आइसक्रीम खरीदते वक़्त आपको वनीला फ़्लेवर का ऑप्शन दिखा होगा। पिछले दो सालों से वनीला की क़ीमतें लगातार चढ़ रही हैं। ब्रितानी बाज़ार में ये 600 डॉलर प्रति किलो की रेट तक पहुंच गया है। भारतीय मुद्रा में एक किलो वनीला खरीदेने पर आपको 40 हज़ार रुपए जेब से निकालने पड़ सकते हैं।
भारत में इस समय चांदी 43,200 रुपए प्रति किलो की रेट से बिक रहा है तो ब्रिटेन के मार्केट में चांदी 530 डॉलर (35,500 रुपए) प्रति किलो के भाव से बिक रहा है। वनीला की बढ़ती कीमतों से आइसक्रीम का कारोबार करने वाली कंपनियां भी ठिठुर रही सी लगती हैं।
ब्रिटेन के स्नगबरी आइसक्रीम कंपनी हर हफ़्ते पांच टन आइसक्रीम बनाती है। उनके 40 फ़्लेवर्स में एक तिहाई में किसी न किसी तरह से वनीला का इस्तेमाल होता है। बीते सालों में ये कंपनी वनीला जिस कीमत पर खरीद रही थी, आज वे तीस गुना से भी ज़्यादा क़ीमत चुका रहे हैं।
ब्रिटेन में एक कंपनी ने तो वनीला फ़्लेवर वाली आइसक्रीम बनानी ही बंद कर दी है।
क्यों बढ़ रही है वनीला की क़ीमतें?
वनीला की फ़सल का 75 फ़ीसदी उत्पादन उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में मैडागास्कर द्वीप पर होती है। क़ीमतों के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह ये है कि बीते मार्च के महीने में मैडागास्कर में चक्रवातीय तूफ़ान आया था और इसमें वनीला की फ़सल ख़राब हो गई थी।
हालांकि क़ीमतें कम होने की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन तेज़ मांग के कारण भाव कमज़ोर पड़ता नहीं दिख रहा है। वनीला की खेती एक मुश्किल काम है। वनीला से इसका अर्क निकाला जाता है। यही वजह है कि केसर के बाद ये दुनिया की दूसरी सबसे महंगी फ़सल है।
कमोडिटी मार्केट के जानकार जूलियान गेल बताते हैं कि मैडागास्कर के अलावा पपुआ न्यू गिनी, भारत और यूगांडा में इसकी खेती होती है। दुनिया भर में इसकी मांग है। अमरीका अपनी बड़ी आइसक्रीम इंडस्ट्री की वजह से काफी वनीला खपत करता है। न केवल आइसक्रीम, बल्कि वनीला का इस्तेमाल मिठाइयों और शराब से लेकर परफ़्यूम तक में होता है।