टोक्यो ओलंपिक गेम्स शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं और अभी तक इन खेल आयोजनों से जुड़े 80 से अधिक लोगों का कोविड टेस्ट पॉज़ीटिव आ चुका है। कोविड की चिंता के बीच जापान ने खेलों के आयोजन की कैसे की है तैयारी और क्या-क्या किए हैं बचाव के उपाय, आइए जानते हैं।
ओलंपिक में कितने मामले?
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने जो आंकड़े जमा किये हैं उनसे पता चलता है कि 21 जुलाई तक कोविड संक्रमण के 91 मामले दर्ज किये गए हैं।
इसमें न केवल एथलीट, बल्कि ओलंपिक आयोजन समिति के कर्मचारी, राष्ट्रीय समितियों के सदस्य, कॉन्ट्रैक्टर और अन्य कर्मचारी, वॉलंटियर शामिल हैं। इनमें कुछ मीडिया सदस्य भी शामिल हैं।
अधिकांश मामले ओलंपिक स्थलों पर काम करने वाले जापानी कॉन्ट्रैक्टरों में मिले हैं, हालांकि, कुछ एथलीट्स की रिपोर्ट भी पॉज़िटिव मिली है।
प्रतियोगियों और अधिकारियों दोनों के लिए वेन्यू के भीतर सख़्त कोविड नियम हैं। इसके अलावा एथलीट्स और दूसरे लोगों की तो हर रोज़ जांच की जा रही है।
क्या जापान में कोविड के मामले बढ़ रहे हैं?
मई के मध्य में जापान में कोरोना मामले चरम पर थे और जून के आख़िरी दिनों से यहां संक्रमण के नए मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं।
21 जुलाई को जापान में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 4,933 नए मामले दर्ज किए हैं। पिछले दिन की तुलना में 1,190 मामले ज़्यादा हैं। नए मामलों का साप्ताहिक औसत भी पिछले सप्ताह के औसत से अधिक है। हालांकि, हर रोज़ आने वाले संक्रमण के मामले अभी उस स्तर पर नहीं हैं जो मई में थे।
कोविड19 ओलंपिक को कैसे बदलेगा?
मेज़बान शहर टोक्यो है और विशेषज्ञों का कहना है कि खेलों को सुरक्षित रूप से आयोजित करने के लिए ज़रूरी है कि हर रोज़ आने वाले संक्रमण के मामलों की दर 100 से कम ही रहे।
मई के दूसरे हफ़्ते के बाद कोविड के मामलों में गिरावट आई और हर रोज़ 400 से कम मामले आने लगे। लेकिन संक्रमण के मामले एक बार फिर से बढ़ रहे हैं।
टोक्यो में आपातकाल लागू है। वहां और फ़ुकुशिमा में ओलंपिक कार्यक्रम दर्शकों के बिना हो रहे हैं। मियागी और शिज़ुओका प्रांत में सीमित संख्या में दर्शकों को जाने की अनुमति होगी।
टोक्यो में बार और रेस्तरां के खुलने के लिए समय की सीमा तय होगी। इसके अलावा सर्विंग को लेकर भी नियम सख़्त होंगे। राजधानी के निवासियों को भी ग़ैर-ज़रूरी यात्रा से बचने, मास्क पहनने और घर से ही काम करने की सलाह दी गई है।
जापान ने कितने लोगों को लगी है वैक्सीन?
19 जुलाई तक, देश की 35% से अधिक आबादी को कम से कम एक ख़ुराक़ लग चुकी है। वहीं 23% को वैक्सीन की पूरी डोज़ मिल चुकी है।
अमेरिका, फ़्रांस और जर्मनी में उनकी आबादी के 40% से 50% लोगों को वैक्सीन की पूरी डोज़ मिल चुकी है। ब्रिटेन में तो 53% लोगों का फ़ुल वैक्सीनेशन हो चुका है।
जापान ने अन्य विकसित देशों की तुलना में फ़रवरी में टीकाकरण अभियान शुरू किया था। कुछ महीनों तक तो यहां सिर्फ़ फ़ाइज़र वैक्सीन को ही मान्यता थी।
इस प्रक्रिया में अधिक समय लगा क्योंकि जापान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए परीक्षणों के साथ-साथ अपने परीक्षण करने पर जोर दिया।
असाही शिंबन अख़बार के अनुसार, अधिकारियों का कहना है कि यह वैक्सीन में विश्वास पैदा करने के लिए किया गया था। इसके अलावा साइड इफ़ेक्ट की चिंता के कारण भी लोगों में झिझक बढ़ी।
इंपीरियल कॉलेज लंदन ने 15 देशों पर अध्ययन किया जिसमें पाया गया कि जापान में कोरोना वायरस टीकों को लेकर लोगों में विश्वास की सबसे अधिक कमी थी। इसके अलावा आपूर्ति की कमी और लॉजिस्टिक्स की समस्याओं के कारण भी टीकाकरण के कार्यक्रम में रुकावट आई।
जापानी क़ानून ने केवल डॉक्टरों और नर्सों को टीकाकरण करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन बाद में नियमों में ढील दी गई। हर रोज़ लगने वाली खुराक़ की संख्या मई और लगभग जून में बढ़ी, लेकिन हाल के समय में इसमें दोबारा गिरावट आ गई है।
जापान ने और क्या उपाय किए हैं?
बीते साल जब महामारी ने दस्तक दी तो बहुत से देशों के विपरीत जापान ने ना तो अपने यहां सख़्त लॉकडाउन लागू किया और ना ही अपनी सीमाओं को पूरी तरह से बंद किया।
अप्रैल 2020 में सरकार ने आपातकाल की स्थिति की घोषणा की, हालांकि घर में रहने के दिशा-निर्देश स्वैच्छिक थे। गैर-आवश्यक व्यवसायों को बंद करने के लिए कहा गया था, लेकिन उसे नहीं मानने वालों के लिए दंड जैसा कुछ नहीं था।
कुछ देशों से आने वालों के लिए प्रतिबंध लागू किए गए थे और कुछ देशों को बाद में भी प्रतिबंधित किया गया था। फ़िलहाल 159 देशों (विशेष परिस्थितियों को छोड़कर) से प्रवेश वर्जित है।
जापान में एक बड़ी बुजुर्ग आबादी है और शहरी क्षेत्र बेहद घनी आबादी वाले हैं। बावजूद इसके शुरुआती दौर में जापान वायरस को नियंत्रित करने और मृत्यु दर को नियंत्रित रखने में अपेक्षाकृत सफल साबित हुआ।
ऐसा होने के पीछ कई तरह के सिद्धांत होने का दावा किया जा सकता है:-
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मास्क पहनने जैसे सुरक्षा उपायों का सख़्ती से पालन
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गले लगने, किस करने या फिर निकट शारीरिक संपर्क से परहेज़ के नियम का पालन
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हृदय रोग, मोटापा और मधुमेह जैसी पुरानी बीमारी की कम दर
हालाँकि, पूरे 2020 में वायरस का प्रकोप था। देश भर में संक्रमण के मामले भी बाद में बढ़े और चरम पर भी पहुंच गए। उस समय, सरकार को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए घरेलू यात्रा को प्रोत्साहित करने वाले अभियान के लिए आलोचना का सामना भी करना पड़ा था।