सलीम रिज़वी, न्यूयॉर्क से, बीबीसी हिंदी के लिए
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 3 नवंबर को वोटिंग ख़त्म हो जाने के बाद अभी चुनावी नतीजे तय होना बाक़ी हैं।
कुछ प्रांतों में अभी मतगणना पूरी होने में कुछ दिन और लग सकते हैं।
साल 2020 के अमेरिकी चुनाव में भारी मतदान हुआ है। कोरोना महामारी के चलते बड़ी संख्या में अमेरिकी मतदाताओं ने पोस्टल बैलट के ज़रिए भी वोटिंग की है जिसको अब कई प्रांतों में गिनने का काम जारी है। चुनाव के दिन से पहले ही पोस्टल बैलेट के ज़रिए 10 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने वोटिंग कर दी थी।
मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप कई अहम प्रांतों में बढ़त लिए हुए हैं। फ्लेरिडा, ओहायो, टेक्सस जैसे अहम प्रांतों में उनको आगे माना जा रहा है। अभी आधिकारिक तौर पर इन प्रांतों के नतीजों की घोषणा नहीं की गई है।
वहीं, डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन को मिशिगन और विस्कॉन्सिन जैसे अहम प्रांतों में आगे माना जा रहा है। अभी पेंसिलवेंनिया, नॉर्थ कैरोलाइना, जॉर्जिया जैसे कुछ अहम प्रांतों के नतीजे अभी आना बाक़ी हैं।
ट्रंप ने लगाए आरोप
ट्रंप ने मतगणना के तरीकों पर सवाल उठा दिए हैं और मिशिगन और पेंसिलवेनिया प्रांतों में मतगणना के सिलसिले में अदालत में मुकद्दमे भी दायर कर दिए हैं।
मंगलवार को चुनाव के दिन मतदान ख़त्म होने के कुछ घंटों बाद देर रात 2 बजे डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समर्थकों के सामने जीत का ऐलान भी कर दिया और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में मतदान से जुड़े मामलों में मुकदमा दायर करने का भी ऐलान कर दिया था।
ट्रंप ने कहा, "ये हमारे देश की जनता के साथ एक बड़ा धोखा है। हम चाहते हैं कि क़ानून को सही तरीक़े से लागू किया जाए। हम अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे। वोटिंग ख़त्म होने के बाद वोट डालने नहीं दिया जा सकता।"
ट्रंप ने खासकर पोस्टल वोटिंग द्वारा डाले गए मतों को कई महीनों से निशाना बनाया हुआ था। उनका आरोप है कि डेमोक्रेट्स ने पोस्टल वोटिंग के ज़रिए धोखाधड़ी की है। लेकिन, ट्रंप के इन आरोपों के कोई सुबूत नहीं हैं।
अभी पेंसिलवेनिया जैसे चुनावी तौर पर अहम प्रांत में लाखों मतों की गिनती होना बाकी है।
पेंसिलवेनिया, नॉर्थ कैरोलाइना, नेवाडा, एरिज़ोना और जॉर्जिया के नतीजों का सभी को इंतज़ार है। लेकिन, कई प्रांतों में मतगणना को लेकर अदालती कारवाई के कारण नतीजों के ऐलान में देरी भी हो सकती है।
क्या कहते हैं भारतीय मूल के अमेरिकी?
अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों ने भी अगले राष्ट्रपति को चुने जाने की प्रक्रिया पर नज़र बनाई हुई है।
मिशिगन के एन आर्बर शहर में रहने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी हर्षद पटेल का केटरिंग का बिज़नस है। वह कहते हैं कि उनके इलाक़े में तो भारतीय समुदाय का भारी समर्थन डेमोक्रेट्स के साथ रहा है। इस बार उनको उम्मीद है कि डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बिडेन ही जीत हासिल करेंगे।
हर्षद पटेल कहते हैं, "हम लोग अपने बिज़नस को लेकर बहुत परेशान रहे क्योंकि कोरोना वायरस के सिलसिले में ट्रंप ने सही फ़ैसले नहीं लिए और हमें बहुत नुक़सान उठाना पड़ा है। उम्मीद है कि बिडेन प्रशासन अच्छे फ़ैसले लेगा।"
हर्षद पटेल ने खुशी-खुशी बताया कि उनके इलाक़े में मिशिगन प्रांत में कई भारतीय मूल के उम्मीदवार, जो प्रांतीय स्तर के चुनाव लड़ रहे थे, उनको भी कामयाबी मिली है।
बंटा हुआ है भारतीय समुदाय
न्यू जर्सी में रहने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी मुरली मेदीचेरला भी चुनावों पर नज़र बनाए हुए हैं। वह कहते हैं कि भारतीय समुदाय तो बंटा हुआ है। कुछ जो बाइयडन के समर्थक हैं तो कुछ डोनाल्ड ट्रंप को ही अगले राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहते हैं।
मुरली मेदीचेरला कहते हैं, "मतगणना का मामला अदालत में जाने के बाद अब यह भी संभावना है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में ही कोई फ़ैसला हो और उसमें महीनों लग सकते हैं।"
मुरली मेदीचेरला कहते हैं कि बहुत से लोगों ने कोरोना महामारी के कारण पोस्टल बैलेट से मत भेजा लेकिन उसमें मतदाताओं को कुछ मुश्किल भी हुई थी। वह कहते हैं कि मतों के मामले में कुछ सवाल पोस्टल विभाग पर भी उठ रहे हैं।
न्यू जर्सी और न्यूयॉर्क में भारी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं। जो बिडेन ने दोनों प्रांतों में भारी जीत दर्ज की है।
लेकिन भारतीय मूल के ट्रंप समर्थक अमेरिकियों ने अभी हौसला नहीं छोड़ा है। न्यूयॉर्क में रहने वाले ट्रंप कैंपेन से जुड़े भारतीय मूल के अल मेसन चुनावी नतीजों से आश्वस्त नज़र आए। उनका कहना है कि जो बिडेन के लिए चुनाव से पहले कहा जा रहा था कि वो भारी जीत दर्ज करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अल मेसन कहते हैं, "हमने जिन प्रांतों में जीतने का दावा किया था वहां ट्रंप भारी जीत दर्ज कर रहे हैं, फ्लोरिडा, टेक्सस आदि में हम बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। हमें भारतीय समुदाय का भरपूर समर्थन मिला है।"
अल मेसन का कहना है कि ट्रंप अब कुछ प्रांतों में मतगणना को चुनौती देने के लिए अदालत भी जाएंगे और उस प्रक्रिया में महीनों लग सकते हैं।
अदालत जाने से नाराज़
फ्लोरिडा में रहने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी पीयूष अग्रवाल ट्रंप के समर्थक हैं और वह इस बात से खुश हैं कि ट्रंप फ्लोरिडा में आगे बने हुए हैं। लेकिन, अगला राष्ट्रपति कौन होगा ये जानने के लिए वो भी नतीजों का इंतज़ार कर रहे हैं।
पीयूष अग्रवाल कहते हैं, "इस समय मामला बहुत असमंजस का है लेकिन हमारी तो इच्छा यही है कि ट्रंप जीत जाएं। हमने अपने प्रांत में तो अपना फ़र्ज़ अदा कर दिया।"
लेकिन, पीयूष अग्रवाल ट्रंप के उस बयान से नाराज़ हैं जो उन्होंने मतगणना को लेकर दिए हैं। वह कहते हैं कि अब अदालती कारवाई में तो महीनों लग जाएंगे।
वह कहते हैं, "ट्रंप साहब अगर अपनी ज़बान पर काबू रखें तो काम सही हो जाएगा। अब दो बजे रात में मतगणना रोकने को लेकर उन्हें अदालत जाने की बात कहने की क्या ज़रूरत थी।"
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के लिए इलेक्टोरल कॉलेज के 270 वोट हासिल करने ज़रूरी होते हैं। फिलहाल इस मामले में जो बिडेन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से आगे चल रहे हैं।
अमेरिका में इस बार कुल मतदाताओं में से 66.9 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जो 120 साल में रिकॉर्ड मतदान है। सन् 1900 के बाद पहली बार इतनी अधिक संख्या में मतदान हुआ है।