बिहार की सियासत में बाहुबली नेताओं का असर आज भी देखा जा सकता है, यहीं कारण है कि राज्य में विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद अब एक बार फिर बाहुबली नेताओं की चर्चा होने लगी है। जहां एक ओर कुछ बाहुबली खुद चुनावी मैदान में सक्रिय नजर आ रहे है वहीं कुछ बाहुबली जेल की सलाखों के पीछे रहकर अपने परिजनों के जरिए अपना सियासी वजूद बनाए रखने की जद्दोजहद में लगे हुए हे।
बाहुबली मुन्ना शुक्ला का नाम भी उन नामों के श्रेणी में है जो जेल की सलाखों के पीछे से इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में सक्रिया है। बाहुबली मुन्ना शुक्ला की पत्नी अन्नू शुक्ला बिहार की लालगंज सीट से आरजेडी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव प्रचार शुरु कर दिया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में लालगंज से बाहुबली मुन्ना निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन उन्हें हार कर सामना करना पड़ा था।
माफिया से माननीय बनने तक का सफर-पहली बार 2002 के विधानसभा चुनाव में पूरा करने वाले बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला उर्फ विजय शुक्ला की तीन बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने जा चुके है। मुन्ना शुक्ला की गिनती बिहार के उन बाहुबली नेताओं में होती हैं जिसको न तो कानून का खौफ था और न जेल की सलाखों का। मुन्ना शुक्ला की जिंदगी की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। चार भाइयों में तीसरे नंबर के भाई मुन्ना शुक्ला के अपराध जगत में एंट्री पूरी फिल्मी है। अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए मुन्ना शुक्ला पहला अपराध करता है और देखते ही देखते जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बन जाता है।
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ठेकेदारी विवाद में अपने बड़े भाई छुट्टन शुक्ला की हत्या के विरोध में मुन्ना शुक्ला,अपराधी से राजनेता बने बाहुबली आनंद मोहन सिंह के साथ उस भीड़ की अगुवाई कर रहे था जिसने दिनदहाड़े गोपालगंज के कलेक्टर जी कृष्णैया को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। कलेक्टर की हत्या में आनंद मोहन सिंह और उनकी पत्नी लवली आनंद के साथ मुन्ना शुक्ला पर पहला हत्या का केस 1994 में दर्ज हुआ था। 1994 में गोपालगंज कलेक्टर की हत्या के मामले मुन्ना शुक्ला को 2007 में निचली अदालत ने मुन्ना शुक्ला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई लेकिन 2008 में हाईकोर्ट से वह बरी हो गया।
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मुन्ना शुक्ला उस समय देश भर में सुर्खियों में आ गए जब उसने भाई की हत्या के आरोपी मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की जून 1998 में एम्स अस्पताल में घुसकर एके-47 से छलनी कर दिया था। मुन्ना शुक्ला मंत्री बृजबिहारी प्रसाद को अपने दो भाईयों की हत्या का आरोपी मानता था।
अपने अपराध के गुनाहों की सजा से बचने के लिए मुन्ना शुक्ला राजनीति में आया और तीन बार विधायक चुना गया। मुन्ना शुक्ला की हनक सत्ता से लेकर पुलिसिया महकमे में कितनी थी इसकी गवाही जेल के अंदर उसका बार बलाओं के साथ डांस और हाथ में बंदूक लेकर अय्याशी करती हुई तस्वीरें देती है। वसूली, रंगदारी और हत्या के कई मामलों में आरोपी मुन्ना शुक्ला को उत्तर बिहार का डॉन कहा जाता था। मुन्ना शुक्ला भले जेल में था लेकिन उसका रंगदारी का कारोबार चलता रहा और उसने करोड़ों रूपए की रंगदारी वसूली।
तीन बार का विधायक मुन्ना शुक्ला उर्फ विजय कुमार शुक्ला इस वक्त बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहार प्रसाद की हत्या के मामले में बेऊर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। 2020 के चुनावी एफिडेविट के मुताबिक मुन्ना शुक्ला पर तेरह अपराधिक मामले दर्ज हैं। जेल में रहते हुए मुन्ना शुक्ला ने अपनी राजनीतिक विरासत अपनी पत्नी अन्नू शुक्ला के हाथों में सौंप दी है।
2025 के बिहार विधानसभा में अन्नू शुक्ला आरजेडी के प्रत्याशी के तौर पर लालगंज सीट से अपना चुनाव प्रचार शुरु कर दिया है। अन्नू शुक्ला के पति मुन्ना शुक्ला ने तीन बार लालगंज विधानसभा सीट से चुनाव जीता है। पहली बार निर्दलीय, दूसरी बार लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से और तीसरी बार जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से चुनाव जीता है। उनकी छवि एक बाहुबली और जनाधार वाले नेता की रही है, यहीं कारण है कि अब अन्नू शुक्ला पति की राजनीतिक विरासत बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। खुद अन्नू शुक्ला कहती हैं कि लालगंज विधानसभा हमारा घर है। हम यहां की बहू हैं और लालगंज के लोग सदैव मेरे लिए खड़े रहते हैं और मैं भी लोगों के लिए खड़े रहती हूं। मैं आरजेडी पार्टी में हूं और राजद पार्टी से विधानसभा चुनाव लडूंगी।