करण जौहर की पहली फिल्म 'कुछ कुछ होता है' को रिलीज हुए 20 बरस हो गए हैं। मुंबई में इस उपलक्ष्य में जश्न मनाया गया। फिल्म में लीड रोल निभाने वाले शाहरुख खान, काजोल, रानी मुखर्जी सहित वे तमाम बॉलीवुड हस्तियां शामिल हुईं जिन्हें करण अपनी फिल्मों के जरिये अवसर देते रहते हैं। साथ ही करण टीवी शो भी चलाते हैं जिसमें शामिल होकर बॉलीवुड हस्तियां गौरवान्वित महसूस करती हैं। इसलिए ये करण के जश्न में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।
करण की पार्टी में इन हस्तियों ने फिल्म की खूब तारीफ की। इसे क्लासिक फिल्म का दर्जा दिया गया। सोशल मीडिया को कुछ कुछ होता है के रंग में रंग दिया गया। ऐसा वातावरण बना दिया गया कि जिसने यह फिल्म नहीं देखी हो उसने लाइफ में कुछ मिस कर दिया हो। करण की पीआर एजेंसियां सक्रिय हो गईं। मीडिया ने भी खूब प्रचार किया।
करण जौहर की यह फिल्म अति सामान्य थी। यश चोपड़ा जैसे निर्देशक की नकल करते हुए करण ने यह फिल्म बनाई थी, लेकिन नकल तो नकल होती है। फिल्म की कहानी और स्क्रिप्ट में कई गलतियां थीं। निर्देशन भी सामान्य था।
चूंकि फिल्म का संगीत अच्छा था और शाहरुख-काजोल की जोड़ी पॉपुलर थी इसलिए यह फिल्म चल निकली। ऐसा भी नहीं है कि बहुत बड़ी ब्लॉकबस्टर साबित हुई हो। वैसे भी हर सफल फिल्म जरूरी नहीं है कि अच्छी ही हो।
करण समय-समय पर इस फिल्म को याद करते रहे। बातें करते रहे। चर्चा में फिल्म को बनाए रखा। उन्होंने लोगों के दिमाग में बात को इस तरह बैठा दिया कि यह एक महान फिल्म थी।
करण बहुत अच्छे बिजनेसमैन हो सकते हैं। फिल्मों को चलाना जानते हो। मार्केटिंग के उस्ताद हो, लेकिन महान फिल्मकार नहीं हैं। वे कभी भी राज कपूर, गुरुदत्त, यश चोपड़ा या बिमल रॉय जैसे फिल्मकारों की बराबरी नहीं कर पाए। यही बात उन्हें सालती रहती हो।
शायद इसीलिए वे खुद को महान फिल्मकार बताने का भ्रम फैला रहे हैं। कुछ कुछ होता है का जश्न इसीलिए मनाया जा रहा है ताकि आने वाले दिनों में इसे महान फिल्म के रूप में याद किया जाए। अब खुद को महान बताने की कोशिश भी शुरू हो गई हैं।