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इंदिरा गांधी का जन्म कहां हुआ था और जानिए उनके बचपन की 5 खास बातें

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 18 नवंबर 2025 (11:31 IST)
Indira Gandhi childhood facts: इंदिरा गांधी भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री थीं। उनका जीवन बचपन से ही देश की स्वतंत्रता और राजनीति से गहरा जुड़ा रहा।
 
इंदिरा गांधी का जन्म स्थान: इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका जन्म आनंद भवन नामक प्रतिष्ठित पारिवारिक निवास में हुआ था, जो उनके दादा मोतीलाल नेहरू का घर और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र था। उनके पिता जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।ALSO READ: About Indira Gandhi:भारतीय राजनीतिज्ञ और राजनेता इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि, जानें जीवन परिचय और उल्लेखनीय कार्य
 
यहां जानें उनके बचपन की 5 खास बातें: इंदिरा गांधी का मूल नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू था। उनका बचपन राजनीतिक उथल-पुथल और राष्ट्रवाद के माहौल में बीता, जिसने उनके व्यक्तित्व को गहराई से प्रभावित किया...    
 
1. बचपन: उनके माता-पिता, जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू तथा दादा मोतीलाल नेहरू स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल थे, जिसके कारण वे अक्सर जेल में रहते थे। इंदिरा जी ने अपने बचपन को असुरक्षित बताया था, क्योंकि उन्हें अपनी मां के साथ आनंद भवन में अकेला रहना पड़ता था। इंदिरा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में ही प्राप्त की, लेकिन फिर उनका शिक्षा जीवन विदेश में भी रहा। इंदिरा गांधी बचपन में पढ़ाई के अलावा कई साहसिक गतिविधियों में भी रुचि रखती थीं। उन्हें घुड़सवारी, ट्रैकिंग, और अन्य खेलों में भी दिलचस्पी थी। उनका यह साहस और स्वतंत्रता का प्रेम उनके बड़े होने के बाद भी बना रहा, और यही गुण उनके राजनीतिक जीवन में भी झलके।
 
2. ब्रिटिश सामान का बहिष्कार: इंदिरा गांधी के बचपन में पंडित नेहरू का प्रभाव बहुत गहरा था। उनके पिता ने उन्हें बचपन से ही नैतिक शिक्षा दी और स्वतंत्र विचारों को महत्व दिया। लगभग 5 साल की उम्र में, जब नेहरू परिवार ने विदेशी कपड़ों और सामानों का बहिष्कार करने का फैसला किया, तो नन्ही इंदिरा ने अपनी सबसे प्यारी ब्रिटिश गुड़िया को भी आग के हवाले कर दिया था। उन्होंने बाद में कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे उन्होंने किसी की हत्या कर दी हो। यह घटना उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाती है।
 
3. वानर सेना का गठन: मात्र 12 साल की उम्र में, उन्होंने असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की मदद के लिए बच्चों के एक समूह की स्थापना की, जिसे 'वानर सेना' नाम दिया गया। यह समूह स्वतंत्रता सेनानियों के लिए संदेश पहुंचाता था, झंडे बनाता था और अन्य छोटे-मोटे काम करता था। यह उनकी प्रारंभिक 'नेतृत्व क्षमता' का प्रदर्शन था।
 
4. पिता से पत्रों द्वारा शिक्षा: जेल में रहते हुए, उनके पिता जवाहरलाल नेहरू उन्हें दुनिया के इतिहास और सभ्यताओं के बारे में लंबे पत्र लिखते थे। ये पत्र बाद में 'लेटर्स फ्रॉम ए फादर टू हिज डॉटर' और 'ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री' जैसी प्रसिद्ध पुस्तकों के रूप में प्रकाशित हुए। इन पत्रों ने उन्हें इतिहास और अंग्रेजी भाषा की गहरी समझ दी। 
 
5. 'प्रियदर्शिनी' नाम: उन्होंने कुछ समय के लिए रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांति निकेतन, विश्व भारती में पढ़ाई की थी। यह रवीन्द्रनाथ टैगोर ही थे, जिन्होंने उन्हें 'प्रियदर्शिनी' नाम दिया था, जिसका अर्थ है 'हर किसी को दिखाई देने वाली' या 'देखने में प्रिय'। नेहरू जी ने उन्हें जीवन में अनुशासन, आत्मनिर्भरता, और सच्चाई की अहमियत समझाई, जो बाद में उनके नेतृत्व में दिखाई दी।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Rani Lakshmi Bai : रानी लक्ष्मी बाई के जन्म और मृत्यु का रहस्य क्या है?

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