रणदीप हुड्डा बहुत बड़े सितारे नहीं हैं। अपने दम पर वे भीड़ नहीं खींचते, लेकिन एक कलाकार के रूप में उन्होंने पहचान बनाई है। इस समय रणदीप को जिस तरह के रोल निभाने को मिल रहे हैं, वैसे बड़े स्टार्स नहीं निभा सकते। रणदीप ने अपनी एक जगह बनाई है जहां पर वे बेखौफ होकर प्रयोगवादी भूमिकाएं और सिनेमा कर सकते हैं। उनको चाहने वाला एक दर्शक वर्ग है भले ही संख्या में जो छोटा हो।
16 साल के लंबे करियर में रणदीप ने हर तरह की फिल्में की हैं। कुछ ऐसी फिल्में उनके नाम के आगे दर्ज हैं जिस पर वे गर्व कर सकते हैं। डी-अंडरवर्ल्ड (2006), साहब बीवी और गैंगस्टर (2011), हाईवे (2014), रंग रसिया (2014) तथा मैं और चार्ल्स (2015) जैसी फिल्मों में उन्होंने कमाल का अभिनय किया है। बॉक्स ऑफिस सफलता से परे ये फिल्में रणदीप के अभिनय के कारण सराही गईं।
रोहतक में जन्मे रणदीप एक पढ़े-लिखे परिवार से हैं। परिवार वाले उन्हें डॉक्टर के रूप में देखना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अभिनेता की राह चुनी। लंबा संघर्ष उन्हें करना पड़ा। मीरा नायर की 'मानसून वेडिंग' से उन्होंने शुरुआत की, लेकिन दूसरी फिल्म उन्हें चार वर्ष बाद मिली। डी और डरना जरूरी है जैसी फिल्मों के जरिये उन्होंने दिखा दिया कि वे दमदार अभिनेता हैं।
लव खिचड़ी, रूबरू और मेरा ख्वाबों में जो आए जैसी टिपिकल बॉलीवुड फिल्में करने के बाद उन्हें समझ में आ गया कि वे इस तरह की फिल्मों के लिए नहीं बने हैं। कंटेंट बेस्ड फिल्मों पर उन्होंने ज्यादा ध्यान दिया। साथ में वे वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई, किक और जिस्म 2 जैसी कमर्शियल फिल्मों में बतौर सह अभिनेता दिखाई देते रहे।
फिल्मों में आने के पहले रणदीप ने मेलबर्न से बिज़नेस मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्होंने रेस्तरां तथा कार साफ करने का काम किया और दो वर्ष तक टैक्सी भी चलाई। इससे उन्हें जिंदगी को नजदीक से देखने को मिला और यह उनके अभिनय में काम आया।
इस समय रणदीप 'सरबजीत' के कारण चर्चा में हैं। इस फिल्म में उन्होंने सरबजीत का किरदार निभाया है। इस भूमिका को निभाने के लिए रणदीप ने खाना-पीना छोड़ दिया था और अपना वजन काफी कम कर लिया था। इस वजह से वे बीमार भी हो गए थे। रणदीप के साथ काम करने वाले निर्देशक उन्हें जुनूनी अभिनेता बताते हैं। वे अपनी भूमिका में घुसने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।