आलोक प्रकाश पुतुल, रायपुर से बीबीसी हिंदी के लिए
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया की प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी द्वारा कथित अवैध वसूली और ज़मीन से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में की गई गिरफ़्तारी के साथ ही राज्य में नौकरशाही और सत्ता की भूमिका को लेकर बहस शुरू हो गई है।
छत्तीसगढ़ की राजनीति और नौकरशाही में पिछले चार सालों में सौम्या चौरसिया, सबसे चर्चित और प्रभावशाली नाम रहा है।
मंत्री-विधायक और अफसरों से जुड़े हर छोटे-बड़े प्रशासनिक और राजनीतिक फ़ैसले को सौम्या चौरसिया से जोड़ा जाता रहा है। यहां तक कि मीडिया घरानो में पत्रकारों की नियुक्ति से लेकर उन्हें नौकरी से निकाले जाने तक के पीछे भी सौम्या चौरसिया की भूमिका के किस्से बताने वालों की कमी नहीं है।
15 साल के भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में, भारतीय राजस्व सेवा की नौकरी छोड़ कर मुख्यमंत्री सचिवालय में शामिल हुए अमन सिंह को राज्य का सबसे ताक़तवर व्यक्ति माना जाता था। भूपेश बघेल की सरकार में सौम्या चौरसिया को 'लेडी अमन सिंह' कहा गया।
लेकिन साल 2018 से पहले ऐसा नहीं था। यह 2015 के आसपास का मामला है, जब छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले के पाटन के किसानों ने वहां की एसडीएम कार्यालय का घेराव किया था।
मुख्यमंत्री सचिवालय में नियुक्ति
किसानों के इस प्रदर्शन के पीछे थे कांग्रेस नेता भूपेश बघेल और एसडीएम थीं सौम्या चौरसिया। सौम्या चौरसिया ने उस समय अपना अनुभव साझा करते हुए यह इच्छा जताई थी कि वे जीवन में एक बार दुर्ग ज़िले की कलेक्टर बन कर लौटना चाहती हैं, ताकि कुछ नेताओं को 'सबक' सिखाया जा सके।
साल 2008 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी 42 वर्षीय श्रीमती सौम्या चौरसिया कलेक्टर तो नहीं बन पाईं लेकिन 17 दिसंबर 2018 को जब भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उसके तीसरे ही दिन मुख्यमंत्री सचिवालय में बतौर उप सचिव सौम्या चौरसिया की नियुक्ति का आदेश भी जारी हो गया।
माना गया कि भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र पाटन में एसडीएम और गृह ज़िले दुर्ग में 2011 से 2016 तक विभिन्न पदों पर काम के कारण भूपेश बघेल उनसे प्रभावित थे, इसलिए कई शीर्ष अधिकारियों को किनारे करते हुए मुख्यमंत्री सचिवालय में उनकी नियुक्ति की गई।
राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, "सौम्या चौरसिया ने अपनी नियुक्ति के कुछ ही महीनों के भीतर पूरे मुख्यमंत्री सचिवालय में अपनी ऐसी पकड़ बना ली कि उनकी मर्जी के बिना एक चिट्ठी या फ़ाइल तक इधर से उधर नहीं होती थी।"
"वे वरिष्ठ आईएएस और आइपीएस अधिकारियों को निर्देशित करने लगीं। राज्य के प्रशासनिक और यहां तक कि राजनीतिक फ़ैसलों में भी उनका दख़ल बढ़ता चला गया। वे देखते ही देखते मुख्यमंत्री की सबसे क़रीबी अधिकारी बन गईं।"
सुपर सीएम
शुक्रवार को सौम्या चौरसिया की प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी द्वारा की गई गिरफ़्तारी के बाद, भारत में ट्वीटर पर कई घंटों तक ट्रेंड करता रहा '#सुपर_सीएम_गिरफ्तार' बताता है कि उन्हें लेकर आम धारणा भी यही बन गई थी कि वे राज्य की सबसे ताक़तवर अफ़सर हैं।
हालांकि सौम्या चौरसिया के वकील फ़ैसल रिज़वी इस गिरफ़्तारी को ही ग़लत बता रहे हैं। फ़ैसल रिज़वी का कहना है कि ईडी ने उनसे नौ बार पूछताछ की। आख़िरी तीन बार तो उन्हें सुबह से देर रात तक ग़ैरक़ानूनी तरीके से ईडी के दफ़्तर में रोक कर रखा गया और कोई पूछताछ ही नहीं की गई।
