फिल्म उद्योग दिसम्बर महीने को लेकर बहुत खुश था। एक दिसम्बर को 'पद्मावती' और 22 दिसम्बर को 'टाइगर जिंदा है' रिलीज होने की घोषणा हो चुकी थी। इन दोनों फिल्मों की सफलता को लेकर फिल्म उद्योग आश्वस्त था। उम्मीद थी कि इन दोनों फिल्मों से ही 550 करोड़ रुपये का कलेक्शन होगा। सिनेमाघर के आगे भीड़ दिखेगी और धन की बरसात होगी। अचानक 'पद्मावती' के रिलीज टलने से बॉक्स ऑफिस पर संकट छा गया है।
22 दिसम्बर तक कोई बड़ी फिल्में नहीं हैं। फुकरे रिटर्न्स, फिरंगी, तेरा इंतजार जैसी फिल्में संभव है कि अच्छा प्रदर्शन कर सकती है, लेकिन इनसे सौ करोड़ की उम्मीद तो नहीं की जा सकती। इन फिल्मों का बिजनेस मात्र तीन दिनों में ही सिमट जाएगा। ऐसे में सिनेमाघर मालिकों के आगे संकट पैदा हो गया है कि वे सिनेमाघरों को कैसे चलाए? इन कमजोर फिल्मों के सहारे ही उन्हें हफ्ते काटने पड़ेंगे।
सिंगल स्क्रीन और छोटे शहरों के सिनेमाघरों के आगे तो बड़ा संकट है। वहां पर यूं भी इस तरह की फिल्में तीन-चार दिन चलती है। जब नई फिल्मों की यह हालत है तो पुरानी फिल्में देखने कौन आएगा? डब फिल्मों के सहारे समय काटना पड़ेगा। कई सिनेमाघरों का तो बिजली का खर्च भी नहीं निकलेगा।
पद्मावती रिलीज होती तो दो सप्ताह आराम से निकल जाते। एक सप्ताह बाद टाइगर जिंदा है आती और दो-तीन सप्ताह का काम हो जाता। अब तो पूरा महीना खाली है। छोटी फिल्मों का कलेक्शन कम होता है और कई सिनेमाघरों में तो इन्हें लगाया ही नहीं जाता।
पद्मावती की जगह कोई बड़ी फिल्म भी रिलीज नहीं होना है क्योंकि शेड्यूल पहले से बन चुका है और उसमें फेरबदल करना आसान नहीं है। महीने भर सिनेमाघरों की रौनक गायब रहेगी।