई फिलीस्तीनियों के अधिकार और उनकी मर्यादा पर हमला है।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	वर्ल्ड मुस्लिम लीग ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से फिलीस्तीनियों के अधिकारों की रक्षा करने की अपील की है। वर्ल्ड मुस्लिम लीग ने कहा है कि फिलीस्तीनियों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए और उनके ख़िलाफ़ हर तरह की हिंसा थमनी चाहिए।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन की पहल
	 
	तुर्की के राष्ट्रपति रेचिप तैय्यप अर्दोआन ने मंगलवार को अल-अक़्सा मस्जिद के पास हिंसक झड़प और फिलीस्तीनियों के अधिकारों को लेकर कई इस्लामिक देशों के प्रमुखों को फ़ोन किया। अर्दोआन ने मलेशिया, जॉर्डन, कुवैत के राष्ट्र प्रमुखों और हमास के राजनीतिक ब्यूरो प्रमुख से इसराइल को लेकर बात की है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि अर्दोआन ने हमास के राजनीति ब्यूरो प्रमुख इस्माइल हानिया से बात की। राष्ट्रपति अर्दोआन ने कहा कि अल-अक़्सा मस्जिद पर इसराइली हमला आतंकी कार्रवाई है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	राष्ट्रपति अर्दोआन ने इस्माइल से बातचीत में कहा कि यह हमला न केवल मुसलमानों पर है बल्कि पूरी मानवता पर है। अर्दोआन ने कहा, 'इसराइली कब्जे और उसके आतंक को रोकने के लिए वे पूरी दुनिया को एक करने की हर संभव कोशिश करेंगे, लेकिन उससे पहले इस्लामिक देशों को एकजुट करने की ज़रूरत है।'
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	अर्दोआन ने कहा कि फिलीस्तीनी भाई-बहनों की रक्षा के लिए तुर्की हर क़दम उठाएगा। अर्दोआन ने कहा, 'जो देश इसराइली जुल्म के ख़िलाफ़ चुप हैं, वे भी अप्रत्यक्ष रूप से इसका समर्थन कर रहे हैं। मैं पूरी दुनिया और ख़ास करके इस्लामिक दुनिया से अपील करता हूं कि वे इसराइली हमले ख़िलाफ़ एकजुट हो जाएं।'
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	'हमें अब प्रभावी क़दम उठाने की ज़रूरत है। तुर्की ने पूरे मामले को लेकर अतंरराष्ट्रीय संगठनों के समक्ष आवश्यक क़दम उठाना शुरू कर दिया है। मैं इस मामले में संयुक्त राष्ट्र और ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन से क़दम उठाने की अपील करता हूं।'
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	अर्दोआन ने कहा, 'इस मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को तत्काल कहना चाहिए कि इसराइल कार्रवाई रोके। यह दुनिया सुरक्षा परिषद के पांच देशों तक सीमित नहीं है। मेरा मानना है कि ऐसी स्थिति में ज़िम्मेदार अंतरराष्ट्रीय संगठन चुप नहीं रह सकते हैं।'
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	पाकिस्तान भी हुआ सक्रिय
	 
	पाकिस्तान भी पूरे मामले पर इसराइल की खुलकर आलोचना कर रहा है। मंगलवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने ट्वीट कर कहा था, 'मैंने अपने भाई, तुर्की के विदेश मंत्री से फिलीस्तीनियों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर फ़ोन पर बात की है। तुर्की ने पूरे मामले पर ओआईसी और यूएन की बैठक बुलाने का समर्थन किया है। इस्लाम के पहले क़िबला मस्जिद अल अक़्सा में उपद्रव और बच्चों की हत्या के साथ जबरन ख़ाली काराया जाना अस्वीकार्य है।'
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान भी बुधवार को ट्वीट कर फिलीस्तीनियों का समर्थन किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने एक फोटो पोस्ट की है, जिस पर अमेरिका के जाने-माने चिंतक नॉम चॉम्स्की की तस्वीर है और उनके नाम से एक कोट लिखा है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	इस कोट में लिखा है, 'तुम मेरा पानी ले लो, मेरे पेड़ों को जला दो, मेरे घरों को तबाह कर दो, नौकरियां छीन लो, मां की हत्या कर दो, मेरे देश में धमाके करो, हमें भूखा रखो, अपमानित करो लेकिन हमें इन सबके बदले एक रॉकेट दागने के लिए दोषी ठहराओ।'
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	वहीं मंगलवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शिक्षा मंत्री मुराद रास ने एक भड़काऊ ट्वीट किया था। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, 'यह हैरान करने वाला है कि इसराइल वाले हथियारों से लैस रहते हैं जबकि फिलीस्तीनी दशकों से पत्थरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। फिलीस्तीनियों को मदद में जो पैसे मिलते हैं वे कहां चले जाते हैं। वे अपनी रक्षा के लिए एक बंदूक भी क्यों नहीं ख़रीदते हैं? इन पर कब से बम फेंके जा रहे हैं और गोली मारी जा रही है, पर ये 2021 में भी पत्थर ही चला रहे हैं।'
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	मंगलवार की शाम पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी इसराइल की निंदा में बयान जारी किया। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, 'गाज़ा में इसराइली हमले में कई बेगुनाह फिलीस्तीनियों की जान गई है और ज़ख़्मी हुए हैं। हताहतों में बच्चे भी शामिल हैं। इसराइल ने रमज़ान के पवित्र महीने में एक और निंदनीय कार्रवाई की है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह करते हैं कि वो इसराइली कार्रवाई पर चुप ना रहें। हम 1967 की सीमा के आधार पर एक स्वतंत्र फिलीस्तीन देश बनाने का समर्थन करते हैं। अगर ऐसा होता है तभी स्थायी शांति बहाल हो पाएगी।'
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	बहरीन और यूएई ने भी की इसराइल की निंदा
	 
	बहरीन और यूएई ने भी इसराइल की निंदा की है और कहा है कि पूरे मामले पर उनकी नज़र बनी हुई है। दोनों देशों ने कहा है कि तत्काल हिंसा रोकी जाए ताकि टकराव के बढ़ते दायरे को नियंत्रित किया जा सके। यूएई के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'इसराइल टकराव रोकने की ज़िम्मेदारी ले। वो हमला बंद करे ताकि तनाव को काबू में किया जा सके। यरुशलम की ऐतिहासिक पहचान को भी सुरक्षित रखने की ज़रूरत है।'
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	बहरीन और यूएई ने इसराइल से पिछले साल राजनयिक रिश्ते कायम करने की घोषणा की थी। अब तक इन देशों ने इसराइल को मान्यता नहीं दी थी। ट्रंप प्रशासन ने ऐसा करने का दबाव सऊदी अरब पर भी डाला था लेकिन सऊदी अरब ने इसराइल के साथ राजनयिक रिश्ता कायम करने से इनकार कर दिया था। पाकिस्तान का भी इसराइल से राजनयिक रिश्ता नहीं है जबकि तुर्की का है।