Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

यूट्यूब के ज़रिए कैसे फैल रहा बॉलीवुड के प्रति नफ़रत का 'धंधा' - बीबीसी पड़ताल

हमें फॉलो करें यूट्यूब के ज़रिए कैसे फैल रहा बॉलीवुड के प्रति नफ़रत का 'धंधा' - बीबीसी पड़ताल

BBC Hindi

, गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022 (13:36 IST)
जुगल पुरोहित, मेधावी अरोड़ा और सेराज अली, बीबीसी डिसइन्फ़ॉर्मेशन यूनिट
देश के हिंदी फ़िल्म उद्योग 'बॉलीवुड' को हिट और फ़्लॉप, जश्न और त्रासदी, प्रशंसा, उपहास और मतभेदों के लिए जाना जाता है। हालाँकि, कुछ ऐसी भी चीज़ें हैं जो दिख नहीं रही हैं।
 
ऐसा पता चला है कि इंटरनेट पर इन दिनों बॉलीवुड और उसके कलाकारों के ख़िलाफ़ किसी योजना के तहत एक नकारात्मक अभियान चलाया जा रहा है।
 
इसके तहत, किसी इन्फ्लुएंसर से उनके लाखों फ़ॉलोअर को बॉलीवुड के कलाकारों के साथ गाली-गलौज करने, झूठ फैलाने और उन्हें नुक़सान पहुंचा सकने वाले दुष्प्रचार करने का निर्देश मिलता है। दिलचस्प बात ये है कि दुष्प्रचार करते हुए ये इन्फ्लुएंसर कमाई भी कर रहे हैं।
 
लेकिन यह होता कैसे है, इसे समझने के लिए हमें गूगल के वीडियो शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म 'यूट्यूब' के बारे में जानना चाहिए। बॉलीवुड के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे इस दुष्प्रचार अभियान का मुख्य अड्डा यूट्यूब ही है।
 
उन वीडियो में से एक में उन्होंने इन महिला (चैट का स्क्रीनशॉट) को दिखाया है। इनके बारे में वर्मा ने दावा किया है कि वे दिल्ली के मशहूर सरकारी अस्पताल एम्स में काम करने वाली एक 'मेडिकल व्हिसलब्लोअर' हैं।
 
उन्होंने यह दावा किया था कि बॉलीवुड हीरो सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच के लिए बनाई गई समिति में भ्रष्टाचार होते देखा है। उस वीडियो का शीर्षक 'बिगेस्ट प्रूफ़' था, जिसमें बताया गया कि एम्स ने कैसे सुशांत सिंह मामले की जांच में धांधली की।
 
बीबीसी की टीम ने इन दावों की जांच के लिए जब एम्स पहुंची, तो एम्स प्रवक्ता ने इनकार किया कि उस महिला ने कभी संबंधित विभाग में काम किया। प्रवक्ता ने उस वीडियो को 'फ़र्ज़ी वीडियो' क़रार दिया।
 
हालांकि बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में संदीप वर्मा ने कहा कि उनके पास उन 'व्हिसलब्लोअर' की पहचान साबित करने के पूरे सबूत हैं। लेकिन उन्होंने कोई ब्यौरा देने से मना कर दिया। उन्हें जब ऐसा करने की चुनौती दी, तो वर्मा पीछे हट गए और हम लोगों पर 'कार्रवाई' करने की धमकी देने लगे।
 
बिना सबूत के आधारहीन आरोप
हमें कई इन्फ़्लुएंसर के ऐसे वीडियो मिले, जिनमें अभिनेताओं, निर्देशकों और निर्माताओं को 'राष्ट्र विरोधी' और 'हिंदू विरोधी' क़रार दिया गया था। हमने पाया कि उन वीडियो में बिना किसी सबूत के अभिनेताओं पर ड्रग्स, वेश्यावृत्ति, चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी और यहां तक ​​​​कि मानव अंगों के धंधों में शामिल होने के आरोप लगाए गए हैं।
 
