Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बॉलीवुड 2022 : डब फिल्मों ने किया व्यापार, हिंदी फिल्मों ने खाई मार

हमें फॉलो करें बॉलीवुड 2022 : डब फिल्मों ने किया व्यापार, हिंदी फिल्मों ने खाई मार

समय ताम्रकर

, शनिवार, 31 दिसंबर 2022 (07:02 IST)
वर्ष 2022 बॉलीवुड के निराशाजनक रहा। इसके पहले 2020 और 2021 में भी हालत पतली थी। 2022 थोड़ा बेहतर जरूर रहा, लेकिन उम्मीद से कम। फिल्मी सितारे अपने काम से कम और विवादों से ज्यादा चर्चा में रहे। पहले ही टीवी, क्रिकेट और ओटीटी से टक्कर चल ही रही है और अब डब फिल्में थिएटर्स पर कब्जा करती जा रही हैं। हॉलीवुड और दक्षिण भारतीय फिल्में हिंदी बेल्ट में गहरी पैठ बना रही हैं। अब भीतरी इलाके के लोग भी पुष्पा से लेकर स्पाइडरमैन तक को पसंद करने लगे हैं। ये उनके लिए स्टार हैं और हिंदी फिल्मों के स्टार्स की चमक फीकी होती जा रही है। हिंदी फिल्मों के प्रति भी रुझान कम होता जा रहा है। क्या कारण है? इस पर बॉलीवुड को सोच-विचार की जरूरत है। न वे ढंग की कलात्मक फिल्में बना पा रहे हैं और न ही मसाला फिल्मों की पूर्ति ढंग से कर पा रहे हैं। दोनों ही मोर्चों पर पिट रहे हैं। गहरा संकट आ खड़ा हुआ है जिसका निदान जितनी जल्दी हो सके किया जाना चाहिए। 
 
हिंदी फिल्मों की बात की जाए तो ब्रह्मास्त्र ने सफलता के झंडे गाड़े। हॉलीवुड को बॉलीवुड ने जवाब देने की कोशिश की, बात पूरी तरह तो नहीं बनी, लेकिन लोगों ने इस कोशिश का साथ दिया। भूलभुलैया और द कश्मीर फाइल्स की सफलता चौंकाने वाली थी। द कश्मीर फाइल्स का विषय इतना पॉवरफुल था कि इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर दिया। साल की सबसे ज्यादा चर्चित फिल्म रही। न बड़ा स्टार था और न ही आइटम नंबर, फिर भी दर्शकों का प्यार इस मूवी को मिला। भूलभुलैया एक कमर्शियल फिल्म थी जिसमें सारे मसाले सही मात्रा में थे। दृश्यम 2 भी सुपरहिट रही, लेकिन इसे शुद्ध हिंदी फिल्म इसलिए नहीं माना जा सकता क्योंकि यह दक्षिण भारतीय फिल्म का हिंदी रीमेक है। गंगूबाई काठियावाड़ी भी मुश्किल दौर में दर्शकों को सिनेमाघर तक खींच कर लाई। 

 
 
बॉक्स ऑफिस की दृष्टि से देखा जाए तो टॉप तीन फिल्में हैं- केजीएफ चैप्टर 2, अवतार द वे ऑफ वॉटर और आरआरआर। ये तीनों डब फिल्में हैं। इनकी सफलता दर्शाती है कि अब डब फिल्मों का चलन है। कांतारा, कार्तिकेय 2, पीएस 1, थॉर लव एंड थंडर, डॉक्टर स्ट्रैंज जैसी कई डब फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाती रही और हिंदी फिल्मों का सूपड़ा साफ करने में कोई कर नहीं छोड़ी। आखिर इन फिल्मों के प्रति दर्शकों में लगाव क्यों पैदा हुआ है? बॉलीवुड विशेषज्ञों को जवाब ढूंढना होगा। 
 
सफल फिल्मों की संख्या उंगलियों पर गिनने लायक है, लेकिन असफल फिल्मों की संख्या लंबी-चौड़ी है। लाल सिंह चड्ढा, रक्षा बंधन, बच्चन पांडे, सम्राट पृथ्वीराज, सर्कस, थैंक गॉड, रनवे 34, राम सेतु, जयेश भाई जोरदार, हीरोपंती 2, भेड़िया, ये ऐसे नाम हैं जो बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह धराशायी हो गए। करोड़ों की लागत से तैयार इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर पानी नही मांगा। इनमें से अधिकांश फिल्मों के लाइफ टाइम कलेक्शन तो 50 करोड़ रुपये से भी कम रहे। पहले शो से ही इन फिल्मों के प्रति दर्शकों ने रुझान नहीं दिखाया। बड़े सितारों के बावजूद ये फिल्में ढंग से ओपनिंग तक नहीं ले पाई। ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं आई। यानी दर्शक पहले से ही ठान चुके थे कि उन्हें ये फिल्म नहीं देखना है। ऐसा क्यों हो रहा है? विचार करने की जरूरत है। 
 
