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'जनसमूह में योग करना हमाम में नहाने जैसा'

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, मंगलवार, 21 जून 2016 (11:10 IST)
- देवीदास देशपांडे (पुणे से)
 
अयंगर योग के प्रशिक्षक प्रशांत अयंगर का कहना है कि योग को लोकप्रिय बनाना ठीक है लेकिन उसके प्रचार का तरीका सही नहीं है। प्रशांत अयंगर योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले बीकेएस अयंगर द्वारा स्थापित रमामणि अयंगर मेमोरियल योग इंस्टीट्यूट के निदेशक हैं।
वे कहते हैं, 'योग को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार का प्रयास सही है लेकिन उसे जिस तरह प्रचारित किया जा रहा है, वो सही नहीं है। योग सीखने नहीं बल्कि आत्मसात करने की बात है। इसके लिए गुरुकुल जैसे व्यक्तिगत मार्गदर्शन की व्यवस्था चाहिए। जन समूह के बीच योग करना हमाम में नहाने जैसा है।'
 
दो साल पहले केंद्र में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योग को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करते नजर आए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी 21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया था।
 
लेकिन इस तरह के प्रयासों पर प्रशांत अयंगर की राय अलग है। उनका मानना है, 'बड़े पैमाने पर योग के कार्यक्रम करने से लोगों को केवल पता चलेगा कि योग जैसी कोई चीज है। लेकिन इससे योग उनके जीवन का हिस्सा नहीं बनेगा। सरकार योग सिखाने वाले शिक्षक तैयार करना चाहती है, लेकिन उससे भोंदू लोग ही बढ़ेंगे। आज भी योग के क्षेत्र में कई भोंदू हैं जिनके कारण लोग योग के बारे में नकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं।'
 
वे कहते हैं, 'आज अनेक आश्रम और संस्थाएं योग के लिए काम कर रही हैं। उन्हें साथ लेकर इसे गुरुकुल व्यवस्था की तरह सिखाया जाना चाहिए। टीवी या पुस्तकों में देखकर योग करने से कोई फायदा नहीं होगा बल्कि लंबी अवधि में नुकसान ही होगा।' प्रशांत अयंगर स्कूली बच्चों में योग के प्रसार को लेकर भी आगाह करते हैं।
 
वे कहते हैं, 'हमारे विद्यालय साफ-सुथरे नहीं होते। ऐसे में बच्चों को सीधे योग की क्रियाएं अथवा आसन सिखाने से उनके मन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उनके मन में योग के प्रति तिरस्कार जागेगा जो शायद 20-25 वर्षों तक कायम रह सकता है।
 
अयंगर मानते हैं, 'बच्चे जब कुछ समझदार हो जाए तब हो सकता है उनमें फिर से योग के प्रति लगाव हो, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होगी। इसलिए योग के ऐसे सार्वजनिक कार्यक्रम हमाम में नहाने जैसा है। उससे असली सफाई नहीं हो सकती। उसी तरह योग का वास्तविक उद्देश्य व्यक्तिगत तौर पर ही साध्य किया जा सकता है।'

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