इन इन्फ़्लुएंसर ने ऐसे कई दावे करते हुए वीडियो देखने वालों से पैसे मांग की है। पैसे जुटाने के लिए ये इन्फ़्लुएंसर यूट्यूब की चैट फ़ीचर के अलावा 'पेड मेंबरशिप' बेचने या वीडियो में बताए गए बैंक खातों का सहारा ले रहे हैं।
 
एक इन्फ़्लुएंसर अपने वीडियो देखने वालों से कह रहे थे- "कृपया (यूट्यूब) विज्ञापनों को छोड़कर आगे न बढ़ें। यदि आप बिना विज्ञापन छोड़े हमारे वीडियो देखेंगे, तो उनसे आने वाले पैसे का कुछ हिस्सा हमें भी मिलेगा और हमें यह सब करने में मदद मिलेगी।''
 
यूट्यूब पर मौजूद कई वीडियो में बीबीसी ने पाया कि लोग उसके चैट विकल्पों के ज़रिए तरह तरह की प्रतिक्रिया देने के साथ इन इन्फ़्लुएंसर को पैसे भी भेज रहे थे।
 
'आख़िर हम जिएंगे कैसे?'
बॉलीवुड के शहर मुंबई में हमने अभिनेत्री स्वरा भास्कर से मुलाक़ात की, जिन्हें ऑनलाइन चलाई जा रही ऐसी मुहिमों का अक्सर सामना करना पड़ता है। हमने उनसे पूछा कि इनका उन पर क्या असर हुआ।
 
स्वरा भास्कर ने बताया, "अब लोगों के दिमाग़ में मेरे बारे में एक छवि बन गई है और यह मेरे कामों से ज़्यादा मेरे बारे में मचाए गए शोर से बनी है।''
 
उन्होंने कहा कि इसका सीधा असर उनकी रोजी-रोटी पर पड़ा है। वे कहती हैं, "मुझे बहुत काम नहीं मिल पाता। इंडस्ट्री में लोग इस बात को लेकर चिंता करते हैं कि यदि स्वरा आई तो विवाद हो सकता है। इसलिए ब्रांड मुझसे बहुत डरते हैं।"
 
स्वरा भास्कर से हमने पूछा कि क्या इस तरह के अभियान कलाकारों को निजी तौर पर प्रभावित करने के साथ फ़िल्म उद्योग पर भी असर डाल रहे हैं। इस पर उन्होंने हामी भरते हुए कहा कि इन सबसे यहां 'डर का माहौल' बन गया है।
 
स्वरा कहती हैं, "लोग अक्सर पूछते हैं कि 2011, 2012 और 2013 की तरह आज स्टार लोग पेट्रोल के बढ़े दामों की शिक़ायत क्यों नहीं करते? यहां तक कि जब उन्हें निशाना भी बनाया जाता है तो वे कुछ नहीं कहते। लेकिन हम ये नहीं सोचते कि आख़िर बदला क्या है। जो बदला है वो डर है। बॉलीवुड पर लगातार हमले हो रहे हैं। इसके पीछे एक तय योजना के तहत चलाया गया एजेंडा है, जो प्रायोजित है। इसके पीछे की सोच बॉलीवुड को उनके इशारे पर नचाने का है।"
 
हालांकि बॉलीवुड में सिर्फ़ एक्टर नहीं हैं। हिंदी फ़िल्म उद्योग हज़ारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार देने के लिए जाना जाता है। लेकिन बीबीसी ने अभी जिस तरह के अभियान का पर्दाफ़ाश किया है, उससे रोज़गार को भी नुक़सान हो रहा है।
 
इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईएमपीपीए) के सचिव अनिल नागरथ ने बीबीसी को बताया, "कुछ लोगों ने जिस तरह से इस उद्योग को बदनाम किया है, उससे निर्माताओं के लिए अपने प्रोजेक्ट के लिए पैसा जुटाना कठिन हो गया है। पेमेंट में देरी होने से मज़दूरों को भी परेशानी होती है। आख़िर हम जिएंगे कैसे?"
 

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इतनी लंबी बिजली चमकी कि बन गया वर्ल्ड रिकॉर्ड