कांग्रेस नेता राहुल गांधी सोमवार को अमेठी में थे। साल 2019 तक राहुल गांधी लोकसभा में इसी सीट की नुमांइदगी करते थे। कांग्रेस के कई नेता इस सीट से राहुल गांधी और उनके परिवार के रिश्ते की बात कर रहे थे।
अमेठी की रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी पर सीधा आरोप लगाया। खड़गे ने कहा, “उत्तर प्रदेश के रायबरेली और अमेठी में वो (बीजेपी) काम नहीं करना चाहते हैं। वे दुश्मनी निकालने की साजिश कर रहे हैं।”
खड़गे ने बीजेपी के लिए जो कहा, कई लोगों को उससे ज़्यादा दिलचस्पी ये जानने में थी कि वो समाजवादी पार्टी के लिए क्या कहते हैं।
कांग्रेस की अमेठी में हुई इस रैली के कुछ घंटे पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग को लेकर एक बयान दिया था। उसी ने दोनों पार्टियों के रिश्तों के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया।
अखिलेश यादव ने क्या कहा?
सोमवार को अखिलेश यादव से सवाल किया गया कि क्या वो राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शरीक होंगे। अखिलेश यादव या उनकी पार्टी के प्रतिनिधि न्याय यात्रा में शरीक होते तो कांग्रेस के लिहाज से सबसे अच्छी जगह अमेठी ही हो सकती थी।
कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष अजय राय के मुताबिक अखिलेश यादव को पार्टी अध्यक्ष (खड़गे) ने न्योता दिया था।
लेकिन, अखिलेश यादव ने दो टूक कहा, “जिस समय (समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच) सीटों का बंटवारा हो जाएगा। समाजवादी पार्टी उनकी न्याय यात्रा में शामिल हो जाएगी।”
ये सीधा संकेत था कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच अभी सीट शेयरिंग पर बात फ़ाइनल नहीं हुई है और अखिलेश यादव की पार्टी अमेठी में कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल नहीं होगी। हालांकि, अखिलेश यादव ने ये भी कहा कि अभी दोनों दल बातचीत में लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा, “अभी बातचीत चल रही है। कई दौर में बातचीत हो चुकी है। कई सूचियां उधर से आईं। सूची इधर से भी गई।”
इंडिया गठबंधन बना तो समाजवादी पार्टी के अलावा उत्तर प्रदेश के एक हिस्से में असर रखने वाला राष्ट्रीय लोकदल भी साथ था। राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी साथ थे लेकिन अब राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी ने बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल होने का एलान कर दिया है।
2022 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बीजेपी से नाता तोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी अब अलग राह पकड़ने का संकेत दे दिया है। ओमप्रकाश राजभर काफी पहले एनडीए का हिस्सा बन चुके हैं।
साथ नहीं आईं मायावती
उधर, इंडिया गठबंधन के गठन के बाद से कांग्रेस उत्तर प्रदेश में बहुजन समाजवादी पार्टी को भी इस गठजोड़ में साथ लाने की कोशिश में थी लेकिन मायावती ने जनवरी में ही एलान कर दिया कि उनकी पार्टी चुनाव के पहले किसी दल या गठबंधन से तालमेल नहीं करेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय में मौजूदा स्थिति में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, दोनों ही दलों के लिए अकेले चुनाव लड़ने के मुक़ाबले गठजोड़ फ़ायदेमंद हो सकता है।
इसकी एक वजह ये बताई जाती है कि उत्तर प्रदेश में 2014 के बाद से भारतीय जनता पार्टी ने दबदबा बनाया हुआ है। उन्होंने पश्चिमी, मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश में ऐसे दलों को साथ लाने में कामयाबी हासिल की है, जिनका अपने असर वाले क्षेत्रों में अच्छा जनाधार है।
