Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

चंद्रशेखर आजाद जयंती: एक महान क्रांतिकारी को शत्-शत् नमन

आजादी के क्रांतिवीर चंद्रशेखर आजाद की जयंती

Advertiesment
हमें फॉलो करें Chandrashekhar Azad Birth Anniversary

WD Feature Desk

, बुधवार, 23 जुलाई 2025 (10:57 IST)
Who was Chandrashekhar Azad: आज, 23 जुलाई 2025 को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और अमर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती है। उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाभरा गांव (अब अलीराजपुर जिले में स्थित आजाद नगर) में हुआ था। यह दिन हमें उनके अदम्य साहस, देशभक्ति और देश के प्रति सर्वोच्च बलिदान की याद दिलाता है।ALSO READ: बढ़ती उम्र में भी दिमाग को कैसे रखें तेज? जानिए 12 हैबिट्स जिनसे आप दिख सकते हैं यंग और फिट
 
चंद्रशेखर आजाद: एक संक्षिप्त परिचय
चंद्रशेखर आजाद का मूल नाम चंद्रशेखर तिवारी था। उन्हें 'आजाद' उपनाम तब मिला जब उन्होंने खुद को ब्रिटिश पुलिस के सामने कभी न पकड़े जाने की कसम खाई और इसे निभाया भी। वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के प्रमुख सदस्य थे और बाद में इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 
आजाद के जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव और योगदान:
• कम उम्र में क्रांति की राह: 15 वर्ष की आयु में, असहयोग आंदोलन के दौरान, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। जब जज ने उनसे उनका नाम पूछा, तो उन्होंने गर्व से कहा, "मेरा नाम आजाद, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा पता जेल है।" यहीं से उन्हें 'आजाद' उपनाम मिला।
 
• काकोरी कांड के नायक: 1925 में हुए काकोरी कांड में उनका महत्वपूर्ण योगदान था, जहां उन्होंने अपने साथियों के साथ ब्रिटिश सरकार की ट्रेन से सरकारी खजाने को लूटा था।
 
• भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों से जुड़ाव: वे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे कई महान क्रांतिकारियों के गुरु और प्रेरणास्रोत थे। उन्होंने इन युवाओं को संगठित कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशक्त प्रतिरोध का मार्ग प्रशस्त किया।
 
• निशस्त्र नहीं पकड़े जाने का प्रण: आजाद ने कसम खाई थी कि वे कभी भी जीवित ब्रिटिश पुलिस के हाथ नहीं आएंगे। उन्होंने अपनी इस प्रतिज्ञा का पालन अपने अंतिम क्षणों तक किया।
 
• अंतिम बलिदान: 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के अल्फ्रेड पार्क (जिसे अब चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से जाना जाता है) में ब्रिटिश पुलिस से घिर जाने पर, उन्होंने अपनी आखिरी गोली से खुद को मार लिया, ताकि वे कभी भी दुश्मन के हाथ न लग सकें।
 
• आजाद का संदेश: चंद्रशेखर आजाद का जीवन और बलिदान आज भी भारतीय युवाओं को देशप्रेम और निस्वार्थ सेवा के लिए प्रेरित करता है। उनका आदर्श वाक्य "मैं आज़ाद हूं, आज़ाद रहूंगा और आज़ाद ही मरूंगा" उनकी अटूट इच्छाशक्ति और स्वतंत्रता के प्रति उनके गहरे समर्पण को दर्शाता है।
 
आज उनकी जयंती पर, हम इस महान क्रांतिकारी को नमन करते हैं और उनके द्वारा दिखाए गए साहस और बलिदान के मार्ग से प्रेरणा लेते हैं।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: ऐसे होता है उपराष्‍ट्रपति का चुनाव और ये है काउंटिंग की प्रक्रिया

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बढ़ती उम्र में भी दिमाग को कैसे रखें तेज? जानिए 12 हैबिट्स जिनसे आप दिख सकते हैं यंग और फिट