बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा जया बच्चन 9 अप्रैल को 75 साल की हो गई हैं। जया भादुड़ी (जया बच्चन) का जन्म बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता तरुण भादुड़ी पत्रकार थे। जया भादुड़ी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संत जोसेफ कानवेंट से पूरी की। इसके बाद उन्होंने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया। सत्तर के दशक में अभिनेत्री बनने का सपना लेकर जया भादुड़ी ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रख दिया।
जया बच्चन ने अपने सिने करियर की शुरुआत 15 साल की उम्र में महान निर्माता-निर्देशक सत्यजीत रे की बंग्ला फिल्म महानगर से की। इसके बाद उन्होंने एक बंग्ला कॉमेडी फिल्म धन्नी मेये में भी काम किया जो टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई।
जया को प्रारंभिक सफलता दिलाने में निर्माता-निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। उन्हें पहला बड़ा ब्रेक उनकी ही साल 1971 में रिलीज फिल्म गुड्डी से मिला। इस फिल्म में जया ने एक ऐसी लड़की की भूमिका निभाई जो फिल्में देखने की काफी शौकीन है और अभिनेता धर्मेंद्र से प्यार करती हैं। अपने इस किरदार को जया ने इतने चुलबुले तरीके से निभाया कि दर्शक उस भूमिका को आज भी भूल नही पाए हैं।
साल 1972 में जया बच्चन को ऋषिकेष मुखर्जी की ही फिल्म कोशिश में काम करने का अवसर मिला जो उनके सिने करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म की सफलता के बाद वह शोहरत की बुलंदियों पर जा पहुंचीं। वह इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिए नामांकित भी की गईं।
फिल्म कोशिश में जया ने गूंगे की भूमिका निभाई जो किसी भी अभिनेत्री के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। बगैर संवाद बोले सिर्फ आंखो और चेहरे के भाव से दर्शको को सब कुछ बता देना जया की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था जिसे शायद ही कोई अभिनेत्री दोहरा पाए।
साल 1972 में रिलीज फिल्म एक नजर के निर्माण के दौरान जया का झुकाव फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की ओर हो गया। इसके बाद जया भादुड़ी और अमिताभ बच्चन ने साल 1973 में शादी कर ली। शादी के बाद भी जया ने फिल्मों में काम करना जारी रखा। साल 1975 जया के सिने करियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। उस वर्ष उन्हें रमेश सिप्पी की सुपरहिट फिल्म शोले में काम करने का मौका मिला।
अस्सी के दशक में शादी के बाद पारिवारिक जिम्मेवारियों को देखते हुए जया ने फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया। यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी साल 1981 में रिलजी फिल्म सिलसिला उनके सिने करियर की आखिरी फिल्म साबित हुई। इसके बाद जया लगभग 17 वर्षो तक फिल्म इंडस्ट्री से दूर रही। हालांकि इस बीच उन्होंने एक फिल्म की कहानी भी लिखी। बाद में उस कहानी पर वर्ष 1988 में अमिताभ बच्च्न अभिनीत फिल्म शंहशाह रिलीज हुई।
साल 1998 में रिलीज फिल्म 'हजार चौरासी की मां' के जरिये जया ने अपने सिने करियर की दूसरी पारी शुरू की। गोविन्द निहलानी के निर्देशन में नक्सलवाद मुद्दे पर बनी इस फिल्म में जया ने मां की भूमिका को भावात्मक रूप से पेश कर दर्शको का दिल जीत लिया। फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद जया ने समाज सेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और समाजवादी पार्टी के सहयोग से राज्यसभा की सदस्य बनीं।
भारतीय सिनेमा में जया बच्चन के योगदान को देखते हुए 1992 में उन्हें देश के चौथे सबसे बडे नागरिक सम्मान पद्मश्री से अलंकृत किया गया। जया अपने सिने करियर में नौ बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित की जा चुकी है। रूपहले परदे पर जया की जोडी अमिताभ बच्चन के साथ खूब जमी।
अमिताभ और जया की जोड़ी वाली फिल्मों में जंजीर, अभिमान, मिली, चुपके-चुपके, शोले, सिलसिला, कभी खुशी कभी गम जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल है। जया बच्चन के करियर की कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में जवानी दीवानी, बावर्ची, परिचय, पिया का घर, शोर, अनामिका, फागुन, नया दिन नयी रात, कोई मेरे दिल से पूछे, लागा चुनरी में दाग, द्रोण शामिल है।
Edited By : Ankit Piplodiya