Special Story:बिहार चुनाव प्रचार में भोजपुरी गानों की धूम,ट्रैंड में ‘बिहार में का बा’
‘बिहार में का बा’ की थीम पर सोशल मीडिया कंटेट की बयार बा
कोरोना के चलते पहली बार जमीन से अधिक वर्चुअल प्लेटफार्म पर लड़े जाने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रचार शुरु होते ही भोजपुरी गाने लोगों की जुबां पर चढ़ गए है। चुनाव प्रचार का आगाज होने के साथ ही ‘बिहार में का बा’ गाना सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है।
चुनावी सीजन में सोशल मीडिया पर छाने वाले ‘बिहार में का बा’ गाने वाली नेहा सिंह राठौर देखते ही देखते सोशल मीडिया स्टार बन सुर्खियों में छा गई है। कैमूर जिले की रहने वाली नेहा वैसे तो कई सालों से भोजपुरी गाने गा रही थी,लेकिन बिहार चुनाव आते ही उनके गाने सोशल मीडिया पर छा गए है।
अपने गानों से सरकार की व्यवस्था पर कटाक्ष करने वाली नेहा कहती हैं कि वह अपने गानों से सिर्फ जनता की आवाज और उसके दुख दर्द को रखने की कोशिश करती है। बिहार चुनाव को लेकर नेहा कहती हैं वह बिहार के नेताओं से सवाल पूछती है कि किसान और बेरोजगारी को लेकर चुनाव में कौन बात करेगा?
वर्चुअल चुनाव प्रचार के इस दौर में जब बड़ी-बड़ी रैलियां और रोड शो नहीं होंगे तब वोटरों के बीच नेताओं की इमेज गढ़ने का काम भी भोजपुरी गाने कर रहे है। खाकी छोड़ खादी पहनने वाले गुप्तेश्वर पांडे को लेकर भोजपुरी गायक और कलाकार दीपक ठाकुर का वीडियो सांग ‘रॉबिनहुड बिहार के’ भी खूब सुर्खियों में रहा जिसको पुलिस फेडरेशन ने अपनी आपत्ति भी जताई थी।
भोजपुरी गायक रवि सिंह कहते हैं कि चुनाव का एलान होते ही राजनीतिक दलों के तरफ से भोजपुरी गानों की काफी डिमांड आ रही है। अब तक खुद उनकी कई राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं से मुलाकात भी हो चुकी है और वह पार्टियों के लिए चुनावी सॉन्ग तैयार भी कर चुके है।
रवि कहते हैं कि आने वाले दिनों में जैसे–जैसे पार्टियां अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान करती जाएगी और जैसे चुनाव नजदीक आता जाएगा वैसे-वैसे बड़ी संख्या में प्रत्याशियों की तरफ से भोजपुरी गानों की डिमांड आने लगेगी। रवि कहते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव भी उन्होंने कई पार्टियों के लिए चुनावी गीत गाए थे।
पटना में डिजिटल म्यूजिक स्टूडियो के संचालक आकाश गुप्ता कहते हैं कि पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन शुरु होने के साथ ही काम गिरना स्टार्ट हो गया है। पार्टी के साथ-साथ उम्मीदवार भी वोटरों को रिझाने के लिए चुनावी गीत तैयार करवा रहे है। अब तक कई मंत्री और ऐसे सीनियर नेता जिनके टिकट करीब तय है उनके लिए कई गाने बना चुके।
चुनाव प्रचार के लिए भोजुपरी सॉन्ग तैयार कराने के रेट भी अलग-अलग है। पांच हजार से शुरु होकर पचास हजार तक का खर्चा एक चुनावी सॉन्ग को तैयार करने में आता है। कोरोना और लॉकडाउन के चलते पहले से नुकसान झेल रहे म्यूजिक स्टूडियों के संचालकों को इस बार वर्चुअल चुनाव प्रचार के चलते अच्छा बिजनेस होने की उम्मीद है।
कोरोना के चलते इस बार बिहार में बड़ी चुनावी रैली और जनसभाओं पर चुनाव आयोग ने रोक लगा दी है। आयोग ने राजनीतिक दलों को सिर्फ वर्चुअल चुनाव प्रचार करने की इजाजत दी है। ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने सोशल मीडिया पर अपना फोकस कर किया है।
चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू ने जो अपना थीम सॉन्ग लॉन्च वह भी भोजुपरी में ही है। जेडीयू के इस गाने में नीतीश की उपलब्धियों को बताया गया है।
वर्चुअल चुनाव प्रचार के जरिए लोगों के घरों तक पैठ बनाने की तैयारी में राजनीतिक पार्टियों ने भी इस लंबा चौड़ा बजट तैयार किया है। चुनाव की डिजीटल वॉर के लिए भाजपा ने 50 हजार से अधिक सोशल मीडिया वॉरियर्स की तैनाती कर एक लाख से अधिक वॉट्सऐस ग्रुप बनाए है। वहीं भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू ने 30 लाख से अधिक लोगों को चुनावी एप से जोड़ा है। चुनाव प्रचार को लेकर लालू की पार्टी राजद ने प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर पर तकव वॉट्सएप ग्रुप बनाकर करीब तीस लाख से अधिक लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है।