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जयंती विशेष: वीर सावरकर के 10 प्रेरणादायक नारे जो आज भी रगों में जोश भरते हैं

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WD Feature Desk

, बुधवार, 28 मई 2025 (08:32 IST)
veer savarkar slogan in hindi: इतिहास केवल किताबों में कैद किस्सों का संग्रह नहीं होता, बल्कि वह जिंदा ऊर्जा है जो वर्तमान को दिशा देती है और भविष्य की नींव रखती है। अगर हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम की बात करें, तो कुछ ऐसे नाम उभर कर आते हैं जिन्होंने सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती नहीं दी, बल्कि समाज में जमी सदियों पुरानी कुरीतियों को भी जड़ से हिलाने की कोशिश की। उन्हीं में एक नाम है, स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर का, जिन्हें हम 'वीर सावरकर' के नाम से जानते हैं। आज जब हम 2025 में वीर सावरकर की जयंती मना रहे हैं, तो यह जरूरी हो जाता है कि हम उनके उन विचारों और नारों को याद करें जिन्होंने ना केवल एक युग को दिशा दी, बल्कि आज भी हमें आत्मबल और देशभक्ति की प्रेरणा देते हैं। वीर सावरकर सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि वे एक लेखक, चिंतक, समाज सुधारक और क्रांतिकारी विचारक भी थे। उनके नारे महज शब्द नहीं थे, बल्कि वो अपने समय की चेतना थे, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।
 
वीर सावरकर की लेखनी और भाषा में वो आग थी जो युवाओं के भीतर जोश भर दे। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से विदेशी शासन को ललकारा, समाज को जागरूक किया और भारत के लिए एक समरस, स्वतंत्र और प्रगतिशील समाज का सपना देखा। उनके विचारों और नारों में साहस, दृढ़ता और बलिदान की झलक मिलती है। तो आइए, इस विशेष लेख में जानते हैं वीर सावरकर के 10 ऐसे प्रेरणादायक नारे, जो आज भी हमें जागरूक बनाते हैं और देशप्रेम की भावना को प्रज्वलित करते हैं।
 
1. संघर्ष ही पुरुषार्थ की पहचान है अपने पुरुषार्थ को कभी कम मत होने दो अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए।
 
2. “जो अपनी रक्षा आप नहीं कर सकते, उन्हें जीने का कोई अधिकार नहीं।”
 
3. संघर्ष की तपती धरा से बचने के लिए जो व्यक्ति शीतल व आसान मार्ग चुनता है, उस व्यक्ति का पतन होना निश्चित है।
 
4. एक देश, एक ईश्वर, एक जाति, एक मन, भाई-भाई, हम सब बिना किसी भेदभाव के, बिना किसी संदेह के।
 
5. “मृत्यु से मत डरो, वह केवल शरीर को लेती है, आत्मा नहीं।”
 
6. ‘हिंदुत्व’ ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का एक स्वरुप है, जिसमें धार्मिक एकता नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।”
 
7. कर्तव्य की निष्ठा संकटों को झेलने में, दुःख उठाने में और जीवनभर संघर्ष करने में ही समाविष्ट है। यश अपयश तो मात्र योगायोग की बातें हैं।
 
8. एक मजबूत राष्ट्र के लिए एक मजबूत और एकजुट समाज होना आवश्यक है।
 
9. “हे मातृभूमि, तेरे लिए बलिदान जीवन के समान है; तेरे बिना जीना मृत्यु के समान है।”

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