फ़ैसल रिज़वी कहते हैं, "सौम्या चौरसिया को राजनीतिक कारणों से हमेशा से निशाने पर लिया गया है। वे किसी भी दूसरे अधिकारी की तरह अपनी सीमा में कामकाज करती रही हैं। जिस कथित अवैध वसूली में शामिल होने का आरोप उन पर लगाया गया है, उस मामले में गिरफ़्तार लोगों ने कभी इनका नाम नहीं लिया है। ज़मीन से जुड़े मामलों में भी लगाए गए आरोप सिरे से बेबुनियाद हैं।"
फ़ैसल रिज़वी का आरोप है कि बस्तर के भानुप्रतापुर में हो रहे विधानसभा उपचुनाव में, भाजपा के प्रत्याशी का नाम एक नाबालिग से बलात्कार के मामले में सामने आया है, जिससे ध्यान हटाने के लिए सौम्या चौरसिया की गिरफ़्तारी हुई है।
कांग्रेस पार्टी का भी दावा है कि राजनीतिक कारणों से सौम्या चौरसिया की गिरफ़्तारी हुई है।
राज्य में कांग्रेस पार्टी के मीडिया प्रभारी सुशील आनंद शुक्ला ने बीबीसी से कहा, "हमारी सरकार बार-बार कहती रही है कि अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव है और भारतीय जनता पार्टी दूर-दूर तक मुकाबले में नहीं है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी, अब केंद्रीय एजेंसियों का सहारा लेकर हमारे अफ़सरों और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ झूठे मामले बना कर सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।"
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सौम्या चौरसिया की गिरफ़्तारी को राजनीतिक कार्रवाई बताया।
वे पहले भी कहते रहे हैं कि जैसे-जैसे राज्य में चुनाव करीब आता जाएगा, ईडी और आईटी जैसी केंद्रीय एजेंसियों की छत्तीसगढ़ में कार्रवाई की रफ़्तार बढ़ती जाएगी।
सौम्या चौरसिया की शुक्रवार को गिरफ़्तारी के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक ट्वीट में कहा, "जैसा कि मैं कहता रहा हूं, ईडी द्वारा मेरी उप सचिव सौम्या चौरसिया की गिरफ्तारी एक राजनीतिक कार्रवाई है। हम इसके ख़िलाफ़ पूरी ताक़त से लड़ेंगे।"
क्या हैं आरोप
छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक मध्यमवर्गीय परिवार में पली-बढ़ी, तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी सौम्या चौरसिया ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 2008 में राज्य प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास की।
बिलासपुर ज़िले में प्रशिक्षण के बाद 2011 तक उन्हें पेंड्रा और बिलासपुर में एसडीएम के पद पर कामकाज करने का मौका मिला। 2011 में उनका तबादला दुर्ग ज़िले में किया गया, जहां उन्होंने भिलाई और पाटन में एसडीएम का दायित्व संभाला।
मार्च 2016 में भिलाई चरौदा नगर निगम की वे पहली आयुक्त बनाई गईं और उसी साल उन्हें रायपुर नगर निगम में अपर आयुक्त के पद पर पदस्थ किया गया। मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थापना से पहले तक वे इसी पद पर कार्यरत थीं।
छत्तीसगढ़ में विपक्षी दल भाजपा का आरोप है कि सत्ता में कांग्रेस पार्टी की सरकार के आने के कुछ महीनों के भीतर ही कोयला से लेकर आयरन ओर और रेत खदानों से लेकर शराब बिक्री तक में, एक तयशुदा रक़म की वसूली की शुरुआत हुई, जो अरबों में है।
इन्हीं चर्चाओं के बीच फरवरी 2020 में आयकर विभाग ने राज्य में एक साथ कई जगहों पर छापा मारा, जिनमें सौम्या चौरसिया का घर भी शामिल था।
इस कार्रवाई के दौरान अख़बारों ने छापा कि सौम्या चौरसिया के घर से 100 करोड़ से अधिक की नगद रक़म बरामद की गई है। लेकिन आयकर विभाग ने अपना एक बयान जारी करते हुए साफ़ किया कि राज्य भर में मारे गए इन सभी छापों में 150 करोड़ रुपये की बेनामी लेन-देन के दस्तावेज़ मिले हैं।
