Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Rajiv Gandhi : राजीव गांधी की जयंती आज, जानें 5 अनसुनी बातें

हमें फॉलो करें Rajiv Gandhi : राजीव गांधी की जयंती आज, जानें 5 अनसुनी बातें

WD Feature Desk

, मंगलवार, 20 अगस्त 2024 (10:01 IST)
Highlights 
 
कब मनाई जाती है राजीव गांधी की जयंती।
आधुनिक भारत का सपना देखने वाले प्रधानमंत्री के बारे में जानें।
भारत रत्न से सम्मानित राजीव जी के बारे में जानिए।
 
Rajiv Gandhi Jyanati : आज राजीव गांधी की जयंती है। उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था। जब भारत को आजाद होने में अभी 3 वर्ष बाकी थे। उस समय उनके नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू अपनी नौवीं और अंतिम जेल यात्रा पर थे। उनकी मां इंदिरा गांधी खुद 15 महीने पहले ही जेल से छूटी थीं और पिता फिरोज गांधी सिर्फ एक वर्ष पहले जेल से छूटे थे।
 
आइए जानते हैं यहां आधुनिक भारत का सपना देखने वाले भारत रत्न राजीव गांधी के बारे में-
 
जीवन और शिक्षा: राजीव गांधी कैम्ब्रिज में जहां पढ़े थे, वहां वे बहुत खामोशी से रहे तथा यह भी पता नहीं चलता था कि वे प्रधानमंत्री के पुत्र हैं। एक बार तो जानकारी लेने पर उन्हें यह बताना पड़ा था कि महात्मा गांधी से उनका कोई रिश्ता नहीं है। बिना यह बताए कि वे पंडित नेहरू के नाती हैं। दूसरे विद्यार्थियों की तरह कभी-कभी उन्हें भी पैसों की तंगी से गुजरना पड़ जाता था। अपनी छुट्टियों के दौरान उन्हें फल चुनने, आइस्क्रीम बेचने, ट्रक लोड करवाने तथा बेकरी में नाइट शिफ्ट में काम करना पड़ जाता था।
 
राजनीति की शुरुआत: वे ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने आजादी के उस संघर्ष को नहीं देखा, जिसमें उनके परिवार के अन्य सदस्य शामिल थे। इंदिरा गांधी के पुत्र और पं. जवाहरलाल नेहरू के नाती होने के कारण बालक राजीव का पालन-पोषण सत्ता के प्रभामंडल के इर्द-गिर्द हुआ। राजनीतियों और विेदेशी कूटनीतिज्ञों की आवाजाही को करीब से देखने का उन्हें पर्याप्त अवसर मिला था। 
 
हालांकि उन्होंने खुद कभी सत्ता के आसपास आने की कल्पना तक नहीं की थी, लेकिन संजय गांधी की मृत्यु के बाद अपनी मां इंदिरा गांधी को राजनीतिक सहारा देने के लिए उन्हें अनिच्छा से भारतीय राजनीति में आना पड़ा। फिर एक दिन ऐसा भी आया कि मां की मृत्यु के बाद उन्हें खुद भी सक्रिय राजनीति में आकर सलीब पर चढ़ना ही पड़ा। राजीव गांधी ऐसे युवा प्रधानमंत्री थे जिन्होंने समाज के सभी वर्गों के लोगों को अत्यधिक प्रभावित किया था। 
 
इस राजनीतिक सफलता-कुशलता का कारण यह था कि राजीव गांधी को अपने पिता फिरोज गांधी से 'अपना काम खुद करो' की प्रेरणा मिली थी। राजीव जी कहते थे कि उनको अपने नाना पंडित नेहरू से 'आराम हराम है' तथा पिता फिरोज गांधी ने 'श्रम की महत्ता और बिना झिझक के सच बोलने' की प्रेरणा मिली थी। उन्होंने अपने पिता से ही पाश्चात्य शास्त्रीय संगीत का शौक पाया था, जबकि इसके पहले उनकी मां का सोचना था कि नेहरू लोग संगीत प्रेमी नहीं होते।
 
