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चर्चित चुनावी मुद्दा : मुफ्त कोरोना वैक्सीन के चुनावी वादे की पड़ताल

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विकास सिंह

, शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020 (13:55 IST)
जनवरी के आखिरी में देश में कोरोना का पहला केस सामने आने के बाद से ही कोरोना वैक्सीन का इंतजार 300 से अधिक दिनों से पूरा देश कर रहा है। देश में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 77 लाख और मरने वालों का आंकड़ा एक लाख सत्रह हजार के पार पहुंच गया है। ऐसे में हर नए दिन के साथ लोगों को उम्मीद होती हैं कि आज कोरोना वैक्सीन को लेकर कोई खुशखबरी आएगी। देश में कोरोना वैक्सीन अभी ट्रायल के दौर से ही गुजर रही है और वैक्सीन कब तक आएगी इसको लेकर अभी पक्के तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
 
कोरोना वैक्सीन कब आएगी जब अभी यहीं नहीं साफ है तब भी हर मुद्दे को राजनीति के नफा-नुकसान के नजरिए से देखने वाले सियासी दल कोरोना वैक्सीन का चुनावी माइलेज लेने का मौका भी नहीं छोड़ रहे है। चुनावी राज्य बिहार में भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए अपना जो संकल्प पत्र जारी किया उसमें कोरोना वैक्सीन को फ्री में देने का वादा कर दिया है। बिहार के साथ ही उपचुनाव वाले राज्य मध्यप्रदेश में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गरीबों को फ्री में कोरोना वैक्सीन देने का एलान कर दिया।
 
हैरत की बात यह हैं कि वह सियासी दल कोरोना वैक्सीन देने का वादा कर रहे है जिनकी रैलियों में कोरोना की गाइडलाइंस की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। मध्यप्रदेश में चुनावी रैलियों में कोरोना गाइडलाइंस का मजाक बनने पर देर से सही हाईकोर्ट ने जब सख्ती दिखाई तो सत्तारूढ़ पार्टी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का एलान कर दिया। 

आज बिहार से लेकर मध्यप्रदेश तक चुनावी रैलियों को देखकर लगता हैं कि कोरोना जैसे छू-मंतर हो गया है। कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के बड़े-बड़े संदेश देने वाले बड़े-बड़े नेताओं की चुनावी रैलियों में न तो सोशल डिस्टेंसिंग दिखाई दे रही है न नहीं मास्क और सैनेटाइजर के इंतजाम। सब कुछ भगवान भरोसे ही चल रहा है। 
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अब बात कोरोना से बचाव वाली वैक्सीन की। इतिहास इस बात का गवाह हैं कि देश में जब-जब कोई महामारी आई तो उससे बचाव के टीके को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर देश के हर नागरिक को मुफ्त में उपलब्ध कराया गया है।

ऐसे में सवाल यहीं उठ रहा हैं कि कोरोना जैसी घातक महामारी की वैक्सीन को क्या सरकार पहले पैसे से देने की तैयारी कर रही थी। देश की कुल आबादी के 60 फीसदी लोग आज भी गरीबी रेखा से नीचे रहते है और उनके लिए दो-जून की रोटी का जुगाड़ करना ही मुश्किल हो जाता है ऐसे में वह क्या कोरोना का टीका लगवा पाते।  
 
हेल्थ सिस्टम को करीबी जानकार वरिष्ठ पत्रकार सुनील शुक्ला कहते हैं कि जिन दोनों राज्यों में कोरोना वैक्सीन को मुफ्त में देने की आज बात हो रही है वहां की जमीनी हकीकत को मैंने बहुत करीब से देखा है।आज बिहार के भागलपुर में हुई प्रधानमंत्री की रैली को ही देख लीजिए,पीएम की सभा में भी लोग बिना मास्क के ही नजर आए जिससे एक बात तो साफ हो जाती हैं कि कोरोना वैक्सीन केवल इन दलों के लिए चुनावी मुद्दा है। दुख इस बात का है कि हेल्थ सिस्टम पर कभी बात नहीं करने वाले राजनीतिक दलों ने आज कोरोना वैक्सीन को भी अपने चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल कर लिया है।

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