इसी छापेमारी में मिले दस्तावेज़ों के आधार पर ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, हाईकोर्ट के जज और अन्य अधिकारी, हज़ारों करोड़ के कथित नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले के आरोपियों आईएएस आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा को बचाने के लिए साजिश रच रहे थे।
सबूतों के आधार पर कार्रवाई
आयकर विभाग के इन दस्तावेज़ों को पढ़ने से सौम्या चौरसिया के प्रभाव का भी अनुमान लगाया जा सकता है।
दिल्ली की एक अदालत में इसी साल मई महीने में आयकर विभाग ने 997 पन्नों का आरोप पत्र पेश किया। इस आरोप पत्र के पृष्ठ क्रमांक 835 में मुख्यमंत्री के एक और करीबी अधिकारी अनिल टूटेजा और सौम्या चौरसिया का कथित वाट्सऐप चैट का स्क्रिन शॉट बताता है कि छत्तीसगढ़ में शीर्षस्थ अधिकारियों की पदस्थापना का फ़ैसला तक, यही दोनों मिल कर ले रहे थे।
छापे के इन दस्तावेज़ों के अलावा भी जांच चलती रही और छापों का सिलसिला भी। इस साल अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में जब प्रवर्तन निदेशालय ने छापामारी की ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरु की तो सौम्या चौरसिया एक बार फिर इस जद में आईं। उनसे कई-कई दिनों तक पूछताछ होती रही।
शुक्रवार को सौम्या चौरसिया की गिरफ़्तारी के बाद अदालत में ईडी ने अपने आरोप पत्र में कहा कि राज्य में 500 करोड़ से भी अधिक की अवैध कोयला लेवी की वसूली के पीछे सौम्या चौरसिया हैं। ईडी ने परिजनों के नाम की ज़मीन की ख़रीद-बिक्री में भी करोड़ों रुपये की गड़बड़ी के आरोप लगाए।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह का कहना है कि सौम्या चौरसिया की गिरफ़्तारी ने राज्य सरकार की हक़ीक़त सामने ला दी है।
डॉक्टर रमन सिंह ने बीबीसी से कहा, "ईडी के पास सौम्या चौरसिया के अपराध में शामिल होने के पूरे सबूत होंगे, तभी कार्रवाई की गई होगी। राज्य में भ्रष्टाचार का एक पूरा रैकेट काम कर रहा है, जिसमें सौम्या चौरसिया जैसे अफ़सर शामिल हैं।"
ईडी की कार्रवाई
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल भी मानते हैं कि इन गिरफ़्तारियों को महज राजनीतिक संज्ञा दे कर बचा नहीं जा सकता।
उनका कहना है कि खनन के नाम पर एक तयशुदा रक़म वसूलने के मामले में पिछले महीने गिरफ़्तार आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, कोयला व्यापारी सुनील अग्रवाल, लक्ष्मीकांत तिवारी और सूर्यकांत तिवारी अब तक जेल में हैं। सौम्या चौरसिया को भी कई बार पूछताछ के लिए बुलाया गया और उसके बाद अब जा कर उनकी गिरफ़्तारी हुई है।
नारायण चंदेल ने बीबीसी से कहा, "मुख्यमंत्री सचिवालय की सबसे ताक़तवर अफ़सर की गिरफ़्तारी हुई है। मुख्यमंत्री की ज़िम्मेवारी थी कि ऐसे अफ़सरों पर कार्रवाई करते लेकिन अब जब कार्रवाई हुई है तो मुख्यमंत्री सौम्या चौरसिया को बचाने की बात कर रहे हैं।"
सौम्या चौरसिया के पति एक निजी कंपनी में काम करते हैं। वे हमेशा से मीडिया से दूर रहे हैं। सौम्या चौरसिया के दूसरे परिजन भी उनकी गिरफ़्तारी के मुद्दे पर बात नहीं करना चाहते। ईडी की कार्रवाई जारी है और कई अफ़सर, नेता, उद्योगपति निशाने पर हैं। फिलहाल ईडी भी इस पर बात नहीं करना चाहती।
लेकिन इतना तो तय है कि अभी छत्तीसगढ़ की राजनीति की केंद्र में आ चुकी सौम्या चौरसिया के मुद्दे पर अगले कुछ दिनों तक चौक-चौराहों से लेकर विपक्ष और सत्ता के गलियारे तक, सच, झूठ और अफ़वाहों की शक़्ल में बातें होती रहेंगी।