कब बने प्रधानमंत्री: वह अक्टूबर 1984 का अंतिम दिन था। दिल्ली चुनाव से पूर्व के वातावरण में डूबी हुई थी। इंदिरा गांधी ने दो महीनों के भीतर आम चुनाव करवाने का मन बना लिया था। उस समय उन्हें टीवी के लिए एक इंटरव्यू देना था। 
 
जैसे ही वे 1, सफदरजंग रोड स्थित अपने आवास से 1, अकबर रोड स्थित कार्यालय के लिए निकलीं, उनके सुरक्षाकर्मियों ने उन पर गोलियां चला दीं। अचेतन अवस्था में और क्षत-विक्षत रूप से उन्हें आर.के. धवन और सोनिया गांधी द्वारा कार से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाया गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। उसी दिन शाम को राजीव जी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। 
 
राजीव गांधी बहुत ही उदार प्रवृति वाले व्यक्ति थे। श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी उनके कंधे पर आ गई थी जिसकी वजह से इन्हें राजनीति में आना पड़ा था जबकि राजनीति में आने से पहले राजीव गांधी इंडियन एयरलाइंस में एक पायलट थे। 31 अक्टूबर 1984 को माता इंदिरा जी की हत्या के बाद जब पहली बार राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो वे विश्व के लोकतंत्र के इतिहास में सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। 
 
वे 1984 में ही इंका अध्यक्ष बने। हालांकि राजीव गांधी को सत्ता का कोई प्रत्यक्ष अनुभव नहीं था, फिर भी उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से गहरे अनुभव प्राप्त थे। इंदिरा गांधी के निधन के 13वें दिन जैसी कि उनकी इच्छा थी हिमालय पर उनकी भस्मी उनके पुत्र द्वारा बिखेर दी गई।
 
राष्ट्र के नाम दिया पहला संदेश: उसी दिन राजीव गांधी ने रेडियो और टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संदेश दिया। यह उनका पहला नीतिगत संबोधन था जो कि विज्ञान, टेक्नॉलाजी और राष्ट्र के स्वाभिमान को व्यक्त करता था। इस भाषण में राजीव गांधी के शासन का मूलमंत्र इस प्रकार प्रकट हुआ- 'एक साथ मिलकर हमें एक ऐसा भारत बनाना है जो 21वीं सदी का आधुनिक भारत बने।' अत: यह कहना गलत नहीं होगा कि आज जिस भारत में हम सांस ले रहे हैं। जिस आधुनिक भारत का लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। जिस भारत पर आज पूरी दुनिया की नजरें इनायत हैं। जिसे कल का विश्वशक्ति माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि एक बार फिर भारत पूरे विश्व को एक नई राह दिखाएगा, यह राजीव गांधी की ही देन है।
 
निधन: राजीव गांधी का निधन 21 मई 1991 को हुआ था, उस वक्त जब वे चुनाव प्रचार के सिलसिले में तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदूर गए हुए थे और वहां लिट्‍टे आतंकवादियों द्वारा किए गए एक बम के धमाके ने राजीव गांधी की जिंदगी छीन ली थी और देश ने एक युवा प्रधानमंत्री को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया, इस नृशंस बम विस्फोट में उनकी हत्या तक वे भारत के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करते रहे थे। इसीलिए स्वर्गीय राजीव गांधी के सम्मान में और उनको श्रद्धांजलि देने के लिए प्रतिवर्ष 21 मई का दिन आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है। और भारत हर साल 20 अगस्त को उनके जन्मदिन पर सद्भावना दिवस मनाता है, जिसकी स्थापना कांग्रेस ने सन् 1992 में राजीव जी की मृत्यु के एक साल बाद राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार के रूप में की।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

किडनी मरीज का कैसा होना चाहिए डाइट प्लान? जानिए क्या खाएं और क्या नहीं