मसलन, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी का राष्ट्रीय लोकदल, अनुप्रिया पटेल का अपना दल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर की सुलेहदेव भारतीय समाज पार्टी।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठजोड़ की हिमायत करने वाले अपने समर्थन में पिछले दो लोकसभा चुनाव के नतीजों को याद दिलाते हैं।
समाजावादी पार्टी बीते दो लोकसभा चुनाव में यूपी में पांच- पांच सीट ही जीत सकी थी। वहीं कांग्रेस को 2014 में दो और 2019 में सिर्फ़ एक सीट मिली थी।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव 2019 में कन्नौज से हार गईं थीं जबकि राहुल गांधी को अमेठी में हार झेलनी पड़ी थी।
राहुल गांधी केरल के वायनाड से लोकसभा पहुंचे जबकि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी सीट से डिंपल यादव सांसद चुनी गईं।
हालांकि, साथियों के बिछड़ने और पिछले चुनावों के उम्मीद से कमतर नतीजों के बाद भी समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव के हालिया तेवर कांग्रेस को रियायत देने वाले नहीं दिखते।
अखिलेश यादव ने सोमवार को कांग्रेस को सीट शेयरिंग के मुद्दे पर साफ़ संकेत दिया और कुछ ही घंटों बाद उनकी पार्टी ने 11 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी। उनकी पार्टी 16 उम्मीदवारों की एक लिस्ट पहले भी जारी कर चुकी है।
अखिलेश यादव की ओर से आए बयान और संकेतों के बाद कांग्रेस के आला नेता स्थिति संभालने की कोशिश में नज़र आए।
कांग्रेस ने क्या कहा?
यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा, “निश्चित तौर पर जो बात ये चल रही है (सीट शेयरिंग की) बहुत सौहार्दपूर्ण वातावरण में। बहुत अच्छे वातावरण में बात चल रही है, और बहुत जल्दी इसका सकारात्मक परिणाम आएगा और निश्चित तौर पर इंडिया गठबंधन मजबूती के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा। ”
कुछ घंटे बाद मल्लिकार्जुन खड़गे भी इस मुद्दे पर बोले।
उन्होंने कहा, “सबकुछ ठीक होगा। सब उन्होंने (अखिलेश यादव ने) मान लिए। हम लोग मान लिए। सब लोग ठीक हैं। कोई उसमें (सीट शेयरिंग में) प्रॉब्लम नहीं है। ”
राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि नेता जितनी तसल्ली दिखा रहे हैं, मामला उतना सीधा नहीं है। अटके हुए पेंच का अंदाज़ा इंडिया गठबंधन के बाकी सहयोगियों को भी है। लेकिन वो इस दिक्कत के बारे में पूछने पर एनडीए की उलझी गांठों की बात करते हैं।
शिव सेना (उद्धव गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं, “कोई सवाल ये नहीं पूछ रहा है कि एनडीए के 42 पार्टनर हैं, क्या उनमें सीट शेयरिंग की बात शुरू हो गई है। ”
अखिलेश यादव के भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल न होने के मुद्दे को भी वो तूल नहीं देना चाहती हैं।
प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं, “ भारत जोड़ो न्याय यात्रा अलायंस की नहीं है। इंडिया अलायन्स की। वो कांग्रेस पार्टी की है। कांग्रेस पार्टी के नेता वहां घूम रहे हैं। उसमें जुड़ने नहीं जुड़ने से हमें ये नहीं देखना है कि इंडिया अलायंस कमज़ोर है। मजबूती से हम लड़ रहे हैं। मजबूती से हम साथ खड़े हुए हैं।”
हालांकि वो ये भी कहती हैं कि सीट शेयरिंग पर जल्दी फैसला होना गठबंधन के हक में रहेगा।
वो कहती हैं, “जहां तक सीट शेयरिंग की बात है, सारे ही पक्ष अपना डिसीजन ले रहे हैं। साथ ही साथ चर्चा जारी है। मैं चाहूंगी कि जल्दी से जल्दी निर्णय हो। जिससे अच्छा उम्मीदवार चुनकर भेजा जा सके।”