सितारों की इतनी बुरी दशा कभी नहीं रही। रणवीर सिंह जैसे सितारे की फिल्म 'जयेश भाई जोरदार' का लाइफ टाइम कलेक्शन 15 करोड़ से भी कम रहा। कंगना रनौट की फिल्म 'धाकड़' का लाइफ टाइम कलेक्शन 2 करोड़ के करीब रहा। तापसी पन्नू की फिल्म शाबाश मिथु तो यहां तक भी नहीं पहुंच पाई। आमिर खान, रितिक रोशन, अजय देवगन, अक्षय कुमार जैसे सीनियर्स की बॉक्स ऑफिस पर हालत पतली रही तो दूसरी ओर टाइगर श्रॉफ, रणवीर सिंह, रणबीर कपूर, वरुण धवन, सिद्धार्थ मल्होत्रा जैसे युवा सितारे भी लड़खड़ाते नजर आए। इन सभी के स्टारडम पर काले बादल छा गए हैं। यदि इनके नाम पर फिल्म की ढंग की ओपनिंग भी नहीं हो तो काहे के ये स्टार? कार्तिक आर्यन ही ऐसे सितारे रहे जो कुछ पायदान ऊपर चढ़ गए। 
 
हीरोइनों में आलिया भट्ट ही चमकदार सितारा रहीं। गूंगबाई, आरआर और ब्रह्मास्त्र ने चमकदार सफलता पाई तो ओटीटी पर डार्लिंग्स ने कामयाबी बटोरी। मां भी बनी। दूसरी ओर करीना कपूर खान, कैटरीना कैफ का जमाना लद गया। कृति सेनन, रकुल प्रीत सिंह जैसी एक्ट्रेस कोई कमाल नहीं कर पाईं। एकाएक बॉलीवुड में तो हीरोइनों का अकाल ही पड़ गया। 
 
इन कमियों से जूझते बॉलीवुड को बाहर की जूझना पड़ा। कोई दिन ऐसा नहीं बीता जब किसी सितारे या फिल्म को लेकर कोई विवाद न हुआ हो। ये लोग सॉफ्ट टारगेट होते हैं इसलिए कोई भी इनके खिलाफ खड़ा हो जाता है। धमकाता है। और ये कुछ नहीं कर पाते। किसी को बिकिनी का रंग पसंद नहीं आता तो किसी को फिल्म का नाम। बहिष्कार और तोड़फोड़ की धमकी दी जाती है। अब तो कुछ लोग जिंदा जला दूंगा जैसे धमकी देने लगे हैं। करोड़ों की लागत और खून-पसीने की मेहनत से फिल्म बनाने वालों को समझ नहीं आता कि इस बात से कैसे बचे कि किसी की भी भावनाएं आहत न हो। सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती। उलटे सरकार में बैठे लोग ही उंगली उठाने लगते हैं। करोड़ों का टैक्स कमाकर सरकार की झोली भरने वाले और हजारों लोगों को रोजगार देने वाली इस फिल्म इंडस्ट्री की हालत दयनीय है। कोई आवाज उठाने वाला नहीं है। 
 
दूसरी ओर कुछ बॉलीवुड वाले बदजुबानी कर मामला खुद बिगाड़ लेते हैं। सोशल मीडिया आग में घी का काम करता है। अक्सर कलाकार बहक जाते हैं और अर्थ का अनर्थ हो जाता है। इससे इनको बचना होगा। कलाकारों को अपनी छवि सुधारनी होगी। गलत किस्म के विज्ञापन करना या बदजुबानी से बचना होगा। गलत काम करने वाले लोग तो हर क्षेत्र में होते हैं, लेकिन बॉलीवुड वालों की बदनामी ज्यादा होती है। इस समय ये सितारें निशाने पर है और इन्हें अपनी छवि सुधारने के लिए भरसक प्रयास करने होंगे। सोचना होगा कि आखिर इतना प्यार लुटाने वाले लोग यकायक नफरत क्यों करने लगे हैं? ये समय कुछ सीखने और नया करने का है। 
 
2022 ने कई महत्पूर्ण लोगों को हमसे छीन लिया। कई कलाकर कोरोना की चपेट में आए और अस्पताल में भर्ती हुए। लता मंगेशकर का जाना फिल्म संगीत के लिए ऐसा नुकसान रहा जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। यकीन नहीं होता कि लता हमारे बीच में नहीं रही। लेकिन उनकी आवाज ब्रह्मांड में सदियों तक गूंजती रहेगी। पंडित बिरजू महाराज, रमेश देव, रवि टंडन, बप्पी लहरी, टी. रामाराव, शिव कुमार शर्मा, भूपेंद्र सिंह, सावन कुमार टाक, इस्माइल श्रॉफ, राकेश कुमार का जाना भी बॉलीवुड के लिए अपूरणीय क्षति है।
 
2023 से उम्मीद की जानी चाहिए। आशा करना चाहिए कि 2023 में बॉलीवुड बाउंस बैक करेगा। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ऋषभ पंत का एक्सीडेंट तो उर्वशी रौटेला ने लिखा प्रेयरिंग और पोस्ट किया दिल का इमोजी