Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Bihar Assembly Elections 2020: महिलाओं और युवाओं के वोट होंगे निर्णायक साबित

हमें फॉलो करें Bihar Assembly Elections 2020: महिलाओं और युवाओं के वोट होंगे निर्णायक साबित
, मंगलवार, 29 सितम्बर 2020 (15:02 IST)
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार सत्ता की चाभी महिलाओं और युवाओं के हाथ में होगी और यही वजह है कि इस सियासी महासंग्राम में उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और महागठबंधन कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है।
ALSO READ: कोरोना काल में वोटिंग के लिए कितना तैयार है बिहार?
बिहार में करीब 60 प्रतिशत युवा मतदाताओं की मौजूदगी और पिछले कई चुनावों से पुरुषों की तुलना में आधी आबादी (महिलाओं) के मतदान में ज्यादा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने से राजनीतिक दलों को यह एहसास हो गया है कि सत्ता की चाभी अब इनके ही हाथ में है।
 
इस बार विधानसभा चुनाव में 75 लाख ऐसे युवा मतदाता हैं जिनकी उम्र 18 से 19 वर्ष है और वे पहली बार मतदान करेंगे। इसी तरह 20 से 29 आयु वर्ग के 1.60 करोड़ और 30 से 39 आयु वर्ग के 1.98 करोड़ मतदाता हैं। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा के चुनाव में इस आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या 1.93 करोड़ थी। महज 1 वर्ष में इस आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या में 5 लाख से अधिक का इजाफा हुआ है।
इसी तरह पिछले कुछ वर्ष के चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में अब महिलाएं घर की चौखट को पार कर पुरुषों के दखल वाली राजनीति में भी दिलचस्पी ले रही हैं। वर्ष 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में पुरुषों की तुलना में 3.4 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं मतदान के लिए आगे आईं। उस चुनाव में 51.1 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान में हिस्सा लिया, वहीं 54.5 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाले।
 
महिलाओं में मतदान को लेकर बढ़ी दिलचस्पी का कारण सरकार की ओर से महिला सशक्तीकरण की दिशा में सरकार की ओर से किए गए प्रयासों का नतीजा माना गया। वर्ष 2005 में राज्य में नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग की सरकार बनने के बाद स्थानीय निकाय के चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण और साइकल-पोशाक योजना जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे।
 
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जब राजग से अलग होकर नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरे तो उन्हें महिलाओं की ताकत का एहसास था इसलिए उन्होंने उस चुनाव में ही वादा किया कि अगली बार सरकार बनने पर पूरे राज्य में शराबबंदी लागू की जाएगी। इसके साथ हीं नीतीश कुमार ने अपना 'सात निश्चय' जारी कर फिर से सरकार बनने पर उसे पूरा करने का वादा किया। इस सात निश्चय में महिलाओं और युवाओं को विशेष महत्व दिया गया था।
 
इस सात निश्चय में सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण, हर घर नल का जल और शौचालय निर्माण- घर का सम्मान, आर्थिक हल- युवाओं को बल के तहत बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना और कुशल युवा कार्यक्रम योजना, हर घर बिजली तथा घर तक पक्की गली और नाली के निर्माण का वादा किया गया था।
 
शायद सरकार के वादे और पूर्व के इस फैसलों का ही असर था कि आधी आबादी ने एक बार फिर मतदान में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया। उस चुनाव में 60.57 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान में हिस्सा लिया, वहीं पुरुषों की इसमें भागीदारी मात्र 53.32 रही। चुनाव का जब परिणाम आया तब नीतीश कुमार की अगुआई वाले महागठबंधन ने 243 में से दो-तिहाई से अधिक यानी सीट 178 सीटें जीत लीं। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

11 राज्यों की 56 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा, नतीजे 10 नवंबर को